कमलनाथ के तेवर तीखे

कमलनाथ के तेवर तीखे

भोपाल। सरकार चली गयी, पार्टी बिखर गयी लेकिन मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के तेवर अब भी कड़क हैं। एक तरफ वे राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा और उसकी केन्द्र सरकार से मोर्चा ले रहे हैं तो दूसरी तरफ अपनी पार्टी के अंदर विरोधियों से भी निपट रहे हैं। कमलनाथ के विरोधी उन्हें राज्य के बाहर भेजना चाहते हैं लेकिन पूर्व सीएम दृढ़ता के साथ सूबे में ही पैर जमा लिये हैं। राज्य में पंचायत चुनावों के लिए कमलनाथ लामबंदी कर रहे हैं। अभी हाल में केन्द्रीय बजट पेश किया गया है। कमलनाथ ने इस बजट को आमजन विरोधी व निराशाजनक बताया है। भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो कहते थे देश नहीं बिकने दूंगा, उनका आज नारा है सब चीज बेच दूंगा। उनका आशय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने की तरफ है। इसी प्रकार कमलनाथ ने किसान आंदोलन को भी व्यापक समर्थन किया और स्वयं ट्रेक्टर चलाकर रैली निकाली थी।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि वे मध्य प्रदेश छोड़कर कहीं नहीं जा रहे। और, जहां तक राहुल गांधी के पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का सवाल है, तो ये वे ही तय करें कि अध्यक्ष बनना है या नहीं। कमलनाथ ने मीडिया से कहा कि पश्चिम बंगाल चुनाव को लेकर ममता बनर्जी से बात की जाएगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि एलायंस बनाना है या नहीं। कृषि कानूनों को लेकर कमलनाथ ने कहा कि मैं किसानों के हक में लंबे समय से बोलता आया हूं। इतना बोला है कि वर्ल्ड ट्रेड आर्गनाइजेशन की कॉन्फ्रेंस में किसानों का पक्ष लेने पर उन्हें शैतान तक कह दिया गया था।


पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को गंभीरता से नहीं लिया। इसी वजह से किसानों को सड़क पर उतरना पड़ा और हालात खराब हुए। कमलनाथ ने यह भी कहा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पहले से होती आई है। कई बड़े उद्योगपति इस क्षेत्र के बड़े खिलाड़ी बन चुके हैं। लेकिन, कानून बनने से किसानों में चेतना आई है। किसान को अब समझ आया है कि उनके साथ धोखा होता है तो न्याय पाने के लिए कोई विकल्प नहीं छोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के सिर्फ 20 फीसद किसानों को एमएसपी का लाभ मिलता है। जबकि पंजाब के लगभग सौ फीसदी किसानों को इसका फायदा मिलता है। मेरी मंशा मध्य प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने की नहीं, बल्कि उनका उत्थान करने की थी।

इससे पता चलता है कि कमलनाथ पर राज्य छोड़ने का दबाव हे। कमलनाथ ने कहा कि पिछले साल जनवरी में एक कांग्रेस विधायक आया था। उसने कहा- मुझे 5 करोड़ रुपए मिले हें। मैंने कह दिया था- ठीक है, मौज करो। उसने कहा कि मेरे पास इतनी बड़ी रकम रखने की जगह नहीं है, आप रख लो। तब मैंने उनसे साफ तौर पर कह दिया था कि मैं यह सब काम नहीं करता हूं। बैंगलुरु से मेरे पास फोन आते थे। विधायक कहते थे- वे इतना दे रहे हैं, आप कितना दोगे? मैंने इंकार कर दिया था। मैंने यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि मैं सौदे की राजनीति नहीं करता हूं। कमलनाथ ने कहा कि मैं मप्र की छवि सौदा स्टेट की नहीं बनने देना चाहता था।

मध्य प्रदेश में अभी नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है लेकिन कांग्रेस कमर कस कर तैयार है। निकाय चुनाव की तैयारी के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ ने 10 फरवरी को बड़ी बैठक बुलाई है। ये बैठक निकाय चुनाव प्रभारियों के साथ होगी, जिसमें उम्मीदवार चयन को लेकर अब तक उठाए गए कदमों पर चर्चा की जाएगी। कांग्रेस पार्टी ने तय किया है नगरीय निकाय चुनाव में विधायक, पार्टी पदाधिकारियों से लेकर यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों की भी ड्यूटी लगाई जाएगी। एक निकाय पर एक विधायक, एक पदाधिकारी और एक यूथ कांग्रेस के नेता को तैनात किया जाएगा। साथ ही महिला कांग्रेस और दूसरे संगठन के पदाधिकारी भी निकायवार तैनात किए जाएंगे।

पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है निकाय चुनाव कांग्रेस पार्टी के लिए अहम हैं और 10 फरवरी को होने वाली बैठक में अब तक प्रभारियों की ली गई बैठक और उसके फीडबैक पर चर्चा होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने संकेत दिए हैं कि मार्च के बाद कभी भी चुनाव की तारीखों का ऐलान हो जाएगा। कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव में जीत की उम्मीद के साथ पूरा जोर लगा रही है। यही कारण है कि लगातार बैठक कर निकायों में तैनात किए गए प्रभारियों से फीडबैक लिया जा रहा है।

निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियों पर बीजेपी ने निशाना साधा है। कैबिनेट मिनिस्टर विश्वास सारंग ने कहा उम्मीदवार चयन के नाम पर कांग्रेस पार्टी पैसा वसूली अभियान चला रही है। निकाय चुनाव में हार के डर से घबराई कांग्रेस तरह-तरह के हथकंडे अपनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन फिल्ट्रेशन की कवायद में वो सिर्फ पैसा वसूली अभियान तक सीमित है।

दरअसल, कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस रैली-प्रदर्शन करने लगी हैं। गत महीने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में देपालपुर में कांग्रेस की ट्रैक्टर रैली का नेतृत्व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानून काले कानून हैं। कृषि कानून से बड़े-बड़े उद्योगपतियों को मंडी का दर्जा मिल जाएगा। मंडियों का निजीकरण हो जाएगा। किसान बड़े-बड़े उद्योगपतियों का गुलाम बन जाएगा। मैं मोदीजी से पूछना चाहता हूं कि कोई उद्योगपति समाजसेवा के लिए तो नहीं आएगा। इसलिए कृषि के निजीकरण को बंद कीजिए। इसी रैली में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, जीतू पटवारी, बाला बच्चन, अरुण यादव समेत मालवा निमाड़ के सभी कांग्रेस विधायक और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ 3000 ट्रैक्टर शामिल थे।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- बीजेपी वाले राष्ट्रवाद के नाम पर लोगों को गुमराह कर रहे हैं। राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा उगा रहे हैं और पीछे से पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ा रहे हैं। आप गुमराह और भ्रमित करने की राजनीति पहचानिए। शिवराज जब तक झूठ न बोलें उनका खाना नहीं पचता। कमलनाथ ने कहा कि 15 हजार घोषणाएं अभी तक पूरी नहीं हुई। इसलिए आप कमलनाथ और विशाल पटेल का साथ मत दीजिए, लेकिन आप लोग सच्चाई का साथ जरूर दीजिए।

पूर्व सीएम कमलनाथ ने कहा था किसानों के साथ उनकी सरकार के समय न्याय हुआ था और 27 लाख किसानों का कर्जा माफ किया था। माफिया के खिलाफ अभियान ने मप्र ने एक अलग पहचान बनाई। मैंने कौन सा गुनाह किया कि मेरी सरकार गिरा दी गई। सौदेबाजी से सरकार गिराई गई। मैं भी सौदा कर सकता था लेकिन मैंने कहा कि सरकार जाए तो जाए मैं सौदेबाजी नहीं करूंगा। लेकिन, अब मप्र की पहचान सौदेबाजी की बन गई है। (हिफी)

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