बिहार में दबाव की राजनीति

बिहार में दबाव की राजनीति

पटना। अब तक भाजपा महाराष्ट्र में शिवसेना पर आरोप लगाती थी कि उद्धव ठाकरे दबाव की राजनीति में काम कर रहे हैं। अब बिहार में भाजपा को भी उसी तरह की दबाव की राजनीति का सामना करना पड़ रहा है। सरकार में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा है लेकिन अरुणाचल प्रदेश में जद(यू) के विधायकों को तोड़ने के बाद भाजपा खुद दबाव में आ गयी है। यही कारण रहा कि बिहार में मंत्रिमंडल में विस्तार पर चर्चा करने के लिए भाजपा के प्रभारी खुद जद(यू) के प्रदेश अध्यक्ष से मिलने पहुंचे। मौके का फायदा उठाने में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी भी किसी से पीछे नहीं हैं। भाजपा और जद(यू) की तनातनी देखकर उन्होंने भी नीतीश की सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। नीतीश के लिए इस समय जीतनराम मांझी ज्यादा महत्वपूर्ण है। मांझी ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा दिसम्बर 2020 में ही कर दी थी। अरुणाचल में विधायकों के मामले को जद(यू) ने अभी ज्यादा तवज्जो नहीं दिया है लेकिन नीतीश कुमार भाजपा की इस हरकत को भूल नहीं पाएंगे। उनके इस कोल्ड वार में मांझी सहायक हो सकते हैं। इसीलिए मांझी चाहते हैं कि कैबिनेट विस्तार में उनकी पार्टी को एक पद और मिले। साथ ही विधान परिषद में भी हम को एक सीट दी जाए। बिहार में विधान परिषद की 2 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होना है।

14 जनवरी के बाद संभावित नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के विस्तार से पहले बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव और प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जनता दल यूनाइटेड के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह से मुलाकात की। दिलचस्प बात यह थी कि आरसीपी सिंह से मुलाकात करने के लिए भूपेंद्र यादव और संजय जायसवाल खुद जनता दल यूनाइटेड के दफ्तर गए।

आरसीपी सिंह से मुलाकात के बाद जब भूपेंद्र यादव मीडिया के सामने आए तो पत्रकारों ने उनसे नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर हो रही देरी पर सवाल पूछा। जिसके जवाब में भूपेंद्र यादव ने कहा कि उपयुक्त समय पर सब कुछ हो जाएगा। भूपेंद्र यादव ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ चर्चा कर रहा है।


भूपेंद्र यादव ने कहा कि उपयुक्त समय पर सब हो जाएगा। शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संपर्क में है और उनसे चर्चा कर रहा है। उपयुक्त समय पर इसका निर्णय हो जाएगा। बीजेपी नेताओं के साथ मुलाकात को लेकर आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश मंत्रिमंडल के विस्तार का मामला कोई बहुत पेंचीदा नहीं है। आरसीपी सिंह ने कहा कि मंत्रिमंडल का विस्तार कोई बहुत बड़ा मामला नहीं है। दोनों दलों के बीच में बराबर संवाद कायम है और उपयुक्त समय पर मंत्रिमंडल विस्तार हो जाएगा। मंत्रिमंडल का विस्तार मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और सही समय पर यह हो जाएगा।

वहीं, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी के द्वारा संभावित कैबिनेट विस्तार में एक मंत्री पद और एक एमएलसी सीट की मांग को लेकर भी आरसीपी सिंह ने कहा कि एनडीए के चारों घटक दल के बीच अच्छा तालमेल है। जो भी बातें होंगी हम सब मिल बैठकर तय कर लेंगे।

नीतीश मंत्रिमंडल की विस्तार के संभावनाओं के बीच हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने अब प्रेशर पॉलिटिक्स की शुरुआत कर दी है। मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि वह जब भी अपने कैबिनेट का विस्तार करते हैं तो उन्हें एक और मंत्री पद दिया जाए और साथ ही बिहार विधान परिषद में एक सीट दी जाए।

पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए जीतन राम मांझी ने कहा था कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करके दबाव बनाएंगे ताकि कैबिनेट विस्तार में उनकी पार्टी को एक और मंत्री पद मिले और साथ ही एक एमएलसी सीट भी उनकी पार्टी को मिले।

जीतन राम मांझी की तरफ से यह मांग चुनाव आयोग के द्वारा बिहार विधान परिषद की खाली 2 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव के ऐलान के साथ उठाई गई है। जीतन राम मांझी ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात करूंगा और उनसे बिहार विधान परिषद में 1 सीट और एक और मंत्री पद देने के लिए कहूंगा। मुझे लगता है कि वह मेरे आग्रह को पूरा करेंगे। जीतन राम मांझी ने, हालांकि, स्पष्ट किया अगर उनकी पार्टी को विधान परिषद में 1 सीट मिलती है तो वह उनके परिवार के किसी सदस्य को नहीं जाएगा बल्कि वह अपने पार्टी के किसी नेता को एमएलसी बनाएंगे। पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व विधान पार्षद विनोद नारायण झा के इस्तीफे के बाद विधान परिषद की 2 सीटों के लिए चुनाव होने हैं।

एक तरफ जहां सुशील कुमार मोदी अब राज्यसभा के सदस्य हो गए हैं वहीं दूसरी तरफ विनोद नारायण झा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और बेनीपट्टी से विधायक हो गए हैं।

बिहार में बीजेपी की सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में उतरने का भी फैसला किया है। बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की गत दिनों पटना में राष्ट्रीय परिषद की बैठक थी। इसी दौरान ये तय किया गया कि पार्टी अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी और चुनाव लड़ेगीं। बैठक में इस बात को लेकर विचार किया गया कि पार्टी को ज्यादा मजबूत करने और उसका विस्तार करने के लिए बंगाल में चुनाव लड़ना जरूरी है। बंगाल में विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी ने अपने सभी कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर तैयार रहने के लिए कहा है। हाल में ही संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने अच्छा प्रदर्शन किया था। पार्टी 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 4 सीटों पर जीत हासिल की थी। बिहार में मिली सफलता से जीतन राम मांझी की पार्टी गदगद है और फैसला लिया है कि उनकी पार्टी बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ेगी। राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जीतन राम मांझी ने बिहार विधानसभा चुनाव में कार्यकर्ताओं की मेहनत को सराहते हुए कहा कि उनकी वजह से ही पार्टी आज मजबूत स्थिति में है।

हालांकि, राष्ट्रीय परिषद की बैठक में जीतन राम मांझी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि बंगाल विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी या फिर कितने प्रत्याशी उतारेगी। लेकिन इस मुद्दे पर पार्टी में मंथन जारी है। बता दें कि जीतन राम जिस समुदाय से आते हैं उसके मतदाताओं की बंगाल में अच्छी खासी तादाद है। यहीं से नीतीश कुमार भाजपा पर निशाना लगा सकते हैं। भाजपा अकेले दम पर ममता बनर्जी को घेर रही है जबकि जीतनराम मांझी एक ताकत बनकर वहां उभर सकते हैं। (हिफी)

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