हिमंत का अनुभव आया काम

हिमंत का अनुभव आया काम

नई दिल्ली। कहते हैं सीखा हुआ ज्ञान वक्त जरूरत पर काम आता है। इसे ही अनुभव कहते हैं। इसलिए सीखने में कभी कोताही नहीं करनी चाहिये। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विस्वा सरमा पूर्व की सरकार में स्वास्थ्य विभाग समेत कई मंत्रालय संभाले हुए थे। पहली लहर में असम में कोरोना महामारी की रोकथाम के उपायों के लिए हिमंत बिस्वा सरमा की तारीफ होती थी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के पद पर रहते हुए कोरोना नियमों का उन्होंने सख्ती से पालन करवाया था। उनका वही अनुभव अब बहुत काम आ रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर असम सरकार ने राज्य के शहरी इलाकों में कर्फ्यू को 5 जून तक बढ़ा दिया है। नए दिशानिर्देशों के मुताबिक सभी दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान, सरकारी और प्राइवेट दफ्तर दोपहर एक बजे तक बंद कर दिए जाएंगे। यह कफ्र्यू ही कोरोना संक्रमण की बढ़ती गति को मंद करने में सार्थक रहा है। इस बार का कर्फ्यू अनुभवजन्य भय की देन है। कोरोना के अलावा उनकी सरकार को राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस द्वारा उठाए गये संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) के खिलाफ बन रही हवा से भी लड़ना है।

दरअसल कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर अब उत्तर-पूर्व के राज्यों में जारी है। देश के 8 राज्यों में कोविड के मामलों में बढ़त दर्ज की गई है। इनमें से 6 राज्य उत्तर-पूर्व के हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा बुरे हालात असम में नजर आ रहे हैं। ऐसे में सरकार राज्य में जागरूकता के साथ-साथ दूसरी लहर के प्रभाव को कम करने में जुटी हुई है। असम में बीते महीने कोरोना के मामलों में इजाफा होना शुरू हो गया था। फिलहाल जानकारों ने आशंका जताई है कि देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में असम में मामले सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ सकते हैं। साथ ही हाल ही में संपन्न हुए चुनाव और राजनीतिक रैलियों को भी इनका जिम्मेदार माना जा रहा है। देश के दूसरे समृद्ध राज्यों के अस्पतालों की हालत को देखकर असम में अब अधिकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की तैयारी में जुटे हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि 15 जून तक गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में 200 आईसीयू बिस्तर बढ़ाए जाएंगे।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गत 27 मई को कहा था कि राज्य में टीकों की कमी के कारण प्रतिदिन 50,000 लोगों को ही कोरोना वायरस रोधी टीका लगाया जा रहा है। असम में भी कोरोना वैक्सीन की कमी हो गयी। इससे रोजाना 50 हजार लोगों का ही टीकाकरण हो पा रहा है। अगले महीने स्थिति में सुधार होगा, ऐसी उम्मीद जताई गयी है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि राज्य में टीकों की कमी के कारण प्रतिदिन 50,000 लोगों को ही कोरोनावायरस रोधी टीका लगाया जा रहा है, जो हमारे राज्य के टीकाकरण क्षमता का आधा है। सरमा ने कहा कि सरकार उम्मीद कर रही है कि अगले महीने से टीके की उपलब्धता सुधरेगी और जुलाई-अगस्त तक इसका पर्याप्त भंडार होगा। उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, असम में हमने अब तक लगभग 35 लाख लोगों को टीका लगाया है। हमारे पास प्रतिदिन एक लाख लोगों को टीका लगाने की क्षमता है, लेकिन हम केवल टीकों की कमी के कारण प्रतिदिन लगभग 50,000 टीका लगा रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन दिनों में राज्य में टीका लेने वालों की संख्या में धीरे-धीरे कमी आ रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा देश टीके की कमी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा, ''हमें 45 साल और उससे अधिक की श्रेणी के लिए प्रति माह 5-7 लाख टीके मिल रहे हैं। अन्य 5-6 लाख टीके 18-44 साल की श्रेणी के लिए मासिक प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा, ''मैं यह दावा नहीं करूंगा कि स्थिति में बहुत सुधार हुआ है, लेकिन हम पिछले तीन दिनों में आशा की एक किरण देख रहे हैं क्योंकि संक्रमण की दर में गिरावट आयी है और यह करीब छह प्रतिशत पर पहुंच गया है। सरमा ने हालांकि कहा कि अब ब्लैक फंगस का मुद्दा उत्पन्न हो गया और सरकार उस मोर्चे पर भी काम कर रही है।

असम की नयी सरकार को सीएए पर कुछ लोगों की नाराजगी का भी सामना करना पड रहा है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गत 24 मई को विधानसभा में कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) का विरोध कर रहे जेल में बंद कार्यकर्ता और विधायक अखिल गोगोई मनोवैज्ञानिक समस्याओं से पीड़ित हैं और भावनात्मक असंतुलन तथा मनोरोग के लिये उनका उपचार चल रहा है। राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे सरमा ने गोगोई को विधानसभा सत्र में हिस्सा लेने की इजाजत देने की विपक्षी कांग्रेस की मांग को खारिज कर दिया लेकिन कहा कि सरकार ने किसी के खिलाफ भी कोई नकारात्मक नजरिया नहीं रखा है। मुख्यमंत्री ने कहा, उन्हें (गोगोई को) बताया गया कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वह अपनी मनोवैज्ञानिक समस्याओं के लिये उपचार ले रहे हैं। उनका भावनात्मक असंतुलन और मानसिक बीमारी के लिये इलाज चल रहा है।

तीन दिवसीय सत्र के पहले दिन 21 मई को आरटीआई कार्यकर्ता से नेता बने गोगोई विशेष एनआईए अदालत से मंजूरी के बाद विधायक के तौर पर शपथ लेने के लिये विधानसभा आए थे। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। सरमा ने कहा, वह (गोगोई) उस दिन विधान सभा भवन आए थे। कोविड के नियमों को भूलकर वह सदन में हर किसी सदस्य से मिलने पहुंच गए। यह बीमारी की पूर्व-चेतावनी है। जीएमसीएच (गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल) के चिकित्सकों ने मुझे बताया कि उन्हें बीमारी है। उन्होंने कहा, मैंने डॉक्टरों से पूछा कि वह स्वस्थ दिख रहे हैं, तो आपने उन्हें अस्पताल में क्यों रखा है? क्या यह उन्हें किसी तरह मदद पहुंचाने की कोशिश है? उन्होंने कहा कि नहीं सर, यह उनकी बीमारी है। गोगोई शपथ लेने के तत्काल बाद सभी मंत्रियों, सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों की सीट पर गए और उनसे हाथ मिलाकर या हाथ जोड़कर अभिवादन किया।मुख्यमंत्री ने कांग्रेस विधायक भरत नारा से पूछा कि विधानसभा कैसे एक बीमार व्यक्ति को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत दे सकती है। नारा ने उस दिन विधानसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया था कि गोगोई को सत्र के अन्य दो दिनों की कार्यवाही में हिस्सा लेने की इजाजत दी जाए।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने प्रदेश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों में कथित भूमिका को लेकर दिसंबर 2019 में गोगोई को गिरफ्तार किया था। उन्हें पिछले साल जीएमसीएच में कोविड-19 के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था और वह तब से अन्य बीमारियों के कारण वहीं हैं। सरमा ने कहा, सरकार ने किसी को लेकर कोई नकारात्मक रुख नहीं अपना रखा है। (हिफी)

epmty
epmty
Top