स्कूली वाहनों पर चालक एवं विद्यालय के टेलीफोन नम्बर अंकित किये जाय :डा० दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश में शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक, मानसिक एवं यौन उत्पीड़न सम्बन्धित घटनाओं की रोकथाम एवं बाल अपराध को रोकने तथा विद्यालय परिसर में या विद्यालय आते-जाते बच्चों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने हेतु कृत संकल्प है। उप मुख्यमंत्री आज यहां रानी लक्ष्मी बाई मेमोरियल इण्टर कालेज, सेक्टर-14, इन्दिरानगर में आयोजित समस्त शिक्षा बोर्डों के अधीन संचालित लखनऊ के विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं प्रबन्धकों के साथ स्कूलों में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा, स्वच्छता एवं शैक्षिक गुणवत्ता उन्नयन के सम्बन्ध में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बच्चों के प्रथम शिक्षक उनके माता-पिता हैं एवं बच्चों में बचपन से ही नैतिकता का बोध कराना उनका परम दायित्व है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा का दायित्व हम सभी पर है, किसी एक व्यक्ति पर नहीं। उन्होंने कहा कि समय के अनुसार हमारी प्राथमिकताएं एवं आवश्यकताएं भी बदल रही हैं, ऐसी स्थिति में शिक्षा में भी बदलाव अपरिहार्य है।
बच्चों में सुरक्षा एवं स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के सम्बन्ध में उप मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षकगण केवल उन्हें शिक्षा ही प्रदान न करें बल्कि सुरक्षा एवं स्वच्छता के प्रति भी जागरूक करें। बच्चों की प्रत्येक गतिविधि पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। यदि कोई असंगत बात होती है तो शिक्षक का यह परम् दायित्व है कि बच्चे के अभिभावक के संज्ञान में सारी बाते लायें, जिससे अभिभावक भी अपने बच्चों पर विशेष ध्यान रख सकें। उन्होंने विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों एवं प्रबन्धकों से अपील की कि वे विद्यालय में 1 से 5 तक के बच्चों के लिए यथासम्भव अलग से टाॅयलेट की व्यवस्था सुनिश्चित करायें। उन्होंने सुरक्षा के मद्देनजर सभी संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबन्धतंत्र यह सुनिश्चित करें कि स्कूल बन्द होने के बाद सभी कक्षों का निरीक्षण भी कराये ताकि कोई विद्यार्थी स्कूल के अन्दर न रहने पाये। उन्होंने कहा कि शिक्षकगण बच्चों में आत्म विश्वास जागृत करने के साथ-साथ विशेषकर छात्राओं में आत्म सुरक्षा के प्रति भी जागृति उत्पन्न करें ताकि वे अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में आपातकालीन परिस्थतियों से निपटने की समस्त प्रकार की बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए तथा इसके लिए आधुनिक उपकरणों का उपयोग सुनिश्चित किया जाये। आधुनिक उपकरणों के इस्तेमाल से अभिभावक अपने मोबाइल ऐप द्वारा बैठे-बैठे घर से स्कूल तक बच्चों के आवागमन को देख सकेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यालय प्रबन्ध तंत्र चालकों के मोबाइल नम्बर एवं विद्यालय के टेलीफोन नम्बर स्कूली वाहनों पर अंकित कराये, जिससे आवश्यकता पड़ने पर उनसे सम्पर्क किया जा सके। उन्होंने कहा कि स्वच्छता का तात्पर्य स्कूलों की स्वच्छता एवं बाहर की स्वच्छता के साथ-साथ परीक्षाओं से नकल माफियाओं की भी स्वच्छता की जानी चाहिए।
संगोष्ठी में पुलिस महानिरीक्षक श्री नवनीत सिकेरा ने महिलाओं की सुरक्षा के सम्बन्ध में एक प्रस्तुतीकरण भी रखा। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि अभिभावकगण अपने बच्चों में इग्नोर एवं टाॅलरेट करना न सिखायंे, बल्कि बेझिझक एवं निडरता से अपनी बात बिना किसी संकोच के अभिभावक एवं शिक्षक से व्यक्त करना सिखाएं, इससे बच्चों के अन्दर आत्म विश्वास भी पैदा होगा।
जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने अपने सम्बोधन में कहा कि स्कूलों में पैरेन्ट-टीचर मीटिंग नियमित रूप से होनी चाहिए तथा इसमें बच्चों की सुरक्षा के सम्बन्ध में भी अवश्य चर्चा करें। उन्होंने कहा कि प्रबन्धतंत्र अपने विद्यालय में जो भी कर्मचारी रखें उनका पुलिस वैरीफिकेशन अवश्य करा लें। इसी तरह वाहनों एवं उनके चालकों का भी सत्यापन कराने के उपरान्त ही रखा जाये। प्रबंधतंत्र विद्यालय में हुई किसी घटना को न छिपाये बल्कि पुलिस से अवश्य बतायें।
बैठक में अपर मुख्य सचिव माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा, श्री संजय अग्रवाल, निदेशक माध्यमिक शिक्षा ए0एन0 वर्मा के अलावा विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रबन्धकों एवं अभिभावक संघ के प्रतिनिधियों ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
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