मथुरा में अशांति की साजिश

मथुरा में अशांति की साजिश

मथुरा। मथुरा जनपद के नंदगांव स्थित नंदबाबा मंदिर में दो लोगों का नमाज पढ़ते फोटो अशांति की बड़ी साजिश का हिस्सा है। शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि मंदिर में नमाज पढ़ने वाले दिल्ली की खुदाई खिदमतगार संस्था के लोग हैं। उत्तर प्रदेश में अयोध्या का राम मंदिर विवाद सुलझने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और अन्य हिन्दू संगठनों ने भी पहली प्रतिक्रिया यही जतायी थी कि अब प्रदेश में कोई मंदिर विवाद नहीं रहा है। पहले यही कहा जा रहा था कि अयोध्या तो झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है। इस नारे की ध्वनिवाद में सुनाई भी पड़ी लेकिन विहिप जैसे संगठन चुप्पी साधे थे। अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन को विहिप ने ही तपाया था। इसलिए उम्मीद थी कि अभी लगभग दो साल तक काशी-मथुरा मंदिर का विवाद नहीं उठेगा। हालांकि इसी बीच मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि-मस्जिद विवाद को लेकर अदालत में याचिका दायर हो गयी थी और अदालत ने उसे सुनवाई के लिए स्वीकार भी कर लिया था। अब नंद बाबा मंदिर में नमाज का मामला बारूद में चिंगारी न बन जाए, इसका ध्यान रखना है।

उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद के थाना बरसाना क्षेत्र अंतर्गत नंद गांव के नंद भवन स्थित मंदिर में दिल्ली निवासी फैजल व उसके मित्र चांद के द्वारा नमाज पढ़े जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। अब इस मामले में मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर पुलिस ने आरोपी युवकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। साथ ही एसएसपी ने इस पूरे प्रकरण की जांच खुफिया विभाग को भी सौंपी है। मंदिर में नमाज पढ़ने और उसकी फोटो वीडियो वायरल करने के पीछे आखिर क्या मंशा थी, अब इसकी भी जांच की जा रही है।

इस मामले में एक पहलू यह भी निकल कर आया है कि जिस फेसबुक आईडी से यह फोटो वायरल की गई थी, वह मथुरा के मां टोल पर पकड़े गए चार पीएफआई संदिग्धों के अधिवक्ता की है। उधर मंदिर में नमाज पढ़ने का मामला वायरल होने के बाद हिंदूवादी संगठनों व साधु-संतों में भारी आक्रोश है और उन्होंने इस मामले को गंभीरता से लेने के लिए प्रशासन से अनुरोध किया है। काशी विद्वत परिषद के पश्चिम क्षेत्र के प्रभारी काली नागिन महाराज ने पुलिस अधिकारियों एवं जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि इन लोगों ने दो तरफा गलत काम किया है। पहला उन्होंने मंदिर में नमाज पढ़ा और दूसरा उन्होंने इसकी फोटो भी खींची। मंदिर में नमाज पढ़ा जाना कदापि अनुचित है। उन्होंने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए सच्चाई सामने लाने की बात कही है।

गौरतलब है कि मंदिर में नमाज पढ़े जाने की यह तस्वीर थाना बरसाना स्थित नंदगांव के नंद महल मंदिर की है। मंदिर में नमाज पढ़े जाने की इन तस्वीरों के बारे में मंदिर के सेवायत कान्हा गोस्वामी ने बताया कि 29 अक्टूबर को 4 युवक नंदगांव मंदिर जरूर आये थे, जिसमें से एक युवक ने टोपी लगा रखी थी। टोपी लगाए युवक को मंदिर में देख हम भी हैरान हुए थे। टोपी में मंदिर में आने पर फैजल ने पुजारी से कहा कि क्या कृष्ण आपके ही है। कृष्ण हम सबके है। इसके बाद फैजल ने पुजारी और वहां खड़े लोगों को रामायण की कई चैपाई भी सुनाई थी। जानकारी पर दिल्ली निवासी युवको ने बताया कि वह साइकिल से ब्रज चौरासी कोस यात्रा करने आये है। दर्शन व बातचीत के उपरांत मंदिर के पुजारी ने प्रसाद दिया और उसके बाद चारों युवक दर्शन कर मंदिर परिसर में घूमते हुए आगे चले गए। अब जानकारी लोगों के फोन व सोशल मीडिया से हो रही है कि उन युवकों ने मंदिर के किसी कोने में नमाज पढ़ी। सेवायत कान्हा ने बताया कि जानकारी होने पर यह भी बात सामने आई है कि वहां खड़े लोगों ने नमाज पढ़ने के लिए मना किया था। बताया जा रहा है कि फैजल खान के अलावा चांद व गांधीवादी कार्यकर्ता नीलेश गुप्ता व आलोक रत्न भी मौजूद थे। लेकिन अब तस्वीरों के वायरल होने से हिंदूवादी लोगों में आक्रोश है। वहीं कौमी एकता मंच के मधुबन दत्त चतुर्वेदी ने इसे भाईचारे की मिसाल बताया है।

ध्यान देने की बात है कि राम जन्मभूमि का विवाद सुलझ जाने के बाद अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान का मुद्दा गर्माने लगा है। मथुरा की सीनियर सिविल जज छाया शर्मा की अदालत में श्रीकृष्ण ठाकुरजी विराजमान सहित कई भक्तगणों को वादी बनाते हुए मांग की गयी है कि 12 अक्टूवर 1968 को हुए समझौता और 20 जुलाई 1973 को हुई डिक्री रद किया जाए। याचिका के जरिए 13।37 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि का मालिकाना हक मांगा गया, जिसमें ईदगाह भी शामिल है। वाद में शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने का अनुरोध किया गया है। यह भी कहा गया है कि श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को यह समझौता करने का अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय के पिता-पुत्र अधिवक्ता हरीशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन द्वारा दायर वाद में 13।37 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया है। ये वाद भगवान श्रीकृष्ण विराजमान, कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री और छह अन्य भक्तों ने दाखिल किया है। याचिका में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मेनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है। भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की सखा रंजना अग्निहोत्री, प्रवेश कुमार, राजेश मणि त्रिपाठी, तरुणेश कुमार शुक्ला, शिवाजी सिंह, त्रिपुरारी तिवारी वादी हैं। जबकि यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, कमेटी ऑफ मैनेजमेंट ट्रस्ट शाही ईदगाह मस्जिद, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान को पार्टी बनाया गया है।

शाही ईदगाह कमेटी के सचिव तनवीर अहमद ने कहा कि ये विवाद जबरन पैदा किया जा रहा है। कृष्ण की नगरी में सभी भाईचारे के साथ रहते हैं। दोनों ही धार्मिक स्थलों के रास्ते अलग-अलग हैं। पूर्व में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह मस्जिद ट्रस्ट में सौहार्दपूर्ण ढंग से रजिस्टर्ड समझौता हुआ था। अब कुछ लोग बिना वजह इस मामले तूल देने में लगे हैं। मथुरा के लोग भी किसी विवाद के पक्ष मंे नहीं दिखते लेकिन बरसाने के नंदगांव मंदिर की घटना ने आग को भड़का दिया है। (हिफी)

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