JDU के वरिष्ठ नेता एवं पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत का निधन

JDU के वरिष्ठ नेता एवं पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत का निधन

पटना बिहार में जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के वरिष्ठ नेता एवं पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत का आज तड़के निधन हो गया। वह 69 वर्ष के थे।

पारिवारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि कोरोना से संक्रमित होने के बाद करीब एक सप्ताह पहले उन्हें पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। हालांकि वह पहले से किडनी रोग से जूझ रहे थे। एक दिन के अंतराल पर उनका डायलिसिस किया जा रहा था। अचानक स्थिति नाजुक होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ और अंतत: उनका निधन हो गया।

मुख्यमंत्री एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के काफी करीबी माने जाने वाले श्री कामत मधुबनी जिले के बाबूबरही से विधायक थे। जदयू ने कामत की खराब तबीयत को ध्यान में रखते हुए इस बार के विधानसभा चुनाव में उनकी बहु मीना कामत को बाबूबरही से अपना उम्मीदवार बनाया है।

इससे पूर्व 12 अक्टूबर को बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता तथा पिछड़ा एवं अतिपिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री विनोद कुमार सिंह का हरियाणा में गुड़गांव के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया था। वह भी कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे और ब्रेन हेमरेज होने के बाद उन्हें गुड़गांव के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी नाजुक हालत को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनाव में कटिहार जिले के प्राणपुर सीट से उनकी पत्नी निशा सिंह को प्रत्याशित घोषित किया है।

गौरतलब है कि 11 मई 1951 को मधुबनी जिले में अनोखी कामत के घर जन्में कपिलदेव कामत उच्च शिक्षा हासिल नहीं कर पाए लेकिन राजनीति में उनकी सक्रियता महज 29 वर्ष की उम्र 1980 में ही काफी बढ़ गई थी। वर्ष 1985 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में श्री कामत बाबूबरही सीट से निर्दलीय मैदान में उतर आए लेकिन वह चुनाव हार गए।

कामत पूर्व विधायक गुणानंद झा और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्रा के साथ कांग्रेस में काफी सक्रिय रहे। बाद में वह राष्ट्रीय जनता दल (राजद) में शामिल हो गए। फरवरी 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में कामत को जदयू ने बाबूबरही से अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन राजद प्रत्याशी प्रो. उमाकांत यादव ने उन्हें धूल चटा दी। नवंबर 2005 के चुनाव में जदयू ने श्री कामत को फिर टिकट दिया लेकिन इस बार उन्होंने राजद के प्रो. उमाकांत यादव को हरा दिया। वर्ष 2015 के चुनाव में वह फिर जीते और उन्हें नीतीश सरकार में पंचायती राज मंत्री बनाया गया था।

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