गलत आचरण से बचाकर बच्चों को ढालें अच्छे संस्कारों की ओर- प्रवेन्द्र

गलत आचरण से बचाकर बच्चों को ढालें अच्छे संस्कारों की ओर- प्रवेन्द्र

मुजफ्फरनगर। होली चाइल्ड पब्लिक इण्टर कॉलेज, जडौदा, मुजफ्फरनगर के सभागार में पोजिटिव पेरेटिंग वर्कशॉप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ आज के मुख्य वक्ता एवं अतिथि शिक्षाविद भुजेन्द्र कुमार प्रधानाचार्य, सरस्वती शिशु मन्दिर, साकेत मुजफ्फरनगर एवं प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया।

भुजेन्द्र कुमार ने अपने सम्बोधन में बताया कि आज के परिवेश में इस तरह की पेरेटिंग वर्कशॉप अभिभावकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चे का रोल मॉडल स्वयं को बनना होगा न कि किसी फिल्म स्टार को। हम अपने बच्चों में हमेशा कमियां ढूंढते हैं जबकि कमियाँ कम और अच्छाईयाँ ज्यादा होती है। उन्होंने कहा कि अतः आप सबसे अनुरोध है कि आप अपने बच्चों की कमियों के साथ-साथ अच्छाईयों की लिस्ट बनाये और कमियों को धीरे-धीरे दूर करने की, और अच्छाईयों की प्रशंसा करते रहें। इससे आप देखोगें कि धीरे-धीरे आपका बच्चा एक संस्कारी बच्चा बनता चला जायेगा, क्योंकि मनोविज्ञान के अनुसार जिस भी चीज की हम पुर्नावृत्ति करते है उसमें वृद्धि होती जाती है। हमें अपने बच्चे की रूचि का भी ध्यान रखना चाहिए, कभी अपनी इच्छाएं बच्चे पर नहीं थोपनी चाहिए, क्योंकि बच्चा जिस चीज में उसकी रूचि होती है उसमें 100 प्रतिशत देता है। बच्चा विद्यालय में किताबी ज्ञान अर्जित करता है विद्यालय उसको सामाजिक ज्ञान देने की भी कोशिश करता है मगर सामाजिक ज्ञान बच्चा अपने माता-पिता और परिवार से 90 प्रतिशत सीखता है।

उन्होंने कहा कि आप यदि अपने बच्चे को संस्कारी बनाना चाहते हो तो वे संस्कार पहले स्वयं में लाने होगें, पहले की अपेक्षा आज के समाज में बहुत परिवर्तन आ गया है, पहले बच्चा माता-पिता से डरता था, मगर अब बच्चे माता-पिता से डरने लगे हैं, इसमें दोष बच्चे की अपेक्षा कहीं न कहीं हमारे समाज और माता-पिता के परवरिश में है, हम अपने बच्चे को पर्याप्त समय ही नहीं दे पा रहे है, यदि आप अपने बच्चे को प्रत्येक दिन समय देगें तो आपको अपने बच्चे से डरने की आवश्यकता नहीं होगी। अपने बच्चे के सामने उसके शिक्षक की बुराई कभी नहीं करनी चाहिए, यदि आप ऐसा करते है तो बच्चा अपने शिक्षक का सम्मान नहीं कर पायेगा और सम्मान नहीं करेगा तो शिक्षा भी ग्रहण नहीं कर पायेगा।

प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने अभिभावकों को सुझाव दिये कि अपने बच्चों को विद्यालय में नियमित रखें क्योंकि नियमित होकर ही बच्चे विभिन्न विषयों में अपनी पकड़ बना लेते है। अपने बच्चों को विद्यालय भेजते समय उसको आने-जाने का ध्यान रखे और साथ ही साथ उसकी संगत के बच्चों का विशेष ध्यान दें क्योंकि गलत संगत से बच्चें के अन्दर कुसंस्कार पैदा होते है और बच्चा गलत आदतों को अपना लेता है। सभी अभिभावकों को विद्यालय आकर शिक्षकों से अपने बच्चे के विषय में जानकारी लेते रहना चाहिए, क्योंकि किशोरवस्था में हार्मोंश के कारण बच्चों के व्यवहार में बदलाव आता है, यहीं समय जब बच्चें की निगरानी की जाये, जिससे बच्चे को गलत आचरण से बचाया जा सकता है और अच्छे संस्कारों की ओर ढाला जा सकता है। अभिभावकों को घर के माहौल में भी बदलाव लाना होगा क्योंकि बच्चे परिवार के माहौल से जल्दी सीखते है, बच्चों से सकारात्मक बातें करें उन्हें प्रेरणादायक कहानी और किस्से सुनायें। आज के दौर में कक्षा में प्रथम इतना महत्वपूर्ण नहीं जितना बच्चे को संस्कारी एवं अनुशासित बनाना है, इसलिए अपने बच्चों को घर थोडा समय अवश्य दें और उनकी मन की बातों को ध्यान से सुनें।

अंत में प्रधानाचार्य प्रवेन्द्र दहिया ने अतिथियों एवं अभिभावकों का आभार व्यक्त किया और उन्हें कार्यशाला द्वारा दिये महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर अमल करके अपने बच्चों को संस्कारी एवं सफल बनाने की प्रेरणा दी। साथ ही साथ अभिभावकों को अभिभावक की डायरी नाम की पुस्तक दी गयी। कार्यक्रम को सफल बनाने में इन्दु सहरावत, रजनी शर्मा, सुरेखा, अजीत सिंह, सचिन कश्यप, सतकुमार, आजाद सिंह, जितेन्द्र कुमार, रूपेश कुमार, शुभम कुमार आदि शिक्षकों को विशेष सहयोग रहा।

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