बिहार में 'हनुमान' के बारे में क्या बोलेंगे पीएम

बिहार में हनुमान के बारे में क्या बोलेंगे पीएम

पटना। बिहार में इस बार का चुनावी महासमर अद्भुत नजर आ रहा है। इस चुनाव में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने के लिए आधा दर्जन नेता सब कुछ दांव पर लगाने की तैयारी कर रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने जनता दल यूनाइटेड जद(यू) से अलग होकर भाजपा को असमंजस में डाल दिया। राम विलास पासवान की चुनाव से पहले मौत हो गयी। उनके बेटे और लोजपा के अध्यक्ष चिराग पासवान अपने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान बता रहा है। पीएम मोदी आगामी 23 अक्टूबर से बिहार में सभाएं करेंगे लेकिन अपने हनुमान के बारे में क्या कहते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। इस बीच विपक्षी महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी यादव ने अपना घोषणा पत्र जारी कर युवाओं को रोजगार देने का आश्वासन दिया है। कांग्रेस ने कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करने का वादा किया है।

बिहार चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हैं। महागठबंधन ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अपना घोषणा पत्र जारी किया। घोषणा पत्र जारी किए जाने के मौके पर राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में अब तक केंद्र की टीम ने आकर नहीं देखा कि बाढ़ से कितने लोग प्रभावित हुए, ऐसा लग रहा है कि बस कुर्सी पाने की होड़ में सब लोग लगे हुए हैं। वहीं घोषणा पत्र जारी किए जाने के दौरान कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि यदि हम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में सरकार बनाते हैं, तो हम तीन कृषि विरोधी कानूनों को समाप्त करने के लिए पहले विधानसभा सत्र में एक विधेयक पारित करेंगे। तेजस्वी यादव ने कहा कि लोग बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि मेरा काम सेवा का है, मेवा का नहीं है। लेकिन मेवा के लिए बिहार में 60 घोटाले हुए हैं। इसके अलावा तेजस्वी ने रोजगार को लेकर भी वादा किया। तेजस्वी ने कहा कि अगर हमारी सरकार बनती है तो पहली कैबिनेट में पहला दस्तखत 10 लाख नौकरी देने के फैसले पर होगा।

कांगेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी तीन गठबंधनों में चुनाव लड़ रही है, एक गठबंधन है जेडीयू और बीजेपी का जो आपको नजर आता है, एक गठबंधन है बीजेपी और एलजेपी का जो आप समझते हैं और एक गठबंधन है बीजेपी और ओवैसी साहब का। तीन ठगबंधन के साथ बीजेपी इस बिहार के चुनाव में उतरी है। इस प्रकार राजद और कांग्रेस दोनों ने भाजपा को घेरा है।

हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में पड़ी फूट अब आक्रामक आरोप-प्रत्यारोप के दौर में पहुंच गयी है। दिल्ली से लेकर पटना तक भारतीय जनता पार्टी के नेता लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवारों को वोट कटवा कहने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अलावा रविशंकर प्रसाद, बिहार के प्रभारी देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी और भूपेंद्र यादव ने एक स्वर में चिराग पासवान पर अपने-अपने बयान के मार्फत हमला बोला और खुलकर उनके उम्मीदवारों को वोट कटवा कह डाला।

लोजपा का कहना है कि उनके खिलाफ भाजपा नेताओं की बयानबाजी नीतीश कुमार के दबाव में की जा रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि चिराग पासवान की बातों में सच्चाई हो सकती है। उनके अनुसार ये बात किसी से छिपी नहीं है कि नीतीश कुमार अपने ऊपर हर दिन चिराग पासवान की आलोचना से काफी खफा हैं और उन्हें लगता है कि ऐसा भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के शह के बिना नहीं हो सकता। भाजपा के नेता यह भी मानते हैं कि शुरू में जो उनका आकलन था कि चिराग केवल जनता दल यूनाइटेड के प्रत्याशियों के खिलाफ उम्मीदवार उतारकर नीतीश कुमार के अधिक से अधिक प्रत्याशियों की हार सुनिश्चित करेंगे, लेकिन अब उनके फीडबैक में इसका उल्टा संकेत मिल रहा है।

पार्टी के कई जिला इकाइयों से प्राप्त सूचना के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड के नेता और उनके परंपरागत वोटर चिराग के आक्रामक बयानों के लिए भाजपा को जिम्मेदार मानते हैं। इसका असर प्रचार अभियान में भी देखा जा सकता है। इसके अलावा, चिराग पासवान ने सार्वजनिक रूप से जब यह कहना शुरू किया है कि उन्होंने जो भी कदम उठाया है केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को इसके बारे में विस्तार से बताया था तो बिहार भाजपा नेताओं को लगने लगा कि इसका एक गलत संदेश जमीनी स्तर पर जाएगा। इसलिए वो तत्काल डैमेज कंट्रोल में जुट गए और चिराग पासवान के खिलाफ आक्रामक तेवर अपनाया।

दिल्ली से पटना तक नेताओं ने एक स्वर में उनके ऊपर हमला बोला और अभी तक मीडिया द्वारा बार-बार सवाल पूछे जाने पर कि चिराग पासवान के कदम पर आपने कभी कुछ ट्वीट नहीं किया। पहली बार भूपेंद्र यादव ने ट्वीट कर चिराग पासवान के कदम की आलोचना की।

भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। चुनाव किसी राज्य में हो, भाजपा के प्रचार की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सम्भालते हैं। बिहार चुनावों में उनकी चुनावी सभाओं को लेकर लोगों में जिज्ञासा है। ऐसा इसलिए है कि लोगों के मन में इस बात को लेकर सवाल हैं कि पीएम किस अंदाज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो एनडीए का चेहरा हैं, उनके लिए वोट माँगेंगे? पिछले चुनावों में उन्होंने नीतीश को जमकर कोसा था। उनके डीएनए पर भी सवाल उठाए थे।

पीएम की पहली चुनावी रैली, जो 23 अक्टूबर को सासाराम में होगी, को लेकर निश्चित रूप से एनडीए नेताओं ने राहत की साँस ली है क्योंकि भाजपा की ये परंपरागत सीट इस बार जनता दल यूनाइटेड के खाते में गई है। माना जा रहा है कि स्थानीय सांसद छेदी पासवान समेत स्थानीय भाजपा नेता चुनाव में बहुत सक्रिय नहीं दिख रहे थे। इस फीडबैक के आधार पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने दो दिन पूर्व यहाँ कार्यकर्ताओं की बैठक भी की थी। ये वो सीट है जहां से भाजपा के पूर्व विधायक और अब निष्कासित रामेश्वर चैरसिया भी लोक जनशक्ति पार्टी की टिकट पर मैदान में हैं।

इसी प्रकार रोहतास जिले की सात विधानसभा सीटों में से पांच पर जेडीयू ने उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें से तीन पर भाजपा के बागी टक्कर दे रहे हैं। रामेश्वर चैरसिया के अलावा भाजपा के उपाध्यक्ष रहे राजेंद्र सिंह भी नोखा से ताल ठोक रहे हैं। ये नेता भी खुद को भाजपा का ही नेता बता रहे हैं। इस स्थिति में वोटरों के बीच भ्रम है। ऐसे में सासाराम से चुनाव अभियान की शुरुआत कर पीएम मोदी अपने संबोधन में न केवल नीतीश क्यों जरूरी हैं? इसके बारे में लोगों के बताएंगे बल्कि लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के प्रति उनका क्या रूख है? इसके बारे में भी लोगों को बताएंगे। एक दिन पहले ही चिराग पासवान ने कहा है कि वो मोदी जी के हनुमान हैं। (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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