BBA ने तस्करी के शिकार 20 बच्चों को बाल मजदूरी से कराया मुक्त

नई दिल्ली । नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी विरोधी दिवस (इंटरनेशनल एंटी ट्रैफिकिंग डे) की पूर्व संध्या पर गुरुवार को पूर्वी दिल्ली के खजूरी खास इलाके से बाल मजदूरी के शिकार 20 बच्चों को पुलिस की मदद से मुक्त कराया है।
बीबीए के कार्यकारी निदेशक धनंजय टिंगल ने कहा, "कल पूरी दुनिया 'वर्ल्ड डे अंगेस्ट ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स' मनाएगी। ऐसे में देश की राजधानी दिल्ली में संसद से महज 25 किलोमीटर दूर तस्करी के शिकार बच्चों से बाल मजदूरी यह दर्शाती है कि हमें मानव तस्करी रोकने के लिए एक सख्त कानून की जरूरत है। सरकार को प्रस्तावित एंटी ट्रैफिकिंग बिल- ट्रैफिकिंग इन पर्सन्स (प्रीवेंशन, केयर एंड रीहैबिलिटेशन) बिल-2021- को संसद में पास कराना चाहिए।"
बीबीए की ओर से जारी बयान में कहा कि इनमें से 15 बच्चे दिल्ली के बाहर के रहने वाले हैं और ट्रैफिकिंग के जरिए लाए गए थे। गारमेंट फैक्ट्री में काम करने वाले इन नाबालिग बच्चों में से दो लड़कियां भी हैं। इस छापामारी कार्रवाई में पुलिस के साथ स्थानीय एसडीएम शरद कुमार भी मौजूद थे। इस जुर्म में फैक्ट्री मालिक सहित सात लोगों को पुलिस ने गिरप्तार कर लिया है।
उन्होंने कहा कि यह गारमेंट फैक्ट्री पुलिस थाने से महज कुछ दूरी पर ही स्थित है। यानी पुलिस की नाक के नीचे ही यह गैरकानूनी काम चल रहा था। तकरीबन सभी बच्चे 14 से 16 साल के बीच के हैं और उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं। इनमें से 15 बच्चे तस्करी के जरिए ही दिल्ली लाए गए थे। एसडीएम की पूछताछ और कानूनी कार्रवाई के बाद इन बच्चों को बीबीए द्वारा संचालित पुनर्वास केंद्र मुक्ति आश्रम में भेज दिया जाएगा।
वार्ता