परिसीमन की शर्तों को हटाकर शीघ्र लागू करें महिला आरक्षण विधेयक- लांबा

परिसीमन की शर्तों को हटाकर शीघ्र लागू करें महिला आरक्षण विधेयक- लांबा

जयपुर। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता अल्का लाम्बा ने केन्द्र सरकार से मांग की है कि उसे जनगणना एवं परिसीमन की शर्तों को हटाते हुए अविलम्ब सन् 2011 की जातिगत जनगणना के आंकड़ों के आधार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को सम्मिलित करते हुये महिला आरक्षण विधेयक को लागू करना चाहिए।

अल्का लांबा सोमवार को यहां प्रदेश कांग्रेस कमेटी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने देश की आधी आबादी को राजनीतिक भागीदारी और उनके सशक्तीकरण के लिये महिला आरक्षण को आवश्यक बताते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी इसका पुरजोर समर्थन करती है। महिला आरक्षण बिल पारित हो गया किन्तु यह समझना आवश्यक है कि केन्द्र सरकार की माने तो भी 2029 से पहले महिला आरक्षण सम्भव नहीं है। आर्टिकल 82 एवं आर्टिकल 81 (3) से इस बिल को लिंक किया गया है जिसके तहत् 2026 में परिसीमन होगा उसके बाद जनगणना पर इसका दारोमदार रहेगा। सरकार यह खुद स्वीकार कर रही है कि क्रियान्वयन 2029 से पहले नहीं होगा तो संसद का विशेष सत्र बुलाना, ताम-झाम एवं साज-सज्जा केवल वाहवाही लूटने के लिये की गई, किन्तु देश की आधी आबादी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रही है।

उन्होंने कहा कि देश की महिलाओं ने महिला आरक्षण के लिये संघर्ष किया है, इसलिये महिला आरक्षण बिल तुरंत लागू होना चाहिये। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार आनन-फानन में महिला आरक्षण बिल लाई किन्तु क्रियान्विति के लिये अभी भी 10-12 साल का इंतजार करना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि भाजपा की तमाम् महिला सांसद बिल पास होने पर प्रधानमंत्री को बधाई दे रही हैं, अच्छी बात है कि महिलाओं के सशक्तिकरण के लिये बिल पास हुआ, किन्तु यही महिला सांसद महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध पर लगातार चुप्पी साधे हुये हैं, महिलाओं पर अत्याचार, उनके खिलाफ अपराध पर एक शब्द नहीं बोलती हैं।

उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण बिल लागू होने के पश्चात् महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ ही सशक्त और जागरूक महिलायें संसद में आयेंगी तथा सरकार की ऑंखों में देखकर महिलाओं के विरूद्ध हो रहे अपराधों के खिलाफ आवाज उठायेंगी।

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा के नेता महिला अपराधों के मुद्दे पर राजस्थान को बदनाम करने का कुप्रयास कर रहे हैं जबकि वास्तविकता यह है कि अनिवार्य एफ.आई.आर. पंजीकरण नीति के बावजूद प्रति लाख महिलाओं के विरूद्ध अपराधों में राजस्थान छठे स्थान पर है। महिला अत्याचार के प्रकरणों में राजस्थान में सजा का प्रतिशत 45.2 प्रतिशत है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह 26.5 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासन में राजस्थान में महिला दुष्कर्म के अपराध में औसतन 274 दिन जॉंच में लगते थे जो अब घटकर 54 दिन रह गये हैं। जोरा

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