शराब कांड के बाद पंजाब में सियासत तेज

शराब कांड के बाद पंजाब में सियासत तेज

लखनऊ। 6 अगस्त को जब शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल राज्यपाल के पास कैप्टन सरकार बर्खास्त करने की मांग लेकर पहुंचे तो कई कैबिनेट मंत्रियों ने इसे भी राजस्थान के घटनाक्रम से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी सहयोगी शिअद के जरिए पंजाब में कांग्रेस सरकार के बर्खास्तगी का माहौल बनाने की साजिश रच रही है।

पंजाब कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। कांग्रेस पार्टी के दो राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ मोर्चा खोलने से कलह चरम पर है। ऐसे में कई सवाल उठते हैं कि क्या पंजाब की सत्ता में भी मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसी सियासी उथल-पुथल शुरू हो सकती है? क्या कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रताप बाजवा पंजाब में कांग्रेस के लिए सिंधिया-पायलट साबित होंगे? जहरीली शराब कांड की वजह से कांग्रेस अंदर और बाहरी हमले झेल रही है। जहरीली शराब मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग और कैप्टन पर वार करने वाले बाजवा और दूलों अब कांग्रेस में चारों ओर से घिरते जा रहे हैं। अब दोनों बागी सांसदों के खिलाफ पंजाब कैबिनेट के मंत्री एकजुट हो गए हैं। कैबिनेट के मंत्रियों ने बाजवा और दूलो को कांग्रेस से निष्कासित करने की मांग की है।

6 अगस्त को जब शिअद अध्यक्ष सुखबीर बादल राज्यपाल के पास कैप्टन सरकार बर्खास्त करने की मांग लेकर पहुंचे तो कई कैबिनेट मंत्रियों ने इसे भी राजस्थान के घटनाक्रम से जोड़ते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार अपनी सहयोगी शिअद के जरिए पंजाब में कांग्रेस सरकार के बर्खास्तगी का माहौल बनाने की साजिश रच रही है। इससे पहले प्रताप बाजवा और शमशेर दूलो के जहरीली शराब कांड को लेकर राज्यपाल से मिलने की घटना को प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सूबे में राजस्थान जैसा माहौल रचने की साजिश करार दिया था। जाखड़ का कहना था कि दोनों सांसदों द्वारा अपनी ही सरकार पर किया हमला राजस्थान के घटनाक्रम की पुनरावृत्ति है। सुनील जाखड़ ने दोनों नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए सोनिया गांधी को पत्र लिखा था। इस तरह अब पूरा मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है। इस संबंध में कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी और बाद में सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की।

बाजवा और दूलो के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के दूसरे दिन राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से घूमा। सुनील जाखड़ ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात कर पूरी स्थिति पर चर्चा की। इससे पहले प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी मुख्यमंत्री से मिलने पहुंची। इसके तुरंत बाद ही पंजाब कैबिनेट ने बाजवा और दूलों को पार्टी से बर्खास्त करने की मांग कर दी। मंत्रियों का कहना है कि दोनों सांसदों ने अपने राज्यसभा के कार्यकाल में राज्य के हित के किसी भी मुद्दे को उठाने की जहमत नहीं उठाई। मंत्रियों ने कहा कि बाजवा और दूलों ने अकाली शासन के दौरान ड्रग्स के मुद्दे की ईडी जांच पूरी करने के लिए दबाव क्यों नहीं डाला? उन्होंने केंद्र सरकार के कृषि विरोधी अध्यादेशों के खिलाफ सदन में विरोध क्यों नहीं किया? सीबीआई के मामलों की जांच में विफलता के बारे में उन्होंने कभी क्यों नहीं कहा।

मंत्रियों का कहना है, यह लोकतांत्रिक प्रणाली और संस्थानों के कार्य करने का तरीका नहीं है। जहरीली शराब के मामले में अगर पुलिस जांच करने में विफल रहती तो मामले में सीबीआई जांच की आवश्यकता थी लेकिन, इस मामले में ऐसा नहीं है। दोनों ही राज्य सभा सदस्यों ने न सिर्फ पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की बल्कि प्रदेश प्रधान पर निजी आरोप लगाने भी शुरू कर दिए। कोई भी राज्य सभा सदस्य व पूर्व प्रदेश प्रधान अपनी ही पार्टी को बदनाम करने की कोशिश कैसे कर सकते है।

दूसरी ओर, जाखड़ का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलकर जहरीली शराब मामले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही को लेकर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। जाखड़ ने कहा, बतौर प्रदेश प्रधान मैंने वहीं मांग की जो मुझे करनी चाहिए थी। बाजवा और दूलों ने सीबीआई जांच की मांग करके अपनी ही सरकार की तरफ उंगली उठाई। इससे न सिर्फ सरकार बल्कि पूरी पार्टी की छवि खराब हुई। वहीं सुनील जाखड़ ने आगे कहा कि शराब कांड के आरोपियों के साथ-साथ इस मानवता विरोधी कुकृत्य में शामिल साजिशकर्ताओं , फाइनेंसरों, उनके सरपरस्तों व अपनी ड्यूटी में कोताही करने वाले सभी लोगों को कानून के दायरे में लाकर सख्त सजा दी जाए।

दूसरी ओर, बाजवा और दूलों के तेवर नरम नहीं पड रहे हैं। दोनों ने एक बार फिर सीएम कैप्टन अमरिंदर पर हमला किया है। पंजाब कैबिनेट द्वारा उनको कांग्रेस से निष्कासित किए जाने की मांग के संबंध में प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलों ने कहा, यह बेहद हास्यास्पद है। कैबिनेट बैठक के 24 घंटे के बाद फिर बैठक कर ऐसी मांग वाला बयान जारी करना बचकाना है। ऐसा तो 80 से 90 के दशक में पंजाब में होता था। घटना के चार पांच दिन बाद पर्चा दर्ज होता था। बाजवा ने याद कराया कि जब वह प्रदेश प्रधान थे तो न सिर्फ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनका विरोध किया था बल्कि अपनी हठधर्मिता के कारण पार्टी के नेता राहुल गांधी को भी शर्मिंदा किया था। बतौर प्रदेश प्रधान मैंने ड्रग्स वाले मामले में बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी लेकिन कैप्टन ने इसका विरोध किया था।

बाजवा ने कहा, बेअदबी वाले मामले में पंजाब पुलिस के पास मूल केस की फाइल भी नहीं है। यह अभी भी सीबीआई के पास है। राज्य सरकार ने इस केस की फाइल को वापस पाने के लिए अवमानना याचिका दायर नहीं की और जनता को गुमराह कर रहे हैं कि वह इस मामले की जांच कर रही है। राज्य प्रशासन द्वारा प्रभावी कार्रवाई की कमी के कारण हम आवाज उठा रहे हैं ताकि शराब माफिया के कारण प्रियजनों को खो चुके परिवारों को न्याय मिले। वहीं इस बाबत आशा कुमारी का कहना है कि ''बाजवा और दूलों राज्य सभा सदस्य हैं। इनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार आल इंडिया कांग्रेस कमेटी को है। प्रदेश प्रधान मुझे जब इस संबंध में रिपोर्ट देंगे तो उसे मैं पार्टी के अध्यक्ष को सौप दूंगी। अलबत्ता यह जरूर कहना चाहती हूं, कि जाखड़ ने पार्टी के हितों को ध्यान में रख कर दोनों नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।''

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह शुक्रवार सुबह तरनतारन में जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के परिजनों से मिलने पहुंचे। इस दौरान सीएम ने मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये देने की घोषणा के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का भी ऐलान किया। सभी पीड़ित परिवारों को बीमा योजना का लाभ भी दिया जाएगा। उनके कच्चे घरों को पक्का किया जाएगा। दिव्यांगों को ट्राई साइकिल दी जाएगी। सीएम ने कहा कि जिन लोगों की आंखो की रोशनी गई है उन्हें भी पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें परिवारों से पूरी हमदर्दी है। सरकार आरोपितों को सजा दिलाएगी। इस दौरान उनके साथ पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़, लोक सभा हलका खड़ूर साहिब से सांसद जसवीर सिंह डिंपा, वेयर हाउस के चेयरमैन राज कुमार वेरका, विधायक हरमिंदर सिंह भी मौजूद थे। बता दें, पंजाब में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या 123 पहुंच गई है।

(नाज़नींन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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