कांग्रेस की जरूरत हैं जितिन व बघेल

कांग्रेस की जरूरत हैं जितिन व बघेल

लखनऊ। कांग्रेस का नेतृत्व राजस्थान में पार्टी को कितना संभाल पाता है, यह कहना अभी आसान नहीं है। सचिन पायलट को इन पंक्तियों के लिखे जाने तक भले ही पार्टी से निकाला नहीं गया लेकिन वे इतनी दूर चले गये हैं जहां से भाजपा उन्हें आसानी से थाम सकती है। यह गहलोत सरकार के साथ-साथ कांग्रेस हाईकमान की भी गलती है। कांग्रेस को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद जैसे नेताओं की कार्यशैली को प्रोत्साहित करना चाहिए जो भाजपा को डिफेन्सिव मोड में कर देते हैं। भूपेश बघेल ने सरकारी रेट पर गोबर खरीदने की बात कहकर भाजपा को चुप रहने पर मजबूर किया था और यूपी में जितिन प्रसाद ने मायावती का आभार जताकर भाजपा की रणनीति को कमजोर किया है। जितिन प्रसाद को लेकर भी कांग्रेस नेतृत्व भ्रम में पड सकता है लेकिन मायावती का आभार जताकर जितिन प्रसाद ने दूरदर्शिता का ही परिचय दिया है।

कांग्रेस से सचिन पायलट के निकाले जाने के बाद जितिन प्रसाद ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्विटर पर लिखा, पायलट मेरे सिर्फ सहकर्मी ही नहीं बल्कि मेरे दोस्त भी हैं। कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि उन्होंने पार्टी के लिए बहुत तन्मयता से काम किया है। मैं उम्मीद करता हूं कि हालात अभी भी संभल सकते हैं, जो भी हो रहा है वो दुखद है। जितिन प्रसाद को अभी भी सचिन पायलट के मामले में उम्मीद की किरण नजर आ रही है। उनकी यही प्रतिक्रिया उन्हें कांग्रेस के बाकी दूसरे नेताओं से अलग करती है। जितिन प्रसाद के इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई लोगों ने राहुल गांधी के करीबी नेताओं में बेचैनी की बात कहनी शुरू भी कर दी। अभी कुछ ही दिन पहले जितिन प्रसाद ने ट्विटर पर मायावती का आभार व्यक्त किया था। इस ट्वीट के बाद पूरे कांग्रेस खेमे में काफी खलबली महसूस की जा रही थी। खलबली का मजबूत आधार भी था। कुछ ही दिनों पहले महासचिव प्रियंका गांधी ने मायावती को भाजपा का अघोषित प्रवक्ता करार दिया था। बसपा और कांग्रेस के बीच पिछले दिनों में जबरदस्त राजनीतिक लड़ाई चल रही है। ऐसे में प्रियंका गांधी का कोई सिपाही मायावती के प्रति आभार व्यक्त करें, यह बात खलबली पैदा करने वाली तो है ही लेकिन जितिन प्रसाद ने मायावती का समर्थन करने के साथ उस वोटबैंक की सहानुभूति भी लेने की कोशिश की जो बसपा प्रमुख अकेले लेना चाहती थीं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा था कि विकास दुबे जैसे दुर्दांत अपराधियों को लेकर किसी समुदाय विशेष पर उंगली नहीं उठाई जानी चाहिए या उन्हें कठघरे में नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। उनके इसी बयान पर जितिन प्रसाद ने मायावती का आभार व्यक्त किया था।

इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने सरकारी दर पर किसानों से गोबर खरीदने का निर्णय लिया था। गोबर का सरकारी दर 1.50 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया गया। इस फैसले के बाद से ही पूर्व की बीजेपी सरकार में पंचायत मंत्री रहे वर्तमान कुरुद विधायक अजय चन्द्राकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर हो गये। उन्होंने सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए। अजय चन्द्राकर ने तो व्यंग्यात्मक अंदाज में मौजूदा सरकार को गोबर आधारित सरकार तक कह दिया। गोबर पर सियासत के बीच कांग्रेस सरकार का समर्थन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ ने किया। आरएसएस के संगठन गौ ग्राम स्वावलंबन अभियान के एक प्रतिनिधिमंडल ने रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से समाज स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ेगा। संगठन ने गोबर खरीदने के सरकार के फैसले को सही ठहराया। इसके अलावा कुछ और मांगें भी की थीं। संघ के समर्थन में आने से भाजपा को डिफेन्सिव होना पड़ा। इस प्रकार की रणनीति कांग्रेस मध्यप्रदेश में नहीं अपना सकी। नतीजा यह हुआ कि वहां कांग्रेस बिखर गयी। भाजपा ने सरकार भी छीन ली।

मध्यप्रदेश में इन दिनों सियासी माहौल बदला-बदला सा है। कांग्रेस से दल बदल कर आने वाले नेता अब भाजपा नेताओं के साथ संबंधों को बेहतर बनाने में लगे हैं। राज्यसभा सांसद और बीजेपी नेता बन चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व सीएम और बीजेपी नेता उमा भारती से मिलने उनके घर गए। उमा भारती से उपचुनाव में जीत का आशीर्वाद लिया। बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया की उमा भारती से उनके घर पर यह पहली मुलाकात थी। उमा भारती ने भी मंत्र उच्चारण के साथ उनका स्वागत किया। दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में करीब 20 मिनट तक चर्चा हुई। जाहिर है उपचुनाव सिर पर हैं तो बात चुनाव की ही रही होगी। ग्वालियर-चंबल इलाके में लोधी समाज के नेताओं के साथ भी दोनों नेताओं की चर्चा हुई। बीजेपी की कोशिश है कि 25 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उन सीटों पर जहां, लोधी फैक्टर असरदार है, वहां लोधी नेताओं के सहारे माहौल बनाया जाए। उमा भारती लोधी वर्ग से आती हैं और अपने समाज में उनकी अच्छी पैठ है। उमा भारती की पहल पर ही बड़ा मलहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी कांग्रेस से दल बदल कर बीजेपी में शामिल हुए हैं। इसी के जरिए बीजेपी बुंदेलखंड समेत ग्वालियर, चंबल मालवा, इलाके के लोधी वोटों को साधने की कोशिश में है। हालांकि उमा भारती से अपनी मुलाकात पर सिंधिया ने कहा- पार्टी नेता होने के नाते उनका आशीर्वाद लेने आया हूं।

राजस्थान का घटनाक्रम अभी साफ नहीं है लेकिन भाजपा ने हांथ बढा दिये हैं। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बड़ा बयान दिया है। भाजपा का रुख साफ करने की कोशिश करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी जनाधार वाला आदमी पार्टी में आता है तो अच्छा ही है। शेखावत ने कहा कि आज हमारा कुनबा इतना बड़ा हो गया है। जाहिर है कि अगर कोई आता है तो स्वागत होगा। आज राजस्थान के सीएम अपनी योजना में सफल हो गए हैं। बॉलीवुड में ट्रैंड है कि अगर इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को लगे कि वो फिल्म नहीं चल पाएगी तो कोई प्रोपेगेंडा किया जाता है। ये ही राजस्थान में हुआ है। जनता के मामलों में सरकार विफल रही है। इस प्रकार भाजपा ने इशारा कर दिया है।

उधर, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडे ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश कार्यकारिणी, समस्त विभागों, प्रकोष्ठ को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही नए प्रदेश कार्यकारिणी, विभागों एवं प्रकोष्ठों का गठन किया जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की अनुमति के बिना कोई भी कांग्रेस जन मीडिया से संवाद नहीं करेगा।

इस प्रकार भाजपा के पास कांग्रेस को तोड़ने का अवसर खुद चलकर आ रहा है।भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उमा भारती ने राजस्थान में सचिन पायलट के विद्रोह के लिए कांग्रेस पार्टी द्वारा उनके साथ किये गये अपमान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार का मौजूदा संकट राहुल गांधी और गांधी परिवार की वजह से ही है। सचिन, राजेश पायलट के बेटे हैं। राजेश मेरे लिए एक भाई की तरह थे और हमारे उनके परिवार से बड़े ही आत्मीय संबंध थे। मुझे पता है कि वह (सचिन) कितने स्वाभिमानी परिवार का है, कैसे वह जी पाया होगा एक-डेढ़ साल, मैं समझ सकती हूं, कितना अपमान हुआ होगा उसका....। कांग्रेस के नेता इस प्रकार की सहानुभूति का मतलब तो समझते ही होंगे।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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