खालिस्तान मूवमेन्ट को उभारने की साजिश

खालिस्तान मूवमेन्ट को उभारने की साजिश

चंडीगढ़। हमारे देश का सबसे जिंदादिल और समृद्ध माना जाने वाला सूबा पंजाब को एक बार फिर सुलगाने का प्रयास किया जा रहा है। इस बार भी इस साजिश में हमारा पड़ोसी देश सक्रिय है। पंजाब में आए दिन होने वाली टारगेट किलिंग को लेकर दिल्ली पुलिस और सेन्ट्रल एजेन्सी की जांच पूरी हो गयी है। यह जांच जनवरी 2019 को शुरू हुई थी और लगभग एक साल में पूरी हुई। गत 7 दिसम्बर 2020 को जांच रिपोर्ट पूरी हुई और तब पता चला कि पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी आईएसआई पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट के लिए लखवीर सिंह रोड़े का इस्तेमाल कर रही थी। लखवीर सिंह रोड़े आपरेशन ब्लू स्टार में मारे गये जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा है। जानकारी के मुताबिक आईएसआई के अफसरों ने ही लखवीर सिंह रोड़े का पंजाब में टारगेट किलिंग कराने के लिए कहा था। लखवीर सिंह ने दुबई में बैठे गैंटस्टर सुख विकरीवाल का नाम बताया और आईएसआई के इशारे पर सबसे पहले सुख विकरीवाल ने पंजाब में शिवसेना नेता हनी महाजन पर अपने शूटरों से गोली चलवाई थी। हनी को चार गोली लगी थीं, पड़ोसी भी घायल हो गया था। पड़ोसी की मौत हो गयी जबकि हनी बच गये थे। विकरीवाल के दूसरे टारगेट बलविंदर सिंह संधू बने।

पता चला है कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठन भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी से अर्जित किए गए पैसे को टेरर फंडिंग के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण ने नारको टेरर फंडिंग के एक मामले में चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है। इस चार्जशीट में भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन खालिस्तान लिबरेशन फोर्स पाकिस्तान के ड्रग माफियाओं, दुबई के एक हवाला कारोबारी और आईएसआई के खतरनाक नेटवर्क का खुलासा हुआ है जो पंजाब में फिर से आतंकवाद के जिन्न को जिंदा करने की कोशिश में जुटा है।

यह खुलासा गत दिनों मोहाली स्थित एनआईए की विशेष अदालत में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स से संबंधित नारको टेरर केस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट में किया गया है। एनआईए ने यह चार्जशीट खालिस्तान लिबरेशन फोर्स के नारको टेररिस्ट धर्मिन्दर सिंह उर्फ धन्ना के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और अन्य कानूनों तहत दर्ज मामले में दाखिल की है।

एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान से संचालित केएलएफ के आतंकवादी जसवीर सिंह सामरा के जरिए पंजाब में हेरोइन तस्करी कर रहे थे। सामरा केएलएफ के एक अन्य आतंकवादी धर्मिन्दर सिंह उर्फ धन्ना के जरिये हेरोइन, स्थानीय तस्करों को बेचता था। हेरोइन बेचकर इकट्ठा किया गया पैसा सामरा के खाते में जमा होता था।

सामरा, हवाला के जरिये पैसे को आईएमआई तक पहुंचाने का काम करता था जिसे बाद में टेरर फंडिंग के तौर पर इस्तेमाल में लाया जा रहा था। एनआईए ने इस नारको -टेरर मामले की पहली चार्जशीट 29 मई 2020 को दाखिल की थी। इसमें जसवीर सिंह सामरा सहित कुल नौ तस्करों और आतंकवादियों को आरोपी बनाया गया था। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और यूएपीए की धारा 13, 17, 18 और 40 तथा एनडीपीएस की धारा 21, 25, 27 ए और 29 के तहत मामला दर्ज है। इन सभी आतंकवादियों और तस्करों को अमृतसर के तरसिक्का पुलिस स्टेशन में 31 मई 2020 को दर्ज की गई एफआईआर संख्या 75 के तहत गिरफ्तार किया गया था। 31 मई 2020 को गिरफ्तार सामरा और दूसरे आतंकवादियों के कब्जे से 500 ग्राम हेरोइन और 1,20,000 की नकदी भी बरामद की गई थी। इस नार्को-टेरर फंडिंग मामले में खालिस्तान लिबरेशन फोर्स प्रमुख हरमीत सिंह उर्फ पीएचडी और दुबई के अंतर्राष्ट्रीय नशा तस्कर और हवाला कारोबारी जसमीत सिंह हकीमजादा के नाम उजागर हुए हैं। हरमीत सिंह उर्फ पीएचडी की इसी साल जनवरी में मौत हो चुकी है।

केएलएफ के दर्जनभर आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बावजूद भी इस आतंकवादी संगठन की भारत विरोधी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में भारतीय सीमा पर देखे गए पाकिस्तान के कई ड्रोन इस बात के सबूत हैं कि केएलएफ भारत में लगातार नशीले पदार्थों और अवैध हथियारों की खेप पहुंचाने की कोशिश कर रहा है। अवैध हथियारों और नशीले पदार्थों की खेप न केवल पंजाब बल्कि जम्मू कश्मीर के लिए भी भेजी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक दिसंबर के पहले हफ्ते में ही अमृतसर से सटी भारत पाक सरहद पर, पांच बार पाकिस्तानी ड्रोन को भारतीय सीमा में घुसते देखा गया है।

सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि आतंकवादियों और तस्करों के गिरोह ने अमृतसर के रामदास और गग्गोमहल क्षेत्रों में ड्रोन के जरिए हथियारों और नशीले पदार्थों की खेप पहुंचाई है। एक दिसंबर को कोट रजादा क्षेत्र में भी पाकिस्तानी ड्रोन घुसने की खबर आई थी। हथियारों और नशे की खेप का पता लगाने के लिए पंजाब पुलिस और बीएसएफ इन इलाकों में सघन सर्च अभियान चला रही है। इससे पहले सितंबर माह में तरनतारन में भी ड्रोन का इस्तेमाल करके हथियार भारतीय सीमा में पहुंचाए गए थे। इन हथियारों को पहुंचाने के लिए पाकिस्तान के आठ ड्रोन भारतीय सीमा में घुसे थे। हालांकि इस मामले में ज्ञस्थ् के बजाय खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स का नाम सामने आया था।

बीएसएफ से जुड़े सूत्रों के मुताबिक सर्दियों में जब भारत पाक सीमा पर धुंध छाने लगती है तो आतंकवादी और तस्कर इसका फायदा उठाकर भारतीय सीमा में नशीले पदार्थ और अवैध हथियार पहुंचाने की कोशिश करते हैं। खालिस्तान लिबरेशन फोर्स पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की कठपुतली है और उसी के इशारे पर भारत में अवैध हथियारों, नशीले पदार्थों, और नकली करेंसी के अलावा पंजाब के युवकों को बरगला कर आतंकवाद की ओर प्रेरित करना उसके धंधे में शामिल है।

केएलएफ, आईएसआई के इशारे पर ही अवैध गतिविधियों के जरिए भारतीय तस्करों और अपने स्लीपर सेल्स के जरिए पैसा इकट्ठा करता है, जिसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया जाता है। पंजाब में आतंकवाद को जिंदा करने की कई कोशिशें कर चुके खालिस्तान लिबरेशन फोर्स को गृह मंत्रालय ने गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 1 अक्टूबर 2018 को प्रतिबंधित कर दिया था। साफ है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पंजाब मंे अराजकता का दौर फिर से लाना चाहती है। (हिफी)

epmty
epmty
Top