समस्या: गृह कलह में उलझी सरकार

समस्या: गृह कलह में उलझी सरकार

चंडीगढ़। पंजाब में एक साथ कई समस्याएं खड़ी हो गयीं। केन्द्र सरकार ने किसानों की उपज बेचने के लिए राज्य की सीमा खोलने के साथ ही खेती का ठेका आदि के कानून बनाए तो किसानों का गुस्सा भड़क उठा। किसान रेल की पटरी पर बैठे तो रेलवे ने मालगाड़ियों का संचालन रोक दिया। इससे कोयले की आपूर्ति ठप हो गयी और थर्मल पावर स्टेशनों पर बिजली का उत्पादन कम हो गया। ये सभी समस्याएं इतनी न उलझतीं अगर कांग्रेस की सरकार और संगठन में सब कुछ ठीक होता। पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दुलो अपनी खिचड़ी अलग पका रहे थे। पंजाब के आंदोलनकारियों से जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मिलने से मना कर दिया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दे रहे थे। उस समय प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दुलो उसमें शामिल नहीं हुए। मालगाड़ियां चलाने का आग्रह करने के लिए पंजाब के सभी सांसदों की रेलमंत्री पीयूष गोयल के साथ नई दिल्ली में बैठक होनी थी। इससे पहले ही प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दुलो ने रेलमंत्री से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। इसके बाद तय समय पर जब पंजाब के 8 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल रेलमंत्री से मिलने पंहुचा तो उन्होंने यह कहकर रेलगाड़ी चलाने से साफ इंकार कर दिया कि जब तक ट्रैक खाली नहीं हो जाते, तब तक ट्रेनें नहीं चलेंगी। इसके बाद सरकार यह कहती रही है कि ट्रैक खाली हैं तो रेलमंत्री को विश्वास नहीं हो रहा था। अब रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दावा किया कि 7 नवम्बर से मालगाड़ियों का आवागमन शुरू हो सकता है।

पंजाब में रेल सेवा और मालगाड़ियों के संचालन को लेकर राज्य सरकार और भारतीय रेलवे के बीच तनाव जारी है। एक तरफ जहां पंजाब सरकार का दावा है कि राज्य में मालगाड़ियों के परिचालन के लिए सभी रेलवे ट्रैक खाली करा दिए गए हैं। वहीं, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दावा किया है कि राज्य में कई जगहों पर प्रदर्शनकारी किसान रेलवे ट्रैक पर डटे हुए हैं। रेलवे के मुताबिक आंदोलनकारी किसानों ने रेल परिसर, प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रैक समेत विभिन्न स्थानों पर डेरा डाल रखा है. जिसकी वजह से ट्रेनों का संचालन नहीं हो पा रहा है. रेलवे ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा बाधित की गई रेल पटरियों के मामले में पंजाब सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया है। पंजाब में रेलवे परिचालन बाधित होने के मामले पर राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के कुछ ही घंटे बाद रेलवे ने ट्वीट करके प्रतिक्रिया दी। बता दें कि पंजाब सरकार ने कहा था कि राज्य सरकार के मनाने पर 30 से ज्यादा किसान संगठनों ने मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए राज्य में पटरियों को खाली कर दिया है. पंजाब में मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए पूरा रेल नेटवर्क बिल्कुल साफ है। पंजाब में रेलवे परिचालन बाधित होने के मामले पर राज्य सरकार द्वारा जारी बयान के कुछ ही घंटे बाद रेलवे ने ट्वीट करके प्रतिक्रिया दी। किसान संगठनों ने हाल में पारित कृषि कानूनों के खिलाफ रेलवे पटरियों एवं स्टेशन परिसरों में प्रदर्शन शुरू किया था. जिसकी वजह से 24 सितंबर से ही रेल सेवा बाधित है. रेलवे के अनुसार रेल की पटरियों के आस-पास जारी आंदोलन की वजह से रेलवे को करोड़ों का नुकसान हो चुका है। रेलवे के अनुसार किसान आंदोलन के चलते 2,225 से अधिक मालगाड़ियों का संचालन नहीं हो सका है. इसके अलावा 1,350 से अधिक गाड़ियों को रद्द या रूट डायवर्ट किया गया है. रेलवे के अनुसार रेल की पटरियों के आस-पास जारी आंदोलन की वजह से रेलवे को करोड़ों का नुकसान हो चुका है। पंजाब में किसान आंदोलन के कारण रेल यातायात बुरी तरह प्रभावित है. राज्य में अब भी कई जगहों पर किसान रेलवे ट्रैक पर डटे हुए हैं. रेलवे के मुताबिक आंदोलनकारी किसानों ने रेल परिसर, प्लेटफॉर्म और रेलवे ट्रैक समेत 32 स्थानों पर डेरा डाल रखा है. जिसकी वजह से ट्रेनों का संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रदेश के तमाम थर्मल पावर प्लांट्स में कोयले की सप्लाई भी नहीं हो पा रही है. जिससे राज्य में बिजली कटौती भी करनी पड़ रही है।

रेलवे ने एलान किया कि रेल ट्रैक खाली होते ही पंजाब में ट्रेनों की आवाजाही बहाल कर दी जाएगी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वीके यादव ने 6 नवम्बर को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की। यादव ने बताया कि पंजाब के मुख्य सचिव ने भरोसा दिया है कि प्रदेश में प्रदर्शनकारी किसानों से सभी रेल ट्रैक खाली करवा लिए जाएंगे। इसके बाद रेलवे पंजाब में यात्री और मालगाड़ियां चलाने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार की ओर से यह भी जानकारी दी गई है कि 15 स्थानों से ट्रैक खाली करा लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि आरपीएफ के डीजी अरुण कुमार पंजाब के डीजीपी के संपर्क में हैं और वहां यात्रियों और रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर हालात पर करीब से नजर रखे हुए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस के सहयोग से रेल ट्रैक खाली कराए जा रहे हैं।

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया कि पंजाब सरकार का पत्र भी रेल मंत्रालय को मिल गया है, जिसमें राज्य सरकार ने सूबे में ट्रेनों की सुरक्षा का भरोसा भी दिलाया है। उन्होंने कहा कि इस समय कोयले से लदीं मालगाड़ियां प्रदेश से बाहर खड़ी हैं, जिन्हें ट्रैक खाली होते ही सिग्नल दे दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि 22 अक्तूबर को मालगाड़ियों की आवाजाही शुरू की गई थी लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रेनें रोककर उनकी चेकिंग शुरू कर दीं, जिसके चलते रेलों की आवाजाही बंद करनी पड़ी।

रेल ट्रैक खाली किए जाने संबंधी खबरों पर भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रधान बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार से उन्हें कोई संदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वे पहले ही एलान कर चुके हैं कि मालगाड़ियों को नहीं रोका जाएगा लेकिन यात्रीगाड़ियों को नहीं चलने देंगे। वे अपने एलान पर अब भी कायम हैं और केवल मालगाड़ियों को ही चलने दिया जाएगा। किसानों ने रेल ट्रैक पहले ही खाली कर दिए हैं और रेलवे स्टेशनों पर जारी धरना भी स्थान बदल कर स्टेशनों के पार्कों में ले जाया गया है। इस तरह प्लेटफार्म भी खाली कर दिए गए हैं। राजेवाल ने चेतावनी दी कि अगर यात्री ट्रेनें चलाई गईं तो किसान संगठन उन्हें अवश्य रोकेंगे।

बहरहाल, मालगाड़ियों के संचालन का मामला तो सुलझता दिख रहा है लेकिन सवारी गाड़ी भी तो चलनी चाहिए। (हिफी)

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