हाथरस का सियासी जवाब बारां में

हाथरस का सियासी जवाब बारां में

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित बालिका के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म, क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में दुराचार की ही पुष्टि नहीं हुई। इस मामले को लेकर कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी और बसपा ने जमकर हंगामा किया। सभी दलों के पांच-पांच नेताओं को घटनास्थल पर जाने की बाद में अनुमति भी दे दी गयी। प्रदेश सरकार की तरफ से इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी कर दी गयी। साथ ही विशेष जांच टीम (एसआईटी) की ओर से पहले से ही जांच चल रही है। इसके बाद महिलाओं के साथ दुराचार के मामलों पर राजनीति गहरा गयी है। कांग्रेस शासित राजस्थान में भाजपा ने भी उसी तरह का अभियान चलाया है जैसे राहुल और प्रियंका गांधी ने हाथरस में चलाया था। जयपुर में भाजपा सड़क पर उतर आयी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया के नेतृत्व में भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ता 5 अक्टूबर को सड़क पर उतरे। जयपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच भी झड़प की स्थिति उसी प्रकार आयी, जैसे हाथरस जाते समय राहुल गांधी के काफिले के साथ आयी थी। राजस्थान सरकार ने भाजपा की टीम को पीड़ितों के परिवार से मिलने की इजाजत दे दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया के निर्देश पर छगन माहुर, कन्हैया चैधरी और नरेश बंसल ने पीड़ितों के परिवार से मिलकर सहानुभूति प्रकट की और उन्हें न्याय दिलाले का आश्वासन दिया। इसे दुराचार जैसे महाघृणित अपराध पर राजनीति नहीं तो और क्या कहा जाए। जनवरी 2013 में भाजपा शासित छत्तीसगढ़ में जब बस्तर के कांकेर में 11 आदिवासी बच्चियों के साथ दुरचार किया गया था तब यही नेता खामोश थे।

जयपुर शहर के सदर थाना क्षेत्र में नाबालिग ने एक व्यक्ति के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज करवाया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। आरोपी द्वारा नाबालिग के घर पर ही उसके साथ ज्यादती को अंजाम दिया गया, जिसके बाद किसी को न बताने की धमकी देकर फरार हो गया। घटना तीन दिन पहले की बताई जा रही है। सदर थानाधिकारी अनीश अहमद ने बताया कि थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 15 वर्षीय पीड़ित ने परिजनों के साथ पहुंच कर रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमे बताया है कि तीन दिन पहले उसके परिजन किसी काम से बाहर गए हुए थे। ऐसे में वह और उसकी छोटी बहन अकेले थे। गांव का ही एक नाबालिग रात को किसी काम के बहाने घर पर आया। अकेला देखकर उसके साथ ज्यादती कर दी। घटना के बारे में किसी को बताने पर धमकी देकर फरार हो गया। परिजनों के वापस लौटने पर पीड़िता ने घटना के बारे में बताया। इसके बाद पीड़ित ने परिजनों के साथ थाने पर पहुंचाकर आरोपी के खिलाफ ज्यादती का मामला दर्ज करवाया। सीआई अनीश अहमद ने बताया कि मामले को लेकर पीड़िता को मेडिकल के लिए भेजा गया था लेकिन पीड़िता ने मेडिकल करवाने से मना कर दिया है। सोमवार को पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष 164 के बयान करवाए जा रहे हैं। उसी के तहत कार्रवाई की जाएगी।

एसएचओ अनीश अहमद ने बताया कि पोस्को एक्ट में मामला दर्ज कर जांच की जा रही है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। पीड़िता ने डॉक्टर के समक्ष मेडिकल करने से मना कर दिया गया है। पीड़िता और पीड़ित परिवार के बयानों के आधार पर ही युवक को गिरफ्तार किया गया है।

उधर, हाथरस की घटना पर घिरने के बाद यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कांग्रेस से मुकाबले के लिए मोर्चा संभाल लिया है। यूपी सरकार ने एनसीआरबी के आंकड़ों पर दुराचार का क्राइम रेट जारी किया है। इस रिपोर्ट में राज्यों में राजस्थान सबसे ऊपर और यूपी सबसे नीचे है। इसके मुताबिक केरल और महिला स्वाभिमान की गौरवपूर्ण कहानियों से भरे राजस्थान में सबसे ज्यादा दुराचार होते हैं। संभव है कि पढ़ने में यह बात आपको चौकाने वाली लगे, लेकिन हकीकत यही है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी भारत में अपराध-2019 रिपोर्ट के मुताबिक महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराधों में केरल और राजस्थान शीर्ष पर थे। यूपी का स्थान तो काफी पीछे आता है।

हालांकि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। ताजा मामला भदोही जिले से सामने आया है। यहां ज्ञानपुर इलाके में 44 साल की दलित विवाहिता के साथ गैंगरेप का मामला 4 अक्टूबर को सामने आया। पुलिस अधीक्षक राम बदन सिंह ने बताया इस मामले में दलित महिला के पति की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।

हरियाणा के गुरुग्राम शहर में भी तड़के एक 25 वर्षीय एक महिला के साथ चार पुरुषों द्वारा कथित रूप से सामूहिक दुराचार किया गया और उसे बेरहमी से पीटा गया। महिला के सिर में गंभीर चोटें आईं हैं। आरोपियों की उम्र 20 से 25 साल के बीच है और सभी आरोपियों को अपराध के कुछ घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया गया।

सहायक पुलिस आयुक्त करन गोयल ने बताया घटना गुड़गांव के डीएलएफ फेज 2 में हुई। उन्होंने कहा कि सभी चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उनमें से तीन डिलीवरी ब्वॉय हैं। गोयल ने कहा कि चार आरोपियों में से एक गुरुग्राम के सिकंदरपुर मेट्रो स्टेशन के पास महिला से मिला था और उसे एक बिल्डर के कार्यालय में ले गया।

हरियाणा के गुरुग्राम में युवती से हैवानियत का मामला सामने आया है। युवती से गैंगरेप के बाद मारपीट की गई है। मारपीट के कारण पीड़िता के सिर में गंभीर चोट के चलते पहले सरकारी अस्पताल तो उसके बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में रेफर किया गया। सफदरजंग के बाद वापिस गुरुग्राम के मेदांता में युवती को भर्ती करवाया गया।

दरअसल इन मामलों में अपर्याप्त कानूनी सहायता विशेषकर उन उत्तरजीवियों के लिए चिंता का विषय है जो गरीब और हाशिए के समुदायों से आते हैं। 1994 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया कि यौन हमले की पीड़िताओं को कानूनी सहायता प्रदान की जानी चाहिए और सभी पुलिस स्टेशनों को कानूनी सहायता विकल्पों की सूची रखनी चाहिए। दिल्ली में यह सुनिश्चित करने के प्रयास हुए हैं - दिल्ली महिला आयोग एक रेप क्राइसिस सेल का संचालन करता है जो पुलिस स्टेशनों के साथ समन्वय करता है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह भी तदर्थ व्यवस्था है और पूरी तरह प्रभावी नहीं है। फिर भी देश के अन्य हिस्सों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी व्यवस्था दुर्लभ है। ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा जिन 21 मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है उनमें से किसी में भी पुलिस ने पीड़िता को कानूनी सहायता के उनके अधिकार के बारे में सूचित नहीं किया या कानूनी सहायता प्रदान नहीं की। केंद्र सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध के मामलों के तेज निपटारे के लिए पूरे देश में करीब 524 फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना की है। इनकी प्रभावकारिता को निर्धारित करने के लिए अभी तक कोई भी देशव्यापी अध्ययन मौजूद नहीं है। हालांकि,ऐसा प्रतीत होता है कि केवल फास्ट-ट्रैक अदालतों की स्थापना अपर्याप्त है। पीड़ितों को इस व्यवस्था में मार्गदर्शन करने में मदद के लिए कानूनी सहायता जैसे अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर समान रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। गत वर्ष तक आंकड़े बताते हैं कि दुराचार के ही 24 हजार से ज्यादा मामले लम्बित पड़े हैं। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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