भाकियू के संघर्ष का पटाक्षेप कराने में सफल रहे भुवनेश कुमार , अमित मोहन प्रसाद और आईपीएस दीपक कुमार

भाकियू के संघर्ष का पटाक्षेप कराने में सफल रहे भुवनेश कुमार , अमित मोहन प्रसाद और आईपीएस दीपक कुमार

लखनऊ। भारतीय किसान यूनियन की किसान क्रांति यात्रा को यूपी गेट पर रोके जाने के कारण किसानों व दिल्ली सरकार के बीच बढ़ रहे टकराव को लेकर यूपी से दिल्ली तक की सियासत में हलचल मची तो एक बार फिर से देश व दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी थी कि कहीं बाबा टिकैत की भांति ही उनके दोनों पुत्र भी किसानों के साथ मिलकर भाकियू की परम्परा के अनुसार इस आंदोलन को लम्बा ना खींच बैठे, लेकिन उत्तर प्रदेश के पुलिस मुखिया ने भाकियू को मनाने के लिए अपने तेज तर्रार छवि रखने वाले आईपीएस अफसर दीपक कुमार पर दांव खेला, इसके साथ साथ ही शासन ने मुज़फ्फरनगर में कलक्टर के रूप में तेनत रहे आईएएस अफसर भुवनेश कुमार और आईएएस अमित मोहन प्रसाद को भी भाकियू के साथ वार्ता करने के लिए लगाया था। भुवनेश कुमार और अमित मोहन प्रसाद दोनों भाकियू की जन्म व कर्मस्थली मुजफ्फरनगर में कलक्टर रहते हुए भाकियू के कई आंदोलनों को देख चुके हैं तथा भुवनेश कुमार को मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने शांति व्यवस्था कायम करने के लिए कमिश्नर सहारनपुर इस मकसद से बनाया था कि वो जिलाधिकारी मुजफ्फरनगर रहते हुए यहां के मिजाज से अच्छी तरह से वाकिफ थे और उनकी कार्यशैली से यहां के लोग काफी प्रभावित रहे हैं। उन्होंने दंगों के दौरान यहां काफी बेहतर काम किया, वहीं अमित मोहन प्रसाद जब मुजफ्फरनगर में डीएम थे तो भाकियू नेताओं के साथ उनके काफी मधुर सम्बंध थे तथा वर्तमान में वह प्रमुख सचिव कृषि के पद पर कार्यरत रहने के कारण भी लखनऊ में किसान संगठनों के नेताओं के साथ समस्याओं के निस्तारण में जुटे रहते हैं। यह अफसर भाकियू के अंदाज से भली प्रकार परिचित होने के कारण दी गयी जिम्मेदारी में सौ फीसद कामयाब हुए दिल्ली से वापस यूपी की ओर रवाना होता नजर आया। इससे यूपी से लेकर दिल्ली तक की सियासत की जो सांसे किसानों के कूच के दिन से ही अटकी हुई थी, उनको राहत की सांस मिली। किसान सरकार से पूरा भरोसा लेकर अपने घर वापस लौटने शुरू हुए और आंदोलन यहीं पर समाप्त कर दिया गया।

बता दें कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने, किसानों का सम्पूर्ण कर्ज माफ करने, 10 साल पुराने ट्रेक्टरों से पाबंदी हटाने सहित कुल नौ प्रमुख मांगों को लेकर भारतीय किसान यूनियन ने 23 सितम्बर को हरिद्वार के टिकैत घाट से किसान क्रांति यात्रा का आगाज किया था। गांधी जयंती 2 अक्टूबर को यह यात्रा भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत व राकेश टिकैत की अगुवाई में दिल्ली के राजघाट स्थित किसान घाट पर पहुंचनी थी, लेकिन दो अक्टूबर को इस यात्रा को यूपी गेट पर ही पुलिस ने जबरन रोक दिया। यहां पर किसानों का पुलिस के साथ आगे बढ़ने को लेकर टकराव हुआ तो पुलिस ने दिल्ली की सीमा पर आगे बढ रहे किसानों को रोकने के लिए पानी की बौछार के साथ आंसू गैस के गोले दाग दिये। किसानों पर पुलिस की इस जबरिया कार्यवाही का विरोध पूरे देश में होने लगा। भाकियू ने भी आंदोलन को तेज करने के तेवर दिखाने शुरू कर दिये थे। इसके बाद लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की सियासत में हलचल मच गयी। लोग मान रहे थे कि भाकियू अब आरपार की लड़ाई के लिए अपने चिर परिचित अंदाज में आंदोलन करने का काम करेगी, लेकिन उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने भाकियू के इस आंदोलन का पटाक्षेप करने के लिए ब्यूरोक्रेसी में अपनी तेज तर्रार और स्वच्छ छवि के लिए पहचाने जाने वाले आईपीएस दीपक कुमार व उत्तर प्रदेश शासन ने आईएएस अफसर भुवनेश कुमार व अमित मोहन प्रसाद को जिम्मेदारी देकर भाकियू नेताओं से वार्ता के लिए भेजा। दीपक कुमार अपनी सर्विस लाइफ में भाकियू को काफी नजदीक से समझने वाले अफसर रहे हैं। उनकी पोस्टिंग एसपी के रूप में बागपत में रही, तो वहीं वो एसएसपी मेरठ और मुजफ्फरनगर जनपदों में तैनात रहे हैं। मुजफ्फरनगर भाकियू की जन्म और कर्मस्थली रहा है। मुजफ्फरनगर में दीपक कुमार एसएसपी पद पर तैनात रहे तो उन दिनों इस जनपद में दंगा प्रभावित क्षेत्र होने के कारण कानून व्यवस्था बड़ी चुनौती थी, लेकिन उनके कार्यकाल में मुजफ्फरनगर में एक भी साम्प्रदायिक विवाद नहीं पनप सका। आईपीएस दीपक कुमार दुश्मन का भी दिल जीत लेने वाली अपनी मधुर मुस्कान और ईमानदार एवं प्रभावशाली कार्यशैली के लिए भी अपने विभाग में जाने जाते हैं। वो जहां भी तैनात रहे समाज में पुलिस के प्रति विश्वसनीयता पैदा करने के साथ ही लोगों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी है। भाकियू के प्रभाव वाले जिलों में तैनाती रहने के कारण ही यूपी के पुलिस मुखिया डीजीपी ओपी सिंह ने अपने इस काबिल अफसर को आजमाने का दांव चला। दीपक कुमार वर्तमान में गाजियाबाद जनपद में 41वीं पीएसी वाहिनी के कमांडेंट अफसर के रूप में कार्यरत हैं। यूपी गेट पर किसानों को जबरन रोकने और उनपर बल प्रयोग करने के कारण बिफरी भाकियू के नेताओं से आईपीएस दीपक कुमार आईएएस अफसर भुवनेश कुमार व अमित मोहन प्रसाद ने रात में ही बात की। उधर भाकियू की मांगों को केन्द्र और यूपी सरकार से आश्वासन मिलने के बाद दीपक कुमार आईएएस अफसर भुवनेश कुमार व अमित मोहन प्रसाद की कार्यशैली और व्यक्तित्व का ही प्रभाव माना जा रहा है कि भाकियू नेताओं ने केन्द्रीय गृहमंत्री से बात होने के बाद आईपीएस दीपक कुमार आईएएस अफसर भुवनेश कुमार व अमित मोहन प्रसाद की मौजूदगी में ही आंदोलन समाप्त करने का ऐलान कर दिया और रात से ही किसान अपने घरों को वापस लौटना शुरू हो गये थे। दीपक कुमार की कार्यशैली से दिल्ली और यूपी सरकार का सिरदर्द मानी जा रही ये किसान क्रांति यात्रा बिना टकराव के ही समाप्त हो जाने से शासन को राहत की सांस मिली है।

भाकियू की सात मांगों पर केन्द्र सरकार से बनी सहमति

भारतीय किसान यूनियन की किसान क्रांति यात्रा को यूपी गेट पर जबरन रोके जाने के बाद हुए टकराव का सुफल सामने आया है। भाकियू के मांग पत्र में शामिल मांगों में से छह मांगों पर केन्द्र सरकार ने जल्द ही काम करने का भरोसा दिलाया है। इसी पर सहमत होकर भाकियू ने अपना आंदोलन समाप्त किया।

भाकियू के मीडिया प्रभारी व किसान आयोग के सदस्य धर्मेन्द्र मलिक के अनुसार केन्द्र सरकार ने सात मांगों पर अपनी सहमति जताई हैं। इनमें दस वर्ष से अधिक डीजल वाहनों के संचालन पर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा लगाई गई रोक के विरुद्ध सरकार पुनर्विचार याचिका अतिशीघ्र दाखिल करेगी। राज्यों को भी समिचिन कार्रवाई करने के लिए सूचित किया जायेगा। मनरेगा को खेती से जोड़ने के लिए नीति आयोग के तत्वाधान में मुख्यमंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति गठित की जा चुकी है। जो किसानों से आए सभी सूझावों पर गंभीरतापूर्वक विचार कर रही है। उक्त समिति मं किसानों के प्रतिनिधि को भी शामिल किया जायेगा। खेती में काम आने वाली वस्तुओं को जीएसटी के 5 प्रतिशत की दर में सम्मिलित करने के लिए यह विषय जीएसटी कौंसिल में शीघ्र ही उचित निर्णय के लिए रखा जायेगा। सरकार के बजट घोषणा के अनुसार उत्पादन लागत पर 50 प्रतिशत अधिक एमएसपी घोषित करने के निर्णय को रबी फसलों में भी अनुपालन किया जायेगा और उसी के अनुसार सभी अधिसूचित फसलों पर घोषणा की जायेगी। इसके साथ ही किसानों की खरीद की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सभी राज्य सरकारों को केन्द्र की तरफ से एडवाइजरी भेजी जायेगी, जिससे की उनकी सभी फसलों को उचित दाम सुनिश्चित किया जा सकेगा। पर्याप्त पैदावार होने वाली फसलों के आयात को रोकने के लिए कानून सम्मत हर संभव प्रयास किया जायेगा। खरीद के लिए अनुमत अवधि को 90 दिन किया जायेगा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन के सम्बंध में उठाये गये मुददों पर कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जायेगा। सह समिति फसल बीमा योजना एवं किसान क्रेडिट कार्ड योजना के कार्यान्वयन में आ रही परेशानियों पर किसान संगठनों से विमर्श के उपरांत अपनी संस्तुति देगी और अंतिम मांग के अनुसार जंगली पशुओं द्वारा फसलों को हो रहे नुकसान के सम्बंध में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दिशा निर्देशों में संशोधन करके इस जोखिम को योजना में पायलट आधार पर शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की ओर से मिले आश्वासन पर ये यात्रा समाप्त कर दी गयी है।

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