विधायक उमेश मलिक ने बिराल में श्रमदान करके किया वृक्षारोपण

विधायक उमेश मलिक ने बिराल में श्रमदान करके किया वृक्षारोपण

मुजफ्फरनगर। बुढाना विधायक उमेश मलिक ने कहा कि अब वो समय आ गया है कि हम जल को संरक्षित करना आरम्भ कर दे अन्यथा वो दिन दूर नही जब हमे कई किमी पैदल चलकर जल लाने के लिए विवश होना पडेगा। उन्होने कहा कि अगर अभी भी हम नही चेते तो बहुत देर हो जायेगी और हमारी आने वाली पीढियों को जल उपलब्ध नही हो पायेगा। हम उन्हे क्या देने जा रहे है, आने वाली पीढी को हम भौतिक सुविधाए तो दे सकते है लेकिन पानी की कमी की भरपाई कैसे करे इसके बारे में सोचना आवश्यक है और यह काम हमारे प्रधानमंत्री जी ने शुरू कर दिया है उनकी ही प्रेरणा से आज पूरे देश में जल संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण दिवस मनाया जा रहा है। आज वर्षा जल संरक्षण दिवस के शुभारम्भ पर विकास खण्ड बुढाना के ग्राम बिराल में खुली बैठक कर ग्रामवासियोें के साथ जल संरक्षण एवं वर्षा जल संरक्षण विषय पर अपने विचार रख रहे थे। खुली बैठक में सभी ग्रामवासियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रेषित पत्र भी पढकर सुनाया गया । विधायक उमेश मलिक ने कहा जल संरक्षण के लिए जनपद के तालाबों की खुदाई कराकर उसमें पानी भरवाया जायेगा, तालाबों की सफाई कराई जायेगी। उन्होने कहा कि आज 22 जून को जल संरक्षण, वर्षा जल संरक्षण दिवस पूरे जनपद में मनाया जा रहा है। उन्होने कहा आज समस्त ग्रामों में प्रधानमंत्री जी का पत्र भी ग्रामवासियों को पढकर सुनाया जा रहा है। सभी ग्रामों में श्रमदान व वृक्षोरोपण किया जा रहा है। तालाबों को भरा जा रहा है। उन्होने कहा कि उन्होने बताया कि इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 35 अधिकारियों की टीम लगाई जायेगी। उन्होने कहा कि प्रत्येक 2 न्याय पंचायत में एक अधिकारी नोडल के रूप में तैनात रहेगे। जो तालाबों की साफ सफाई, उसमें पानी का भरवाना व उसकी खुदाई का कार्य देखेगे। उन्होने कहा कि यह कार्य युद्व स्तर पर चलाया जायेगा। उन्होने कहा कि पुराने सिस्टम में पुर्नजीवित करने के लिए ग्रामवार कार्य किये जायेगे। जिलाधिकारी ने कहा कि जलस्तर को बचाना है, जल संरक्षण को आंदोलन बनाना है। जिलाधिकारी ने बताया कि मानसून को देखते हुए वर्षा के पानी के संरक्षण हेतु प्रधानमंत्री जी ने ग्रामीण क्षेत्रों में पानी के संकट को देखते हुए ग्राम प्रधानों को पत्र लिखकर आगामी मानसून में वर्षा के जल का संरक्षण किये जाने की अपील की है। जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने इस अवसर पर ग्राम के सूखे तालाब को फिर से पुर्नजीवित करने के लिए वहां जाकर श्रमदान किया और इस अवसर पर विधायक ने कहा कि जितने गांव में लोग उतने ही पेड लगाये जाने चाहिये। उन्होने ग्राम प्रधान से कहा कि और तालाब को पानी से लबालब कर दिया जाये।





विधायक उमेश मलिक ने कहा कि जल संरक्षण आज की महती आवश्यकता है यदि हमलोग अभी अब से नही चेते तो धीरे-धीरे पानी का सतह नीचे गिरने के साथ ही पेड़, पौधों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडेगा। उन्होने कहा कि किसी भी पूजा व अनुष्ठान में जल को रखा जाता है और उसकी पूजा की जाती है, जल से आचमन भी किया जाता है परन्तु कुछ बूदों के द्वारा इससे यही संदेश मिलता है कि जल का अत्यधिक दोहन न करे। उसको आने वाली पीढी के लिए संरक्षित करके रखे। उन्होने कहा कि मेढबन्दी कराये, खेतों का पानी खेतो मेे और घर का पानी घर में सूत्रवाक्य पर कार्य करना है। जल संरक्षण से लोगों को असानी से पेयजल एवं सिंचाई सुविधाएं मुहैया होगी तथा भूगर्भ के गिरते जलस्तर को रोकने में मदद मिलेगी। इसलिए लोगों को संकल्पबद्ध होकर इस वर्षा ऋतु में ही शत-प्रतिशत जल संरक्षण करना नितान्त आवश्यक है। जल संरक्षण से ही जीवन को खुशहाल बनाया जा सकता है।विधायक उमेश मलिक ने ग्राम वासियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्षा का पानी रोकने हेतु ग्राम प्रधान अपने खण्ड विकास अधिकारियों से विचार विमर्श करके मनरेगा के माध्यम से बेहतर तालाब का निमार्ण कर सकते हैं, उसकी सफाई करा सकते है इससे गांव में जल संरक्षण भी होगा तथा स्थानीय मजदूरों को रोजगार भी मुहैया होगा। उन्होने कहा कि गांव के विकास के लिए देश के प्रधानमंत्री एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रतिबद्ध है। गांव में भू-जल स्तर में सुधार एवं निकट भविष्य में जलापूर्ति, भूजल स्तर को ऊपर उठाने एवं वर्षा जल संचयन के यह कार्य आवश्यक है। जल, जीवन के लिये सबसे अहम प्राकृतिक संसाधन है। वैज्ञानिकों के मतानुसार आगामी दशकों में यह विश्व के कई क्षेत्रों में एक गंभीर अभाव की स्थिति में चला जायेगा। यद्यपि जल पृथ्वी में सबसे प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला पदार्थ है, फिर भी यह समान रूप से वितरित नहीं है। उन्होने कहा कि दुनियाभर में पानी की कमी निम्न कारणों से बढ़ रही है जैसे सूखे, सिंचाई की बढ़ती मांग, औद्योगिक मांग, प्रदूषण, जल संसाधनों के प्रयोग में कमी और जल की व्यर्थ बर्बादी और गैर जिम्मेदाराना रवैया। उन प्रयासों पर जोर देने की आवश्यकता है जो कि सूखे के मौसम में, अधिक से अधिक वर्षाजल को संग्रहित कर सके। स्थानीय स्तर पर वर्षा के पानी का संचयन या संग्रहण को या तो जलाशयों, टैंकों या झीलों में जल को संग्रहित करके रखने के माध्यम से हो सकता है अथवा भूमिगत जल के पुनर्भरण द्वारा किया जा सकता है।

इस अवसर पर माननीय विधायक उमेश मलिक ने कहा कि बढ़ती हुई घरेलू, औद्योगिक और कृषि से संबंधित कार्यों की मांग की पूर्ति के कारण, पानी की उपलब्ध मात्रा में कमी हो रही है और यह स्थिति भविष्य में और गंभीर हो सकती है। ऊपर से, पिछले कुछ दशकों में हमारी जल संपदा का अत्यधिक दोहन हुआ है। हमारे बढ़ते शहरीकरण और औद्योगीकरण ने पानी की मांग को बढ़ा दिया है। उपरोक्त दिये गये इन कारणों की वजह से देश के कई भागों में जल का भारी अभाव हो गया है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि हम जल को संरक्षित रखें और उसका दुरुपयोग होने से बचायें।

इस अवसर पर बीडीओ, ग्राम प्रधान व बडी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।

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