चिराग की रणनीति फेल की नीतीश ने

चिराग की रणनीति फेल की नीतीश ने

पटना। बिहार की राजनीति में रामविलास पासवान को राजनीति का मौसम विज्ञानी कहा जाता था और उनके फैसले सटीक भी साबित हुए। लालू यादव का साथ छोडकर 2014 में वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के साथ चले गये और उनको 6 सांसद मिल गये थे जबकि नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड (जदयू) को सिर्फ दो सांसद मिल पाये। उन्हे अपने बेटे चिराग पासवान की राजनीतिक समझ पर भरोसा भी था। इसीलिए पार्टी की कमान सौंप दी थी और चिराग को स्वतंत्र रूप से फैसले लेने की छूट दे दी थी। राज्य में जब विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका था, उसी समय रामविलास पासवान बीमार पड़ गये और उनकी मौत हो गयी। चिराग पासवान ने उस समय जो राजनीतिक फैसला लिया था, वो गलत साबित हुआ। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा।

हालांकि इसके पीछे भी भाजपा की कूटनीति बतायी जा रही थी। चिराग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम बताते हुए स्वयं को उनका हनुमान कहते थे और नीतीश कुमार के खिलाफ ताल ठोंक रहे थे। मजे की बात यह थी कि भाजपा ने भी नीतीश कुमार को ही चेहरा बनाकर बिहार विधानसभा का चुनाव लड़ा था। इसी का नतीजा यह निकला कि लोजपा को सिर्फ एक विधायक मिल पाया था। चिराग पासवान उसको भी संभाल नहीं पाए। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जदयू को भाजपा से लगभग आधी सीटें ही मिल पायी थीं और चिराग पासवान से उसी समय से खुन्नस खाए थे। नीतीश कुमार ने 6 अप्रैल को लोजपा को बड़ा झटका दिया है। दूसरे शब्दों में ऐसा भी कहा जा सकता है कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने लोजपा को निपटा दिया है।

लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के पटना स्थित प्रदेश कार्यालय में इसी साल फरवरी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की अध्यक्षता में सभी विधानसभा प्रत्याशियों, पूर्व और वर्तमान सांसदों और विधायकों की बैठक हुई थी। इस मीटिंग में पार्टी के पदाधिकारी भी शामिल हुए। पार्टी की तरफ से बैठक को लेकर जो जानकारी दी गई उसके हिसाब से हाल में संपन्न बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार और हाल के दिनों में पार्टी में हुई टूट पर चर्चा की गई। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही निशाने पर रहे थे। चिराग पासवान ने सीएम नीतीश पर जमकर हमला बोला था। चिराग पासवान ने यह दावा करते हुए कहा कि सूबे में नीतीश कुमार की सरकार अधिक दिनों तक नहीं चल पाएगी। उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से संगठन को मजबूत करने में जुट जाने को कहा था। साथ ही कहा कि हमें अगले चुनाव के लिए गठबंधन की चिंता नहीं है, इसकी चिंता तो उन्हें करनी चाहिए जो हमारे कारण हारते हैं। चिराग ने इशारों इशारों में यह भी दावा किया कि वो हमारे पास गठबंधन के लिए फिर से आएंगे। स्पष्ट है कि उनका निशाना जनता दल युनाइटेड की तरफ था। इससे नीतीश कुमार का गुस्सा और बढ गया था। वे भाजपा की कूटनीति को भी समझ रहे थे । इसीलिए लोजपा के इकलौते विधायक पर उन्होंने जाल डाला और सफलता भी मिल गयी।

लोजपा के एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह ने जेडीयू का दामन थाम लिया। इसके बाद बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने लोजपा विधायक दल की जेडीयू में विलय की मान्यता दे दी। बेगूसराय के मटिहानी विधानसभा से लोजपा के टिकट पर जीत कर आए और विधानसभा पहुंचे राजकुमार सिंह काफी दिनों से जदयू के संपर्क में थे। कई दफे उन्होंने खुलकर सरकार का समर्थन किया था। उन्होंने 6 अप्रैल को विधिवत लोजपा छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया। मटिहानी से विधायक राजकुमार सिंह ने बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय सिन्हा के समक्ष उपस्थित होकर जेडीयू के सदस्य के रूप में मान्यता देने का अनुरोध किया था। जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा एवं सत्ताधारी जेडीयू के मुख्य सचेतक श्रवण कुमार ने भी विलय पर अपनी सहमति की सूचना दी थी। विधानसभा सचिवालय की तरफ से जारी पत्र में कहा गया कि भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष ने लोक जनशक्ति पार्टी विधायक दल को जनता दल यूनाइटेड विधायक दल में विलय की मान्यता प्रदान की है। आज से राजकुमार सिंह जनता दल यूनाइटेड विधायक दल के सदस्य के रूप में अधिसूचित किए जाते हैं।

बिहार में पिछले साल हुए चुनाव में लोजपा अपने दम पर चुनाव लड़ी थी। लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने खासकर जेडीयू के सभी कैंडिडेट्स के खिलाफ उम्मीदवार उतार कर नीतीश कुमार को झटका देने की पूरी कोशिश की थी। लोजपा छोड़ चुके राजकुमार सिंह को भी चिराग पासवान ने जेडीयू कैंडिडेट बोगो सिंह के खिलाफ मटिहानी के रण में उतारा था। राजकुमार सिंह ने जेडीयू के विधायक रहे बोगो सिंह को मटिहानी विधानसभा चुनाव में हराकर जीत हासिल की थी।चुनाव जीतने के बाद से ही उनकी नजदीकियां जेडीयू से बढ़ने लगी थीं। कई बार वे मंत्री अशोक चैधरी व अन्य जेडीयू नेताओं के आवास पर भी देखे गए थे। उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की जमकर तारीफ भी की थी। हाल ही में बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने जेडीयू विधायक महेश्वर हजारी के पक्ष में विस में मतदान भी किया था। इसके बाद लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने विधायक राजकुमार सिंह से शो-कॉज की नोटिस देकर जवाब मांगा था। जेडीयू के समर्थन पर शो-कॉज पूछे जाने के बाद ये कयास लगने लगे थे कि वे बहुत जल्द जेडीयू का दामन थाम सकते हैं।

जेडीयू के वरिष्ठ विधायक और पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष चुने गये हैं। विधानसभा में हुई वोटिंग में उनके पक्ष में 124 सदस्यों ने वोट किया। महेश्वर हजारी को भाजपा, जेडीयू , हम और वीआईपी के विधायकों के साथ साथ मटिहानी से जीत कर आए लोजपा के इकलौते विधायक राजकुमार सिंह ने भी वोट किया, जोकि चैंकाने वाला था। जेडीयू और नीतीश कुमार के धुर विरोधी चिराग पासवान की पार्टी के विधायक का यह कदम उसी समय भविष्य के कई संकेत दे गया है। इसके बाद आनन फानन में लोजपा ने अपने विधायक को कारण बताओ नोटिस थमा दिया। लोजपा के प्रधान महासचिव अब्दुल खालिक ने राजकुमार सिंह को पार्टी से बिना परामर्श किए जेडीयू उम्मीदवार को वोट करने पर जल्द जवाब देने को कहा था। इसके कुछ दिन पहले लोजपा विधायक ने बिहार सरकार के मंत्री और सूबे के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी से मुलाकात की थी और उस दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने नीतीश कुमार की खूब तारीफ की थी। इसके बाद से उनके जेडीयू के साथ नजदीकियों के कयास लगाए जा रहे थे और अब जब उन्होंने पार्टी लाइन से हटकर सदन में उपाध्यक्ष पद के जेडीयू उम्मीदवार महेश्वर हजारी को वोट किया है तो ये साफ हो गया है कि अब लोजपा विधायक का अगला कदम क्या होगा।

बिहार विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन में सत्ता पक्ष के तीन सदस्यों ने भाग नहीं लिया था। इनमें श्रेयसी सिंह, सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह और एक अन्य शामिल थे। इधर विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए मतदान शुरू होते ही सदन से छह मंत्री स्वतः बाहर चले गये. इनमें भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, खान एवं भूतत्व मंत्री जनक राम, पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी, पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी, जल संसाधन मंत्री संजय झा और लघु जल संसाधन व एससी-एसटी मंत्री संतोष कुमार सुमन शामिल थे। ये सभी मंत्री विधान परिषद के सदस्य होने के कारण विधानसभा उपाध्यक्ष के निर्वाचन में भाग नहीं ले सकते थे। चिराग पासवान उस समय नीतीश कुमार की सरकार पर दबाव बना सकते थे लेकिन उनके अपने विधायक ने ही उनसे यह अवसर छीन लिया था।

यह भी ध्यान देने की बात है कि एलजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने नीतीश सरकार द्वारा लागू शराबबंदी की आलोचना की थी। चिराग पासवान ने कहा था कि इसके नाम पर बिहारियों को तस्कर बनाया जा रहा है। बिहार की माताएं-बहनें अपनों को तस्कर बनते नहीं देखना चाहतीं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ-साथ सभी मंत्रियों को भी पता है कि रोजगार के अभाव में यहां के लोग शराब तस्करी की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन सरकार को मानो सांप सूंघ गया है। चिराग ने सूबे की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए और कहा कि आए दिन यहां हत्या, लूट और बलात्कार हो रहे हैं। कानून व्यवस्था के मोर्चे पर नीतीश सरकार पूरी तरह से फेल हो चुकी है। इन सभी का जवाब नीतीश कुमार ने चिराग पासवान को दे दिया है। (हिफी)




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