योगी का एक्सप्रेस वे प्रदेश

योगी का एक्सप्रेस वे प्रदेश

लखनऊ। आजादी की लड़ाई में सबसे ज्यादा चर्चित रहने वाला संयुक्त प्रांत, जिसको अब उत्तर प्रदेश के नाम से पुकारा जाता है, इसको अबतक कई नाम मिल चुके हैं। किसी ने कभी इसे उल्टा प्रदेश कहा तो कभी उद्योग-धंधे न होने के चलते इसको बीमारू प्रदेश का नाम दे दिया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे नये भारत का नया प्रदेश बनाने का संकल्प लिया था और खुशी की बात है कि इस दिशा में कुछ कार्य तो लोगों को दिख भी रहा हैं। सबसे प्रमुख रूप से सड़कों के जाल का उल्लेख किया जा सकता है। योगी की सरकार गर्व के साथ यह बात कह सकती है कि प्रदेश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेस वे हैं। उत्तर प्रदेश में सात एक्सप्रेस वे पहले से तैयार हैं और 6 एक्सप्रेस वे पर कार्य चल रहा है। अब देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाते समय घोषणा की गयी है कि 6 नए एक्सप्रेस वे बनेंगे। इस प्रकार योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को एक्सप्रेस वे प्रदेश बना दिया है। ये एक्सप्रेस वे सुगम यातायात के साथ ही उद्योग धंधों को भी बढ़ावा देंगे। औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने कहा है कि एक्सप्रेस वे किनारे उद्यमियों को वाजिब रेट पर भूमि मिलेगी। इससे जाहिर है कि एक्सप्रेस वे के किनारे उद्योग धंधे स्थानीय लोगों को रोजगार भी प्रदान करेंगे। भारत माला और दूसरी परियोजनाओं के तहत प्रदेश में 6881 किलोमीटर लम्बी सड़कें बननी हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने वाली एनएचएआई के सामने यह भी समस्या रहती है कि उसको केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जवायु परिवर्तन विभाग की आपत्तियां दूर करने में काफी समय जाया करना पड़ता है। इसके बावजूद यूपी में तीव्रगति से सड़कें बन रही हैं।

उत्तर प्रदेश के प्रमुख धार्मिक नगर बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे और गंगा एक्सप्रेस वे से जोड़ने के लिए 6 नए एक्सप्रेस बनाए जाएंगे। गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना के द्वितीय चरण में मेरठ से हरिद्वार और प्रयागराज से वाराणसी तक ग्रीन फील्ड वे बनाया जाएगा। इस एक्सप्रेस वे से शाहजहांपुर, बरेली होते हुए रामपुर-रूद्रपुर (उत्तराखण्ड सीमा) तक एक एक्सप्रेस वे का निर्माण कराने का प्रस्ताव भी 17 अगस्त को बनाया गया है। इसी तरह से चित्रकूट धाम को प्रयागराज होते हुए गंगा एक्सप्रेस वे से जोड़ दिया जाएगा। इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखण्ड से आने वाला यातायात सुगम हो जाएगा। इसी क्रम में झांसी लिंक एक्सप्रेस वे (चित्रकूट से मिर्जापुर) की भी योजना बनायी गयी है। इस प्रकार उत्तर प्रदेश में 20 एक्सप्रेस वे बन जाएंगे। प्रदेश पहले नम्बर पर हो गया है। इतनी सड़कें और किसी राज्य में नहीं हैं।

इन एक्सप्रेस वे को उद्योगों से भी जोड़ा जाएगा। प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी ने गत 17 अगस्त को ही लखनऊ के पर्यटन भवन में बताया था कि औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के अधिकारियों के साथ बैठक में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विकास की बात की गयी है। नंदी ने यूपीडा के अफसरों को निर्देश दिये हैं कि उद्यमियों को यहां वाजिब रेट पर जमीन दी जाए। यूपीडा के सीईओ अवनीश अवस्थी हैं। अवस्थी ने बताया कि पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के किनारे बाराबंकी, जौनपुर व गाजीपुर में, बुंदेलखण्ड एक्सप्रेस वे के किनारे बांदा व जालौन में और गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे के किनारे गोरखपुर में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलप किये जाने की योजना है। उन्होंने बताया कि जहां इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाया जाएगा, वहां आधी भूमि पर वेयर हाउसिंग और लॉजिस्टिक डेवलप किया जाएगा और आधी भूमि पर इंडस्ट्री (उद्योग) लगेगा। तीनों एक्सप्रेस वे के किनारे करीब 450 हेक्टेयर भूमि है। प्रदेश में 1225 किलोमीटर एक्सप्रेस वे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते वर्ष 18 दिसंबर को शाहजहांपुर में देश के सबसे बड़े गंगा एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन किया था। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के खाते में एक और एक्सप्रेस-वे जुड़ गया। उत्तर प्रदेश देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेस-वे वाला राज्य बन गया। गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश के 12 जिलों से होकर गुजरेगा। छह लेन वाला यह एक्सप्रेस-वे 594 किलोमीटर लंबा होगा। इसे बनाने में 36,200 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आएगी। कहा जा रहा है कि गंगा एक्सप्रेस-वे उत्तर प्रदेश का ही नहीं, देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे होगा। यह राज्य के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों को जोड़ेगा। इसके अलावा, शाहजहांपुर में एक्सप्रेस-वे पर वायुसेना के विमानों को उतारने में मदद के लिए 3.5 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई जाएगी।

इससे पहले राज्य में बना 340 किलोमीटर लंबा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे इस समय देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है। देश का दूसरा सबसे लंबा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे भी उत्तर प्रदेश में ही है। अगले कुछ वर्षों में प्रदेश में चार एक्सप्रेस बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे बलिया लिंक एक्सप्रेसवे बनकर तैयार हो जाएंगे। गंगा एक्सप्रेसवे को 2024 तक तैयार कर लेने की योजना है।पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लगभग 341 किलोमीटर लंबा है पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे गाजीपुर से लखनऊ की दूरी को महज चार घंटे में पूरी कर देगा। ये लखनऊ के चांद सराय गांव से शुरू होगा जो गाजीपुर में हैदरिया गांव पर खत्म होगा। ये गांव यूपी-बिहार बॉर्डर से 18 किलोमीटर पहले पड़ता है। ये एक्सप्रेस-वे अभी 6 लेन का बनाया गया है, जिसे भविष्य में 8 लेन भी किया जा सकता है। दावा है कि इस एक्सप्रेस-वे से गाजीपुर से दिल्ली पहुंचने में 10 घंटे लगेंगे। अक्टूबर 2018 में इसका काम शुरू हुआ था और तीन साल में इसे पूरा कर लिया गया।

गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे का निर्माण भी गोरखपुर आजमगढ़ के बीच तेजी से चल रहा है। 90 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे की सौगात भी प्रदेश की जनता को अगले एक दो साल में मिल जाएंगी।

चित्रकूट से इटावा तक बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे का मुख्य मार्ग बहुत तेजी से तैयार किया गया और 16 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी ने उद्घाटन किया। मध्यप्रदेश व बुंदेलखंड से आने वाले लोग इसके जरिए इटावा के बाद आगरा एक्सप्रेस पर आकर दिल्ली तक जा सकेंगे। बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के निर्माण में कुल 4 रेलवे ओवर ब्रिज, 14 लंबे पुल, 6 टोल प्लाजा, 7 रैम्प प्लाजा, 266 छोटे पुल, 18 फ्लाई ओवर बनाए गए हैं। (हिफी)

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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