चैयरमेन पद को लेकर शाहपुर में BJP और RLD के बीच कड़ा मुकाबला

चैयरमेन पद को लेकर शाहपुर में BJP और RLD के बीच कड़ा मुकाबला

शाहपुर। चेयरमैन पद के चुनाव में शाहपुर कस्बे में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के कैंडिडेट के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है हालांकि कई प्रत्याशी अन्य दलों के टिकट पर भी मैदान में हैं लेकिन गठबंधन और भाजपा के बीच सीधी टक्कर है।


गौरतलब है कि शाहपुर नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहे हैं। इस बार निकाय चुनाव में सभी पार्टियों ने अपने-अपने सिंबल पर प्रत्याशी उतारे हुए हैं। निकाय चुनाव को उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है । ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसी कड़ी में मुजफ्फरनगर जिले के शाहपुर कस्बे में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने निवर्तमान चेयरमैन प्रमेश सैनी पर दांव लगाया है तो वही राष्ट्रीय लोकदल, समाजवादी पार्टी और आजाद समाज पार्टी के गठबंधन से हाजी इलियास मैदान में ताल ठोक रहे हैं, क्योंकि उत्तर प्रदेश में गठबंधन और भाजपा के बीच सीधा सीधा मुकाबला रहता है इसलिए शाहपुर कस्बे में भी गठबंधन और भाजपा प्रत्याशी के बीच मुकाबला माना जा रहा है।


शाहपुर में भाजपा प्रत्याशी प्रमेश सैनी और रालोद के हाजी इलियास की बीच इसलिए भी कड़ा मुकाबला माना जाता है कि पिछली बार भी दोनों के बीच कड़ी टक्कर हुई थी। जिसमें प्रमेश सैनी को जीत हासिल हुई थी और तब निर्दलीय के तौर पर हाजी इलियास दूसरे नंबर पर रहे थे। इस बार हाजी इलियास रालोद, सपा और आसपा गठबंधन के प्रत्याशी हैं तो उनको मुख्य दावेदार माना जा रहा है। उनकी दावेदारी इसलिए भी मजबूत है चूंकि समाजवादी पार्टी के वोटर माने जाने वाले मुस्लिम, राष्ट्रीय लोकदल के जाट एंव किसान मतदाता तथा आसपा की दलितों में बन रही घुसपैठ भी हाजी इलियास के फेवर में दिखाई पड़ रही है।


हालांकि पूर्व चेयरमैन सुषमा सैनी जोकि समाजवादी पार्टी के नेता श्यामलाल उर्फ बच्ची सैनी की पत्नी है, वह भी मैदान में है लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उनको मुख्य मुकाबले से दूर माना जा रहा है। इसके साथ ही यूपी में पांव जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी से भी हाजी अकरम उर्फ कल्लू चुनावी मैदान में है लेकिन अभी आम आदमी पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई वजूद नहीं है। इसलिए हाजी अकरम की दावेदारी उतनी मजबूत नही मानी जा रही है।

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