चंबल नदी में नरभक्षी मगरमच्छों के आतंक से इटावा में दहशत

इटावा। कभी खूंखार डाकू की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात रही चंबल घाटी में मगरमच्छ के आतंक से चंबल नदी के आसपास के लोग खासे दहशत में हैं ।
चकरनगर के पुलिस उपाधीक्षक मस्सा सिंह ने मंगलवार को बताया कि इटावा जिले के भरेह थाना क्षेत्र के हरपुरा गांव में सोमवार दोपहर चंबल नदी में नहाते समय एक किशोर को मगरमच्छ खींच ले गया। छोटे भाई ने ही परिजनों को घटना की जानकारी दी । आज दोपहर चंबल सेंचुरी की मोटर बोट के जरिये चंबल मे डूबे हुए बालक को खोजने की कोशिश की गई लेकिन कोई भी कामयाबी नही मिल सकी है।
हरपुरा गांव निवासी महिपाल सिंह मल्लाह ने बताया कि उनके दोनों पुत्र बड़ा अनुज (16) व छोटा हिमांशु (12) रोज की भांति नदी किनारे भैंसों को लेकर चराने व पानी पिलाने गए हुए थे । दोपहर के समय दोनों भाई भैंसों को पानी पिलाने के बाद नदी के किनारे बैठकर नहाने लगे। इसी दौरान नदी से निकले मगरमच्छ ने अनुज का हाथ अपने जबड़े में जकड़ लिया और उसे खींच कर नदी में ले गया। घटना से आसपास के गांव में सन्नाटा छाया हुआ है।
ग्रामीणों के मुताबिक यह कोई पहली घटना नही है जिसमे मगर ने किसी गांव वाले को निगला हो, इससे पहले 30 जनवरी को बढपुरा इलाके मे चंबल नदी के किनारे खरबूजे की फसल के लिए पानी लेने गए सोनू भदौरिया नामक युवक को मगरमच्छ पानी मे खीच ले गया था।
जून 2017 मे चकरनगर इलाके के सिद्वबाबा मंदिर मे दर्शन करने से पहले चंबल नदी मे स्नान करने के लिए गई शिवराम सिंह चौहान की 19 वर्षीय बेटी नीरज चौहान को मगरमच्छ सबके सामने पानी मे खींच ले गये काफी खोजबीन के बाद लडकी को कोई पता नही चल सका। 2014 मे भरेह इलाके के पर्थरा गांव के पास रहने वाला 12 साल का किशोर प्रदीप मल्लाह को एक मगरमच्छ ने उसको दबोच लिया था। 24 घंटे बाद उसका शव क्षत शव चंबल नदी से बरामद हो गई।
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फार कंजर्वेशन आफ नेचर के सचिव संजीव चौहान ने कहा कि चंबल नदी में करीब 40 वर्ष तक की उम्र के मगरमच्छ और घडियाल देखे गये हैं। इंसान तो इसांन जानवर भी मगरमच्छो से परेशान है। बिहार गांव निवासी साधूराम का एक भैंसे को मगरमच्छ ने नदी में पानी पीते समय दबोच लिया जब ग्रामीणों के द्वारा उसके उपर पत्थर मारे गये, तब उसने बडी मुश्किल से भैंसा को छोडा था।
वार्ता