बिहार में विजय सिन्हा बने स्पीकर

बिहार में विजय सिन्हा बने स्पीकर

पटना। बिहार में नीतीश कुमार ने सिर्फ तीन विधायकों के बहुमत से सरकार बनायी। मुख्य विपक्षी तेजस्वी यादव का महागठबंधन अभी जोड़ तोड़ की राजनीति में परिपक्व नहीं है। अनकी जगह भाजपा होती तो शायद बाजी पलट जाती। महागठबंधन के प्रत्याशी अवध बिहारी चौधरी को सिर्फ 114 मत मिले जबकि एनडीए के प्रत्याशी विजय सिन्हा ने 126 मत प्राप्त किये हैं। एनडीए के पास सिर्फ 125 विधायक हैं। इस प्रकार एक विधायक तोड़ने में एनडीए को सफलता मिली है जबकि कठघरे में राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू यादव खड़े किये जा रहे हैं। उनका एक आडियो जारी किया गया जिसमें वह भाजपा विधायक ललन पासवान को लालच देकर मंत्री बनाने और मतदान से अनुपस्थिति रहने का सुझाव दे रहे हैं। इस प्रकार विपक्ष की रणनीति फेल हो गयी है। भाजपा ने विजय सिन्हा को स्पीकर बनवाकर अपना जातीय समीकरण भी पुख्ता किया है। भाजपा ने जद(यू) से ज्यादा विधायक जुटाने में सफलता प्राप्त की है और पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियों को भाजपा का वोट बैंक बना रहे हैं।

बिहार विधानसभा स्पीकर के चुनाव में एनडीए की जीत हुई है। सदन में स्पीकर पद का चुनाव हुआ और एनडीए के उम्मीदवार विजय सिन्हा नए विधानसभा अध्यक्ष चुने गए। इस दौरान महागठबंधन के विधायकों की ओर से चुनावी प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए गए और गुप्त मतदान की अपील की गई। हालांकि, उनकी अपील को ठुकरा दिया गया। एनडीए के उम्मीदवार को 126 और महागठबंधन को 114 वोट मिले हैं। नतीजों के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने स्पीकर को उनकी कुर्सी तक पहुंचाया और बधाई दी। तेजस्वी यादव ने सदन में आरोप लगाया कि आज पूरा देश देख रहा है कि खुलेआम चोरी हो रही है, अगर ऐसे सदन चलेगा तो हमें बाहर ही कर दीजिए। तेजस्वी की मांग है कि जो विधानसभा के सदस्य नहीं हैं, उन्हें मतदान के वक्त मौजूद नहीं रहना चाहिए। राजद का कहना है कि नीतीश सदन का हिस्सा नहीं हैं। अशोक चौधरी का नाम भी लिया। एनडीए के विधायकों ने जय श्रीराम के नारे लगाए। इस दौरान नीतीश कुमार भी सदन में मौजूद थे।

महागठबंधन के विधायकों की ओर से वोटिंग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे थे। चुनाव से ठीक पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने आरोप लगाया था कि लालू यादव ने बीजेपी विधायक को फोन कर उनका साथ देने को कहा था। इस पर हंगामा हुआ।

बिहार में इस बार विधानसभा स्पीकर पद के लिए चुनाव हुआ। एनडीए के लिए बीजेपी की ओर से विजय सिन्हा और विपक्ष की ओर से राजद के अवध बिहारी चौधरी मैदान में थे। बिहार में ऐसा करीब 5 दशक के बाद हो रहा था। के पास 125 विधायक हैं, जबकि महागठबंधन के बाद 110 विधायक हैं। एनडीए इससे पहले 1969 में वोटिंग के जरिए स्पीकर का फैसला हो सका था।

सीटों के लिहाज से आरजेडी विधानसभा में भले ही सबसे बड़ी पार्टी है, लेकिन गठबंधन के तहत एनडीए का पलड़ा भारी है। एनडीए को बहुमत का आंकड़ा प्राप्त है। इसके बावजूद आरजेडी ने विधानसभा अध्यक्ष के पद पर अपना प्रत्याशी उतारकर चुनावी प्रक्रिया के जरिए स्पीकर के चुनाव की पठकथा लिख दी। विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर कौन बैठे, यह आमतौर पर विधानसभा में बहुमत के साथ सरकार बनाने वाली पार्टी या गठबंधन तय कर लेती है। विधानसभा स्पीकर को अक्सर सर्वसम्मति के साथ निर्विरोध चुन लिया जाता है। स्पीकर पद पर एक तरह से चुनाव की परंपरा बहुत ही कम देखने को मिलती है। बिहार में विधानसभा अध्यक्ष के लिए यह तीसरी बार चुनाव हुआ है। इससे पहले साल 1967 और साल 1969 में स्पीकर का चयन वोटिंग प्रक्रिया के जरिए तय किया गया था। 1967 के विधानसभा अध्यक्ष के लिए धनिक लाल मंडल सत्तापक्ष की ओर से प्रत्याशी थे। जबकि विपक्ष ने सरदार हरिहर सिंह को उतरा था। इसमें धनिक लाल मंडल विधानसभा के अध्यक्ष चुने गए थे। बिहार में दूसरी बार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव की नौबत 11 मार्च, 1969 को आई। कांग्रेस नेता हरिहर प्रसाद सिंह ने सत्ता पक्ष की ओर से रामनारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव रखा, जगदेव प्रसाद ने इसका अनुमोदन किया। वहीं। विपक्षी खेमे की ओर से कर्पूरी ठाकुर ने अध्यक्ष पद के लिए धनिक लाल मंडल के नाम का प्रस्ताव किया और इसका अनुमोदन राम अवधेश सिंह ने किया। इसके बाद हुए चुनाव में राम नारायण मंडल को अध्यक्ष बनाए जाने के पक्ष में 155 जबकि विपक्ष में 149 वोट पड़े। इस तरह से विपक्ष को मात खानी पड़ी थी। इस बार बिहार के कुल 243 विधानसभा सदस्य हैं, जिनमें से 123 सदस्यों के वोट पाने वाला ही स्पीकर चुना जाना था। एनडीए के पक्ष में 126 विधायकों का समर्थन हासिल है, जिनमें बीजेपी 74, जेडीयू के 43, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के 4, वीआईपी के चार और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। विपक्षी खेमे में महागठबंधन के साथ 110 विधायक हैं, जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 16 विधायकों का समर्थन है। इसके अलावा सात विधायक अन्य के पास हैं, जिनमें 5 एआईएमआई, एक एलजेपी और एक बसपा के विधायक हैं।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव पर बड़ा आरोप लगाया है। सुशील मोदी ने दावा किया है कि लालू यादव ने जेल से ही भारतीय जनता पार्टी के एक विधायक को फोन कर उनके साथ आने का लालच दिया। दावा किया गया है कि लालू यादव ने जेल से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ललन पासवान को फोन किया, मंत्री पद का लालच दिया और उनके साथ आने को कहा। लल्लन पासवान बिहार की पीरपैंती विधानसभा सीट से विधायक हैं।

लालू प्रसाद यादव द्वारा छक्। के विधायक को बिहार विधान सभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव में महागठबंधन के पक्ष में मतदान करने हेतु प्रलोभन देते हुए।

लालू यादव ने जिन बीजेपी विधायक को फोन किया, उन लल्लन यादव का दावा है कि जब फोन आया तब वो सुशील मोदी के साथ ही थे। ऐसे में जब उनके पीए ने लालू यादव के फोन की जानकारी दी, तो वो हैरान हुए। लेकिन उन्होंने बाद में बात की। इस ऑडियो के सामने आने के बाद बीजेपी के विधायक नीरज सिंह ने मांग की है कि लालू यादव को रांची से शिफ्ट करके तिहाड़ जेल में भेज देना चाहिए। हालांकि, राजद की ओर से कहा गया है कि सुशील मोदी का आरोप बेबुनियाद है और काफी लोग लालू यादव की आवाज निकाल सकते हैं। बहरहाल, विजय सिन्हा स्पीकर बन गये हैं। (हिफी)

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