जिंदा साबित करने को बुजुर्ग ने अपनाया तरीका-बोला थारा फूफा हैं जिंदा

जिंदा साबित करने को बुजुर्ग ने अपनाया तरीका-बोला थारा फूफा हैं जिंदा

नई दिल्ली। सरकारी दफ्तरों में अफसर एवं बाबूओं द्वारा की जाने वाली बाजीगीरी कई बार अच्छे खासे जिंदे और पूरी तरह से स्वस्थ व्यक्ति को मार देती है। सरकारी कागजोें में मर चुके 102 वर्ष के बुजुर्ग ने खुद को जिंदा साबित करने के लिए अनोखा तरीका अपनाया और बाकायदा बारातियों के साथ बारात निकालकर अफसरों को दिखाया कि अभी थारा फूफा जिंदा है।

दरअसल रोहतक जनपद के गांधरा गांव निवासी 102 वर्षीय बुजुर्ग दुलीचंद को सरकार की ओर से चलाई जा रही योजना के मुताबिक वृद्धावस्था पेंशन हासिल हो रही थी। लेकिन अफसरों एवं बाबुओं ने अपनी कलम का कमाल दिखाते हुए अच्छे भले स्वस्थ और जिंदा दुलीचंद को अपने कागजातों में मरा हुआ दिखा दिया और मार्च महीने से बुजुर्ग को मिलने वाली पेंशन बंद कर दी।

पेंशन नहीं आने से आर्थिक तंगी झेलने को मजबूर हुए बुजुर्ग व्यक्ति ने अपनी पेंशन शुरू किए जाने को लेकर दफ्तरों के चक्कर काटने शुरू किये और अफसरों एवं बाबूओं से मुलाकात कर खुद को जिंदा बताया और पेंशन आरंभ किए जाने की मांग की। लेकिन दुलीचंद को कागजों को मारकर दफन कर चुके अफसरों एवं बाबूओं ने उसके जिंदा होने की गुहार पर कोई ध्यान नहीं दिया।

बुजुर्ग जब बुरी तरह से दफ्तरों के चक्कर काटते काटते परेशान हो गया तो उसने खुद को जिंदा साबित करने के लिए बड़ा ही अलबेला तरीका अपनाया। बुजुर्ग ने आसपास के लोगों को बाराती के तौर पर इकट्ठा किया और अपने गले में नोटों की माला डालकर बुजुर्ग ने रोहतक के मानसरोवर पार्क से लेकर विश्रामगृह तक अपनी बारात निकाली। दूल्हा बने बुजुर्ग अपने हाथ में एक तख्ती लिये हुए बैठे थे। जिस पर लिखा था कि थारा फूफा अभी जिंदा है।

बारात निकलने के बाद मामला हाईप्रोफाइल हो जाने से अफसरों और बाबुओं के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने किसी तरह से बारात लेकर पहुंचे बुजुर्ग को समझा-बुझाकर वापस भेजा। इस मामले का हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने संज्ञान लिया है और संबंधित अफसरों एवं बाबुओं की क्लास लेते हुए बुजुर्गों की पेंशन शुरू करने के निर्देश दिए हैं।

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