उद्धव सरकार में फिर हलचल

उद्धव सरकार में फिर हलचल

लखनऊ। महाराष्ट्र की राजनीति में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार को भी समझना आसान नहीं है। विधानसभा चुनाव के बाद देवेन्द्र फडणवीस ने अजीत पवार को डिप्टी सीएम बनाकर पूरे देश को चैंका दिया था। यह तो वरिष्ठ नेता शरद पवार की ही दूरदर्शी सोच थी जिससे उन्होंने न सिर्फ अजीत पवार को भाजपा के चंगुल से छुड़ाया बल्कि उन्हें उद्धव ठाकरे की सरकार में भी डिप्टी सीएम बनवा दिया। अजीत पवार को शिवसेना का एहसानमंद होना चाहिए था लेकिन वे लगातार अपनी चालाकी दिखाने में लगे हैं। शिवसेना पार्षदों को तोड़ना और अपने मंत्रियों से शिवसेना के लोगों की उपेक्षा कराना ताकि वे अपनी पार्टी छोड़कर एनसीपी में शामिल हो जाएं, यही प्रयास करते रहते हैं। एनसीपी प्रमुख शरद पवार को अपने भतीजे पर नियंत्रण करा होगा।

महाराष्ट्र में महाभारत के बाद ही उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ पाये थे। उसी समय यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार की राह में कांटे ही कांटे है। केन्द्र में सत्तारूढ भाजपा जहां विपक्ष में बैठी हो, उस सरकार को हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है। महाराष्ट्र में उद्धव की सरकार से यही गलती हो रही है। अभिनेता सुशांत राजपूत की मौत के मामले में जांच को लेकर भाजपा की सक्रियता राजनीतिक दृष्टि से है। सुशांत का संबंध बिहार से है ,जहां दो महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके अलावा महाराष्ट्र की सरकार को जांच में अड़ंगेबाजी के आरोप में कठघरे में खड़ा किया जा सकता है। इस मामले में ड्रग्स का प्रकरण भी जुड गया है। उद्धव सरकार के तीन प्रमुख घटक भी उथल पुथल मचाए रहते हैं। अभी हाल में शिवसेना के एक सांसद ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री ठाकरे को देकर सत्ता के गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। इसप्रकार से वह अपनी नाराजगी दिखाना चाहते हैं और यह भी बता रहे हैं कि वे पार्टी और नेतृत्व के प्रति कितने वफादार हैं। किसी अन्य पार्टी में अगर उनकी जाने की इच्छा होती तो वे सीधे लोकसभाध्यक्ष को अपना त्यागपत्र देते। इसलिए शिवसेना सांसद ने इस्तीफा क्यों दिया है, इसपर उद्धव ठाकरे को गंभीरता से विचार करना होगा।

महाराष्ट्र की परभणी लोकसभा सीट से शिवसेना सांसद संजय जाधव ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंप दिया है। सूत्रों के मुताबिक संजय जाधव ने आरोप लगाया है कि शिवसेना के कार्यकर्ताओं को एनसीपी लगातार किनारे कर रही है। उन्होंने इसे लेकर अपनी सीट का जिक्र भी किया है। आरोप है कि पार्टी ने एनसीपी के सामने घुटने टेक दिए हैं। गौरतलब है कि करीब दो महीने पहले भी पुणे के पांच शिवसेना पार्षदों द्वारा एनसीपी ज्वाइन कर लेने के बाद राजनीति गर्मा गई थी। उस समय भी मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नाराजगी जताते हुए डिप्टी सीएम अजित पवार को संदेश दिया था। उद्धव की तरफ से कहा गया था कि एनसीपी ज्वाइन करने वाले सभी पार्षदों को वापस भेजा जाए। ये संदेश मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पर्सनल सेक्रेटरी मिलिंद नारवेकर ने डिप्टी सीएम अजित पवार को फोन के जरिए दिया था। खबरें थी कि उद्धव ठाकरे इस पूरे प्रकरण को लेकर काफी नाराज हैं। दरअसल पुणे जिले के बारामती में परमार से शिवसेना के पांचों पार्षद डिप्टी सीएम अजीत पवार की मौजूदगी में एनसीपी में शामिल हुए थे। इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत के केस में भी अजित पवार के बेटे पार्थ पवार लगातार सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं जबकि शिवसेना की तरफ से सीबीआई जांच को जरूरी नहीं माना गया था। पार्थ को इसे लेकर शरद पवार की तरफ से सार्वजनिक तौर पर डांट भी पिलाई गई थी लेकिन इसके बाद भी पार्थ ने एक ट्वीट सीबीआई जांच के स्वागत में किया।

कुछ महीने पहले विधान परिषद की 12 खाली सीटों को लेकर शिवसेना और कांग्रेस के बीच भी तल्खी देखी गई थी। कांग्रेस चाहती थी कि सभी सीटों का बंटवारा तीन पार्टियों के बीच बराबर हो। उस दौरान शिवसेना के खाते में 5, एनसीपी को 4 और कांग्रेस के खाते में 3 सीटें जाने की चर्चा थी। उस समय अशोक चव्हाण ने कहा था कि इस मुद्दे पर सीएम उद्धव ठाकरे से बातचीत करके मुद्दे को सुलझा लिया जाएगा और मामला सुलझ भी गया था।

हालांकि विवादों की खबरों के बीच भी तीनों ही पार्टी के नेताओं द्वारा कहा जाता रहा है कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है लेकिन अब एक बार फिर संजय जाधव के इस्तीफे ने गठबंधन को लेकर राजनीति गर्म कर दी है।

बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले का कनेक्शन अब ड्रग्स माफियाओं के साथ जुड़ा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक राकेश अस्थाना ने बताया ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि रिया चक्रवर्ती और सुशांत को ड्रग्स सप्लाई किए जाते थे। सुशांत सिंह राजपूत की मौत का सच सामने लाने के लिए सीबीआई दिन रात एक कर रही है। सीबीआई की जांच के साथ ही इस मामले में हर दिन नए सच भी सामने आने लगे हैं। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के निदेशक राकेश अस्थाना ने इस पूरे मामले में एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट की जांच में आई कुछ अहम फाइंडिंग्स का खुलासा किया है। निदेशक राकेश अस्थाना ने साफ किया है कि ईडी को इस बात के सबूत मिले हैं कि रिया चक्रवर्ती और सुशांत को ड्रग्स सप्लाई किये जाते थे। जाहिर है कि इसमें थर्ड पर्सन भी जुड़े हैं। इस मामले में दुबई से लेकर मुंबई के अंदर काफी सक्रिय रहने वाले ड्रग्स माफियाओं का कनेक्शन सामने आने के बाद ही इस मामले की तफ्तीश के लिए ईडी ने एनसीबी को भी खत लिखा। प्रवर्तन निदेशालय की टीम को इस मामले की तफ्तीश के दौरान कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली हैं, जिससे पता चलता है कि सुशांत के घर आने-जाने वाले कई लोगों का संबंध ड्रग्स माफियाओं से रहा है। ऐसे में एनसीपी के नेता ने उद्धव सरकार की गाइड लाइन से हटकर कोई ट्वीट किया तो उसे गठबंधन की भावना के विपरीत ही कहा जाएगा।

अब शिवसेना सांसद ने जो मामला उठाया है, वह ज्यादा गंभीर है। सरकार में शामिल सभी घटक दल भाजपा के खिलाफ मिलजुलकर लड़ें तभी गठबंधन की सफलता है। यहां तो मामला एकदम विपरीत है। घटक दल आपस में ही लड रहे हैं। पहले शिवसेना के पार्षदों को एनसीपी ने तोड़ लिया । एनसीपी ने भाजपा के पार्षदों को तोड़ने में सफलता पायी होती तो निश्चित रूप से शिवसेना प्रमुख अजीत पवार की पीठ थपथपाते। अब शिवसेना सांसद का आरोप भी गंभीर है। सरकार में तीनों दलों को प्रतिनिधित्व इसलिए नहीं दिया गया है कि अपनी पार्टी को मजबूत कर सहयोगी दल को कमजोर करें। आपस में इस तरह की कुटिल नीति अपनायी जाएगी तो इसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलेगा।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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