साहित्य के माध्यम से ही हम किसी समाज, राष्ट्र व संस्कृति को सम्बल प्रदान कर सकते हैं : योगी

साहित्य के माध्यम से ही हम किसी समाज, राष्ट्र व संस्कृति को सम्बल प्रदान कर सकते हैं : योगी

लखनऊ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि साहित्य समाज का मार्गदर्शक होता है। उन्होंने कहा कि साहित्य का अर्थ ही है, जिसमें सबका हित हो। साहित्य के माध्यम से ही हम किसी समाज, राष्ट्र व संस्कृति को सम्बल प्रदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्यकार को समाज की ज्वलन्त समस्याओं को रचनात्मक दिशा देने का प्रयास करना चाहिए, जिसमें व्यापक लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण का भाव निहित हो।


मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 43वें स्थापना दिवस के अवसर पर यहां आयोजित 'सम्मान समारोह-पुरस्कार वितरण एवं अभिनन्दन पर्व-2018' कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य को अपना जीवन समर्पित करने वाले महान साहित्यकारों को सम्मानित किया जाना मेरे लिए गौरवपूर्ण है। साहित्य समाज का दर्पण होता है। इससे समाज की दिशा तय होती है। उन्होंने कहा कि हमारी लेखनी ऐसी होनी चाहिए जो मार्ग दर्शक के रूप में समाज को नई दिशा दे सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आवश्यकता है कि रचनात्मक साहित्य को बढ़ावा दिया जाए। रचनात्मक साहित्य के माध्यम से ही प्रगतिशील समाज की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी विभूतियों को संरक्षित व संवर्धित करता है, वहीं समाज आगे बढ़ता है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्थान द्वारा उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाओं में जिन छात्रों ने हिंदी साहित्य में अच्छा स्थान प्राप्त किया उन्हें भी सम्मानित किया जाना प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हिन्दी भाषा भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना उद्बोधन हिन्दी भाषा में किया था। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दी भाषा में अपने अभिभाषणों के माध्यम से न केवल दुनिया को भारत की ओर आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि दुनिया को देश की ताकत का एहसास भी करा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लेखनी का उपयोग समाज को बेहतर बनाने में करना चाहिए। बगैर चिन्तन के अच्छा साहित्य नहीं लिखा जा सकता है। प्रत्येक कालखण्ड में साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से समाज की बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया है। जब लेखनी से स्वस्थ साहित्य लिखा जाता है तो सृजनात्मकता व रचनात्मकता से राष्ट्र को एक नई दिशा मिलती है।

मुख्यमंत्री ने हिन्दी साहित्य से जुड़ी जिन विभूतियों को सम्मानित किया, उनमें डाॅ ऊषा किरण खान को 'भारत-भारती सम्मान', डाॅ मनमोहन सहगल को 'लोहिया साहित्य सम्मान', डाॅ बदरी नाथ कपूर को 'हिन्दी गौरव सम्मान', भगवान सिंह को 'महात्मा गांधी साहित्य सम्मान', डाॅ ओम प्रकाश पाण्डेय को 'पं दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान', डाॅ कमल कुमार को 'अवन्तीबाई साहित्य सम्मान', मणिपुर हिन्दी परिषद इम्फाल के महासचिव डाॅ अरिबम्ब ब्रज कुमार शर्मा को 'राजर्षि पुरुषोत्तमदास टण्डन सम्मान', डाॅ उदय नारायण गंगू को 'प्रवासी भारतीय हिन्दी भूषण सम्मान' तथा डाॅ बंडार मेणिके विजेतुंग को 'हिन्दी विदेश प्रसार सम्मान' से सम्मानित किया गया।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने 'पं दीनदयाल उपाध्याय साहित्य सम्मान' से सम्मानित डाॅ ओम प्रकाश पाण्डेय द्वारा रचित पुस्तक 'सांस्कृतिक विचार की अविराम भारतीय यात्रा' का विमोचन किया। ज्ञातव्य है कि हिन्दी गौरव सम्मान से सम्मानित डाॅ बदरी नाथ कपूर अस्वस्थ होने के कारण कार्यक्रम में प्रतिभाग नहीं कर सके।



इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित, जलशक्ति मंत्री डाॅ महेन्द्र सिंह, हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ सदानन्द प्रसाद गुप्त तथा निदेशक श्रीकान्त मिश्र सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।

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