चुनाव से पहले UP में किसी बड़े हिंदू लीडर की हो सकती है हत्या-टिकैत

चुनाव से पहले UP में किसी बड़े हिंदू लीडर की हो सकती है हत्या-टिकैत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के साथ पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत ने भाजपा और केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा है कि भाजपा से बड़ी खतरनाक कोई पार्टी देश में नहीं है। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले किसी बड़े हिंदू लीडर की हत्या हो सकती है।




बुधवार को हरियाणा के सिरसा में आयोजित किए गए किसान सम्मेलन में भागीदारी करने के लिए पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भाजपा सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि यूपी चुनाव से पहले किसी बड़े हिंदू नेता की उत्तर प्रदेश में हत्या हो सकती है। उन्होंने लोगों को सचेत करते हुए कहा कि इनसे बच कर रहना है। क्योंकि यह लोग किसी बड़े हिंदू नेता की हत्या करवाकर देश में हिंदू मुसलमान के आधार पर चुनाव जीतना चाहते हैं। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि भाजपा से खतरनाक देश में कोई दूसरी पार्टी नहीं है। हालात ऐसे है कि भाजपा को तराशकर जिन लोगों ने रात-दिन मेहनत और भागदौड करते हुए खड़ा किया था, आज उन नेताओं को भी घर में कैद किया हुआ है। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि इस समय देश पर सरकारी तालिबानियों का कब्जा हो चुका है। जिस एसडीएम ने हरियाणा के करनाल में किसानों पर लाठियां चलवाकर उनके सिर फुडवाये है उस एसडीएम का चाचा आरएसएस में बड़े ओहदे पर है। उन्होंने कहा है कि इन सरकारी तालिबानियों का पहला कमांडर एसडीएम के रूप में करनाल में मिल चुका है। अगर यह हमें खालिस्तानी कहेंगे तो हम इनको तालिबानी कहेंगे। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कहा गया था कि वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और नहीं फसलें दुगने रेट पर बाजार में बिक रही है। इसके अलावा राकेश टिकैत ने सरकारी नीतियों पर सवालियां निशान लगाते हुए कहा है कि देश की बड़ी कंपनियां कर्ज लेकर सरकार से माफ करवा लेती हैं और बाद में फिर वही कंपनियां सरकारी संस्थानों को खरीदकर भारी मुनाफा कमाती है। दूसरी तरफ अगर कोई किसान कर्ज लेकर उसकी समय से अदायगी नहीं कर पाता है तो उसके घर और जमीन तक को सरकार की ओर से नीलाम करा दिया जाता है। कर्ज अगर 1000000 रूपये का है तो भी किसान की 50 लाख रूपये की जमीन बेची जाती है। यह कैसा कानून है? उन्होंने कहा कि सरकारी नीतियां जहां पर बनती है वहां पर कोई भी ट्रैक्टर या हल चलाने वाला नहीं है।

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