कोरोना ने छीनी शिक्षिका की नौकरी-कचरा गाड़ी चला कर पाल रही पेट

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के दौरान उत्पन्न हुए हालातों के चलते दुनिया भर में लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है। कई लोग अभी तक कोरोना की मार सहते हुए गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे हैं। कोरोना के चलते अपनी नौकरी गंवा देने वाली एक स्कूल टीचर ने नगर निगम की कचरा गाड़ी को चलाने का काम संभाल लिया है।
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के पांव पसारने से पहले तक भुवनेश्वर की स्मृति रेखा बेहरा एक प्ले और नर्सरी स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी। वह अपने पति और दो बेटियों तथा ससुराल वालों के साथ शहर के पदबंधा स्लम में रहती है। बेहरा के परिवार में चीजें उस समय तक सामान्य थी जब तक देश और दुनिया में कोविड-19 की महामारी नहीं आई थी। कोरोना के चलते उसका स्कूल बंद हो गया। यहां तक कि महामारी के कारण होम ट्यूशन भी प्रतिबंधित कर दिए गए थे। जिसके चलते बच्चों के टयूशन के जरिये होने वाली कमाई भी बंद हो गई। आजीविका का कोई विकल्प न होने पर बेहरा ने भुवनेश्वर नगर निगम के कचरा ढोने वाले वाहन को चलाने का काम पकड़ लिया।
यह वाहन नगरपालिका के ठोस कचरे को इकट्ठा करता है और उन्हें हर दिन सवेरे 5.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक डंपयार्ड में पहुंचाता है। बेहरा ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के कारण स्कूल बंद हो गए हैं। जिसके चलते मुझे होम ट्यूशन कक्षाएं भी बंद करनी पड़ी है। आजीविका को लेकर मैं पूरी तरह से असहाय हो गई। क्योंकि मेरे पास आजीविका का कोई अन्य विकल्प नहीं बचा था। इधर मेरे पति को भी भुवनेश्वर में अपनी प्राइवेट नौकरी से कोई वेतन नहीं मिल रहा था। मेरी दो बेटियां हैं। हम हमारी के दौरान उन्हें ठीक से खाना भी नहीं खिला पाए। मैंने परिवार चलाने के लिए दूसरों से पैसे भी लिए। लेकिन ऐसा आखिर कब तक चलता। मैंने महामारी के दौरान अपने जीवन की सबसे खराब स्थिति को देखा है। उन्होंने कहा कि मैं वर्तमान समय में बीएमसी का कचरा वाहन चला रही हूं। परिवार को चलाने के लिए पिछले 3 महीने से बीएमसी के साथ काम कर रही हूं । दूसरी लहर के दौरान घर-घर जाकर कचरा इकट्ठा करना भी काफी मुश्किल भरा काम था। लेकिन मुझे आगे बढ़कर काम करना ही होगा। मैं एक सफाई कर्मचारी के रूप में काम करने से कभी नहीं हिचकिचाती हूं। क्योंकि जो मुझे आजीविका दे रहा है। मैं अपने कर्तव्य का सम्मान करती हूं।


