प्रख्यात् एथलीट आईएएस रविन्द्र कुमार बने बुलन्दशहर के जिलाधिकारी

प्रख्यात् एथलीट आईएएस रविन्द्र कुमार बने बुलन्दशहर के जिलाधिकारी

बुलन्दशहर। खनन घोटाले में सीबीआई की रेड के बाद हटाये गये अभय सिंह की जगह प्रख्यात् एथलीट व दो बार एवरेस्ट फतेह करने वाले 2011 बैच के आईएएस अधिकारी रविन्द्र कुमार को बुलन्दशहर का जिलाधिकारी बनाया गया है।

पूर्व डीएम अभय सिंह को खनन में भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की छापेमारी में अवैध धन बरामद होने के बाद योगी सरकार ने कडी कार्यवाही करते हुए हटाया

पूर्व डीएम अभय सिंह को खनन में भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की छापेमारी में अवैध धन बरामद होने के बाद योगी सरकार ने कडी कार्यवाही करते हुए हटाया है। अभय सिंह को प्रतीक्षारत किया गया है। तलाशी के दौरान बुलन्दशहर के पूर्व जिलाधिकारी अभय सिंह के आवास से 47 लाख रुपये कैश बरामद किए गए थे। अभय सिंह ने अखिलेश यादव सरकार में फतेहपुर के डीएम पद पर तैनाती के दौरान सारे नियमों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से खनन पट्टे किए थे। उन्हांेने हाईकोर्ट की रोक के बावजूद लोगों को अवैध खनन की रेवड़ी बांटी थी। सीबीआई ने अवैध खनन मामले में बुलंदशहर के अलावा लखनऊ, फतेहपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, नोएडा, गोरखपुर, देवरिया आदि यूपी के बारह ठिकानों पर छापेमारी की है। इस मामले में आईएएस अभय और विवेक सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

बुलन्दशहर के नवागत डीएम आईएएस रवीन्द्र कुमार ने अपने दृढ संकल्प के चलते दूसरी बार एवरेस्ट पर विजय पताका लहराई और ऐसा करके वो देश पहले आईएएस बन गए

बुलन्दशहर के नवागत डीएम आईएएस रवीन्द्र कुमार ने अपने दृढ संकल्प के चलते दूसरी बार एवरेस्ट पर विजय पताका लहराई और ऐसा करके वो देश पहले आईएएस बन गए। पहली बार नेपाल के रास्ते उन्होंने 2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में सफलता पाई थी। इस बार वे 23 मई 2019 को सुबह 4.20 बजे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में कामयाब रहे थे। जब 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ रहे थे, उसी दिन आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार माउंट एवरेस्ट पर पीएम मोदी के कार्यक्रमों का संदेश लेकर पहुंचे थे।

रवींद्र कुमार ने अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ देश और मानवता के लिए जो किया है वह एक मिसाल है

दूसरी बार एवरेस्ट फतह करने वाले देश के पहले आईएएस अफसर रवींद्र कुमार बिहार के बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के बसही गांव निवासी किसान शिवनंदन प्रसाद सिंह के पुत्र हैं। रवींद्र कुमार की प्रारंभिक शिक्षा बेगूसराय में हुई। उसके बाद झारखंड की राजधानी रांची के जवाहर विद्या मंदिर सहित कई विद्यालयों में उन्होंने शिक्षा ग्रहण की। 10 प्लस टू की शिक्षा पूरी करने के बाद वर्ष 1999 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की। हालांकि, उन्होंने शिपिंग में कैरियर चुनते हुए मुंबई स्थित ट्रेनिंग शिप चाणक्य से जुड़ गये और वर्ष 2002 में ऐरो नॉटिकल साइंस में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद पेंटागन मरीन सर्विस कंपनी में कार्य करते हुए प्रबंधकीय रैंक के अधिकारी के रूप में प्रोन्नत हुए। साल 2009 में नौकरी छोड़ कर वे दिल्ली आ गये। बाद में वर्ष 2011 में उन्होंने आईएएस चुन लिये गये। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश कैडर चुना। आईएएस बनने के बाद रवींद्र कुमार ने अपनी प्रशासनिक जिम्मेदारी के साथ देश और मानवता के लिए जो किया है वह एक मिसाल है।

आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार माउंट एवरेस्ट पर पीएम मोदी के कार्यक्रमों का संदेश लेकर पहुंचे थे

रवीन्द्र कुमार भारत सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में पदास्थापित होने से पहले सिक्किम और यूपी सरकार में एसडीएम, एडीएम, सीडीओ व फरूर्खाबाद में डीएम समेत कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभाल चुके हैं। आईएएस अफसर रवींद्र कुमार को दो बार माउंट एवरेस्ट फतह करने वाले देश के पहले आईएएस होने के साथ-साथ साल 2013 में एलवी रेड्डी अवॉर्ड, 2014 में विशेष खेल सम्मान, बिहार खेल सम्मान, सिक्किम खेल रत्न अवॉर्ड, साल 2016 में काष्ती रत्न अवॉर्ड से भी सम्मानित हो चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2011 में आईएएस बनने के दो साल बाद वर्ष 2013 में पहली बार माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल की थी। बीती 23 मई को जब आईएएस अफसर ने माउंट एवरेस्ट पर दूसरी बार सफलता पाई थी तो वे केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय में तैनात थे। उन्होंने कहा था कि इस बार उनका फोकस पानी था। एवरेस्ट पर चढ़कर उन्होंने लोगों से जल प्रदूषण रोकने, नदियों और सबके लिए स्वच्छ जल के अन्य स्रोतों को बचाने का आह्वान किया था। आईएएस अफसर रविंद्र कुमार ने अपने अभियान का नाम स्वच्छ गंगा, स्वच्छ भारत एवरेस्ट अभियान 2019 रखा था और वे अपने साथ गंगा जल को दुनिया के सर्वोच्च शिखर पर लेकर गए थे, ताकि लोगों का ध्यान इस तरफ आकर्षित किया जा सके।

आईएएस अफसर रवींद्र कुमार ने माउंट एवरेस्ट की अपनी यात्रा के रोमांच को पुस्तक का रूप प्रदान करते हुए मेनी एवरेस्ट नामक पुस्तक लिखी है

रविंद्र कुमार बताते हैं कि वह पहली बार 2011 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की प्रेरणा उन्हें वर्ष 2011 में सिक्किम में हुए भूस्खलन से मिली थी, जहां पर्वतारोहियों को तलाशी अभियान के लिए बुलाया गया था। आईएएस अफसर रवींद्र कुमार ने माउंट एवरेस्ट की अपनी यात्रा के रोमांच को पुस्तक का रूप प्रदान करते हुए मेनी एवरेस्ट नामक पुस्तक लिखी है। पुस्तक का विमोचन वर्ष 2016 में नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में किया गया था।

मुख्यमंत्री योगी ने अपने ट्विट में कहा था कि आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार हमारे असली नायक हैं

23 मई को दूसरी बार दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी को फतह करने के बाद आईएएस रवींद्र कुमार ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भेंट की। उन्होंने मुख्यमंत्री को माउंट एवरेस्ट की चोटी पर अपने साथ ले गये राष्ट्रीय ध्वज और यूपी सरकार का लोगो भेंट किया। मुख्यमंत्री ने उनको बधाई देते हुए कहा था कि उन्होंने देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया है। उन्होंने जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता को एवरेस्ट विजय अभियान का मोटो बनाने तथा गंगा की सफाई और स्वच्छ भारत मिशन के प्रति सरोकारों के लिये उनकी सराहना भी की थी। मुख्यमंत्री योगी ने अपने ट्विट में कहा था कि आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार हमारे असली नायक हैं। वे अलग हैं। वर्ष 2011 बैच के आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार ने गंगाजल और देश के तिरंगे झंडे के साथ सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट 23 मई को फतेह की। श्री योगी ने कहा कि इससे प्रदेश गौरवान्वित हुआ है।

आईएएस अफसर ने बताया कि मुझे तत्कालीन जल संसाधन मंत्री रहते हुए उमा भारती सहित जल संसाधन मंत्रालय, माउंटेनरिंग एसोसिएशन, आईएएस एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश सरकार, बिहार सरकार आदि का भरपूर सहयोग मिला है। उन्होंने बताया कि मैंने तीन बार प्रयास किया है और दो बार मुझे सफलता मिली है।

एवरेस्ट पर फतेह पाने वाले आईएएस अधिकारी रवीन्द्र कुमार ने एक प्रश्न के जवाब में बताया था कि माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए फिजिकल फिटनेस, क्लोथिंग, इक्विपमेंट और वेदर इंफॉर्मेशन। मतलब वेदर फोरकास्ट एकदम सटीक होना चाहिए। रेगुलर अपडेटेड होना चाहिए। उनका मानना है कि इसके लिए फिजिकल और मेंटल दोनों ही ट्रेनिंग की जरूरत होती है। इसके अलावा पॉजिटिव विजुअलाइजेशन बहुत जरूरी है। मतलब सक्सेस की सीनरी अपने दिमाग में रखिये।

गंगा प्रकृति की ऐसी देन है, जिसे एक बार नष्ट होने पर दुनिया की किसी भी तकनीक से दोबारा हासिल नहीं किया जा सकेगा

उनका कहना है कि गंगा प्रकृति की ऐसी देन है, जिसे एक बार नष्ट होने पर दुनिया की किसी भी तकनीक से दोबारा हासिल नहीं किया जा सकेगा। गंगा एवं अन्य जीवनदायिनी नदियों को दूषित करने में हम सभी का प्रत्यक्ष एवं परोक्ष योगदान है, इसलिये इसकी भरपाई भी हम सभी को मिलकर करनी होगी। उनका कहना है कि जल प्रदूषण की समस्या अपने चरम बिन्दू पर है, इसलिए हमें जल प्रदूषण को लेकर गंभीर होने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि गंगा पर हमारे देश की 40 प्रतिशत आबादी निर्भर है, इसलिए भी गंगाजल लेकर गये। उनका मानना है कि गंगा को शुध्द बनाने और जल संरक्षण के लिए सिर्फ सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं है। इसके लिए आम लोगों को आगे आना होगा और एकसाथ मिलकर काम करने की आवश्यकता है। इसकी जरूरत इसलिए भी पड़ गयी है क्योंकि भारत की आधी आबादी को शुद्ध जल नसीब नहीं हो रहा है।

बता दें कि माउंट एवरेस्ट का शिखर समुद्र तल से 8,848 मीटर ऊपर है। दुनिया की सबसे ऊंची चोटी नेपाल और चीन की सीमा पर स्थित है।

Next Story
epmty
epmty
Top