मंडी में मामूली नोटिस को गुटबाजी के चलते मिली हवा - सचिव ने स्वीकारा

मंडी में मामूली नोटिस को गुटबाजी के चलते मिली हवा - सचिव ने स्वीकारा

मुजफ्फरनगर। शहर की गुड मंडी में व्यापारियों के बीच चलती गुटबाजी के कारण मंडी समिति द्वारा फर्म को दिए गए मामूली नोटिस को हवा मिल गई। मामूली नोटिस सुर्खियां बना तो फर्म ने मंडी समिति को दिया जवाब दिया है। मंडी समिति के सचिव ने खुद स्वीकार किया कि व्यापारियों की गुटबाजी के चलते मामूली नोटिस का मामला तूल पकड़ गया।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर शहर के नई मंडी में स्थित गुड मंडी में मैसर्स चतरसेन - अनिल कुमार के नाम से अंकित गर्ग द्वारा फर्म का संचालन किया जाता है। यह फर्म जिन आवक पर मंडी शुल्क लगता है उसके साथ-साथ अन्य आवक पर भी कारोबार करता है। बताया जाता है कि कृषि उत्पादन मंडी उत्पादन समिति के सचिव कुलदीप ने मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म के द्वारा जीएसटी विभाग में दी गई अपनी बिजनेस डिटेल को ई मंडी पोर्टल अभिलेख से मिलान किया तो उसमें लगभग 91 करोड रुपए का अंतर दिखाई दिया। कृषि मंडी उत्पादन समिति के सचिव कुलदीप मलिक ने मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म सहित कई अन्य फर्म के जीएसटी और ई मंडी पोर्टल पर दर्ज अभिलेखों में अंतर को देखते हुए साधारण नोटिस दिया।

कृषि मंडी उत्पादन समिति के सचिव का कई अन्य फर्म को दिया गया नोटिस तो लीक ने हुआ मगर मंडी के व्यापारियों के बीच चलती गुटबाजी के चलते मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म का नोटिस किसी ने लीक कर दिया। आरोप है कि यह नोटिस गुड मंडी के दो गुटों के बीच चल रहे मतभेद के चलते दूसरे गुट के हाथ लग गया और उसने मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म को मिले साधारण नोटिस को इतना तूल दिलाने की कोशिश की कि वह खबरों की सुर्खियां बन गया। दरअसल कृषि मंडी उत्पादन समिति ने साल 2021-22, साल 2022 - 23 तथा साल 2023 - 24 में मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म के जीएसटी और ई मंडी पोर्टल पर दर्ज अभिलेखों में 91 करोड़ 14 लाख 38 हजार 827 रुपए का टर्नओवर में अंतर पाया जिसके चलते मंडी समिति ने मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म को नोटिस दिया और फर्म से इसका जवाब मांगा।

बताया जिस पर मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म ने मंडी समिति को 28 नवंबर 2024 को ही जवाब दे दिया जिसमें मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म ने लिखा कि उन्होंने जिस आवक पर मंडी शुल्क लगता है, उसका मंडी शुल्क समय से जमा कर दिया जाता रहा है। जिस 91 करोड़ के टर्नओवर की बात की जा रही है, उसमें मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म ने 5 करोड़ 51 लाख 20 हजार 216 रुपए की चोकर, 13 करोड़ 7 लाख 97 हजार 326 रुपए का बेसन, 18 करोड़ 21 लाख 61 हजार 63 रुपए की चीनी तथा इसके अलावा अन्य आवक भी क्रय विक्रय की है जिनका मंडी समिति में शुल्क नहीं देना पड़ता है।

इसके साथ ही द्वितीय आवक का भी शुल्क मंडी समिति में जमा नहीं होता है अगर मंडी समिति के शुल्क में क्रय विक्रय करने वाला आवक यूपी से यूपी में क्रय विक्रय किया जाता है तो उसका भी मंडी समिति को शुल्क नहीं दिया जाता है। इसके साथ ही मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म ने नोटिस के जवाब में जरूरी दस्तावेज प्रमाण पत्रों सहित मंडी समिति को दे दिया है। लेकिन बताया जाता है कि मंडी समिति द्वारा कई फर्मों को दिए गए मामूली नोटिस में से केवल मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म को ही खबरों की सुर्खियां बनना मंडी व्यापारियों की कहीं ना कहीं गुटबाजी का कारण है। मंडी समिति के सचिव कुलदीप मलिक से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने भी इस बात को स्वीकार किया कि व्यापारियों की आपस की गुटबाजी के चलते इस मुद्दे को हवा दी गई है जबकि इस तरह का नोटिस अक्सर व्यापारियों को दिया जाता रहा है। बताया जाता है कि मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म के मालिक अंकित गर्ग द गुड खंड सारी और मर्चेंट एसोसिएशन के उप मंत्री हैं। भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि इस बार लंबे समय बाद मंडी समिति में पदाधिकारी के चुनाव हुए थे। जिसमें से अंकित गर्ग गुट के सभी पदाधिकारी चुनाव जीत गए थे जबकि उनके विपक्षी पदाधिकारी के चुनाव हारने की बात सामने आ रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार चुनाव मैं मिली बुरी हार के कारण दूसरा विरोधी गुट अंकित गर्ग की सिर्फ छवि खराब करने के लिए किया जा रहा है। कुल मिलाकर मंडी के व्यापारियों के बीच चलती गुटबाजी के चलते मैसर्स चतरसेन अनिल कुमार फर्म के नोटिस का मुद्दा तूल पकड़ा दिखाई पड़ रहा है। जबकि मंडी समिति के सचिव का खुद कहना है कि इसमें द्वितीय आवक की भी एंट्री होगी क्योंकि अगर कोई बिजनेस करता है तो उसकी डिटेल अलग होती है और कुछ आवक पर मंडी शुल्क देय नहीं है उनमें से उसको कम कर दिया जाता है।

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