पंजाब में महिलाओं को आत्मबल

पंजाब में महिलाओं को आत्मबल

चंडीगढ़। महिलाओं के प्रति सोच बदलने के साथ ही उनके लिए कुछ ठोस कार्यक्रम भी बनाने होंगे। महिला सशक्तीकरण का शोर मचाने से कोई फायदा नहीं होना है, उनको आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनाना होगा। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने इस दिशा में एक अच्छा कदम उठाया है। पंजाब सरकार ने महिलाओं के लिए एक अहम फैसला लिया है। पंजाब कैबिनेट ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद इस फैसले की जानकारी ट्वीट कर दी है। कैप्टन ने ट्वीट किया, पंजाब की महिलाओं के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हमारे मंत्रिपरिषद ने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण को मंजूरी दी है। मुझे यकीन है कि यह हमारी बेटियों को और सशक्त बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा और एक अधिक न्यायपूर्ण समाज बनाने में मदद करेगा। बता दें कि पंजाब के अलावा बिहार में सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण दिया जाता है। नीतीश सरकार ने सरकारी नौकरियों के सभी पदों पर सीधी भर्ती के लिए महिलाओं को 35 फीसदी के आरक्षण का प्रावधान किया है।

पंजाब कैबिनेट मीटिंग में 14 अक्टूबर को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में महिला आरक्षण पर बड़ा फैसला लिया गया है। पंजाब सरकार ने महिला सशक्तीकरण की दिशा में अहम कदम उठाते हुए राज्य की सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी महिला आरक्षण को मंजूरी दे दी है। पंजाब सीएम ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, मंत्रिपरिषद ने पंजाब सिविल सर्विसेज (पीसीएस) की सीधी भर्ती प्रक्रिया में महिलाओं के आरक्षण को मंजूरी दे दी।सरकार ने इसके अलावा ने स्टेट रोजगार योजना-2020-22 को भी मंजूरी प्रदान कर दी है। इस योजना के तहत साल 2022 तक पंजाब के करीब एक लाख से ज्यादा युवाओं को राज्य में ही रोजगार दिया जाएगा। इस योजना के तहत सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों पर तेजी से नियुक्तियां की जाएंगी। मंत्रिपरिषद ने पंजाब सिविल सर्विसेज (रिजर्वेशन ऑफ पोस्ट्स फॉर वीमेन) रूल्स, 2020 को भी मंजूरी दे दी है। राज्य सरकार की इस योजना के तहत पंजाब की महिलाओं को सरकारी नौकरियों में सीधी भर्ती और बोर्ड्स और कॉर्पोरेशन के ग्रुप ए, बी, सी और डी के पदों पर भर्ती में 33 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा। पंजाब सरकार के इस फैसले को राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।

पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ जंग में भी पंजाब की महिलाओं को रोजगार दिलाने का प्रयास किया है। पंजाब सरकार अब दस लाख मास्क तैयार करवाने जा रही है। इस पर मिशन फतेह का लोगो लगाया जाएगा। मास्क तैयार करने के लिए पंजाब के सभी जिलों के डीसी को निर्देश भी जारी किए गए हैं। हालांकि, लुधियाना के डीसी को इसके लिए नोडल अफसर बनाया गया है। एक मास्क को तैयार करने के लिए पांच रुपये भी दिए जाएंगे। इससे महिलाएं दस लाख मास्क तैयार करके 50 लाख रुपये की आय प्राप्त करेंगी। इन मास्कों को पंजाब सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त मुहैया करवाया जाएगा। मास्क तैयार करने की जिम्मेदारी आजीविका मिशन के तहत चलने वाले सेल्फ ग्रुप की सदस्याओं को दी गई है। इन महिलाओं ने पहले भी मास्क तैयार किए हैं। एक ग्रुप में दस महिलाएं काम करती हैं। एक महिला एक दिन में 100 के करीब मास्क तैयार कर देती है। एक मास्क को तैयार करने पर 15 रुपये का खर्च आता है। इसके लिए सारा सामान जिला परिषद के तहत चलने वाले एनआरएलएल मिशन (नेशनल रूरल लाइवहुड मिशन) के तहत मुहैया करवाया जाएगा।

पंजाब सरकार ने कोरोना वायरस से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए मिशन फतेह शुरू किया है। इसके तहत कई प्रकार की गतिविधियां भी करवाई जा रही हैं। मास्क बनाना भी इन्हीं में शामिल है। बठिंडा जिले में इससे पहले भी 51,432 मास्क तैयार किए गए थे। एनआरएलएम के जिला कार्यक्रम अधिकारी स्टाइलनजीत सिंह हरीका व सुखविंदर सिंह ने बताया कि बठिंडा जिले के गांव सिवियां में मास्क बनाने का काम किया जा रहा है। महिलाएं एक दिन में 400 से 500 रुपये आसानी से कमा लेती हैं। दूसरी तरफ पंजाब सरकार द्वारा जारी लिस्ट के अनुसार अमृतसर में 60 हजार, बरनाला में 40 हजार, बठिंडा में 50 हजार, फरीदकोट में 30 हजार, फतेहगढ़ साहिब में 30 हजार, फाजिल्का में 40 हजार, फिरोजपुर में 50 हजार, गुरदासपुर में 50 हजार, होशियारपुर में 45 हजार, जालंधर में 60 हजार, कपूरथला में 40 हजार, लुधियाना में 80 हजार, मानसा में 40 हजार, मोगा में 45 हजार, पठानकोट में 30 हजार, पटियाला में 60 हजार, रूपनगर में 30 हजार, संगरूर में 50 हजार, साहिबजादा अजीत सिंह नगर में 55 हजार, शहीद भगत सिंह नगर में 30 हजार, श्री मुक्तसर साहिब में 40 हजार व तरनतारन में 45 हजार मास्क तैयार करवाए जाएंगे।महिला सशक्तीकरण में इससे भी मदद मिलेगी।

महिलाओं के बारे में हमारे देश की सोच मौजूदा समय में अच्छी नहीं है। महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और दुराचार के मामले चीख चीख कर यही बात कहते हैं। काफी पहले की बात है जब एक विदुषी ने कहा था हम यह विपदाभरी जिंदगी क्यों जिएं? सिर्फ महिलाओं के रूप में जन्म लेने के कारण क्या हमे शिक्षा से भी वंचित किया जाना चाहिए? भारतीय भाषाओं में सम्भवतः पहली आत्मकथा लेखिका रस सुंदरी देवी ने सन 1810 में सभ्य समाज से पूछा था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा एक ऐसे स्कूल में हुई थी जहाँ लडकियों को लडकों से काफी दूर बैठाया जाता था। बाद में इस समस्या को दूर किया गया। सरकार के साथ-साथ निजी संगठनों ने भी स्कूल और महाविद्यालय स्तर पर बालक- बालिकाओं की शिक्षा के विस्तार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पंजाब में भी मान्यता प्राप्त निजी प्रबंधन वाले संस्थानों को काफी हद तक सरकार से मदद मिलती है। छह से ग्यारह साल तक के बच्चों के लिए प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य है। वस्तुतः प्रत्येक गाँव के निकट प्राथमिक विद्यालय और राज्य में उच्चतर माध्यमिक, उच्च और मध्य विद्यालयों के सधन नेटवर्क के बावजूद पंजाब में 1991 तक सिर्फ 58.5 प्रतिशत जनसंख्या (सात साल और उससे अधिक आयु के) साक्षर थी, जबकि भारत का औसत 52.2 प्रतिशत है। साक्षरता दर अनुसूचित जनजाति (41 प्रतिशत), विशेषकर महिलाओं में (31 प्रतिशत ), काफी कम है। पंजाब में छह विश्वविद्यालय हैं। पटियाला में पंजाबी विश्वविद्यालय, अमृतसर में गुरुनानक देव विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय (केंद्र द्वारा संचालित और चंडीगढ़ केंद्रशासित प्रदेश में स्थित), लुधियाना में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, जालंधर में पंजाब तकनीकी विश्वविद्यालय (राज्य के सभी इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान इससे संबद्ध हैं), और फरीदकोट में बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (सभी मेडिकल एंड डेंटल और आयुर्वेदिक कॉलेज इससे संबद्ध हैं)। राज्य में 225 से अधिक कॉलेज और व्यावसायिक संस्थान हैं। इस प्रकार राज्य में बालिकाओं को भी उच्च शिक्षा प्राप्त करने में कोई कठिनाई नहीं हो रही है। अब उन्हे नौकरी में भी 33 फीसद आरक्षण देकर अमरिंदर सिंह की सरकार ने राज्य में बालिकाओं को आत्मनिर्भर बनाने का ठोस प्रयास किया है। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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