चेयरमैन चुनाव में इस बार फिर BJP की हैट्रिक में अड़ंगा लगा सकता है RLD

चेयरमैन चुनाव में इस बार फिर BJP की हैट्रिक में अड़ंगा लगा सकता है RLD

बुढ़ाना। मुजफ्फरनगर जनपद की बुढ़ाना नगर पंचायत में एक तरफ जहां भाजपा हैट्रिक लगाने के लिए तैयार है तो वहीं रालोद गठबंधन भी 2006 की तरह इस बार भी भाजपा की हैट्रिक में अड़ंगा लगाने की तैयारी में जुटा हुआ है। मुस्लिम बाहुल्य इस कस्बे में राष्ट्रीय लोकदल पहले भी अपनी जीत दर्ज करा चुका है, इसीलिए इस सीट पर गठबंधन में फिर से रालोद की दावेदारी ही मजबूत दिखाई पड़ रही है। हालांकि समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष भी अपने भाई के लिए सपा का सिंबल मांग रहे हैं लेकिन कस्बे में त्यागी समाज की मात्र 700 वोट होने तथा भाजपा के जितेंद्र त्यागी के भी सजातीय होने के कारण भी उनकी दावेदारी को कमजोर पड़ रही है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जनपद की बुढ़ाना नगर पंचायत में 1988 में शहाबुद्दीन उर्फ मुन्नन चुनाव जीते थे। उसके बाद से 1995 और 2000 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर कस्बे के दिग्गज नेता जितेंद्र त्यागी और उनकी पत्नी चुनाव जीत चुकी थी। 2006 में राष्ट्रीय लोकदल के समर्थन से शहाबुद्दीन उर्फ मुन्नन ने फिर से जितेंद्र त्यागी के मुकाबले में चुनाव लड़ा और उन्होंने जितेंद्र त्यागी की हैट्रिक में अड़ंगा लगा दिया। साल 2012 और 2017 में फिर से जितेंद्र त्यागी और उनकी पत्नी चेयरमैन बने। अब जब भाजपा के टिकट पर जितेंद्र त्यागी की हैट्रिक का नंबर आ रहा है तो फिर से रालोद गठबंधन भाजपा के जितेंद्र त्यागी के सामने डट गया है। इस बार रालोद का समीकरण इसलिए भी मजबूत है कि 32000 की वोटर वाली बुढ़ाना नगर पंचायत में 19000 वोट मुस्लिम समाज की हैं जबकि गठबंधन का ही वोटर माना जाने वाले 800 जाट मतदाता तथा लगभग 1500 दलित वोटर भी बुढ़ाना नगर पंचायत में है। ऐसे में मुस्लिम, जाट और दलित का गठबंधन भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ी हार की तरफ ले जा सकता है।

इसके अलावा इस बार बुढाना में नगर पंचायत अध्यक्ष पद की दावेदारी में जुटे एहतेशाम सिद्दीकी, तौसीफ राही, नवाब इम्तियाज भी अपनी ताल ठोक रहे थे लेकिन इसी बीच सपा रालोद गठबंधन के नेताओं की सहमति से इन लोगों ने तय किया कि जिसको भी राष्ट्रीय लोकदल टिकट देगा, बाकी मिलकर उसी एक उम्मीदवार को चुनाव लड़ाएंगे। इधर समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रमोद त्यागी भी अपने भाई सुबोध त्यागी के लिए समाजवादी पार्टी का सिंबल हासिल करने की मुहिम में जुटे हैं लेकिन राष्ट्रीय लोकदल इस सीट पर अपनी दावेदारी मजबूती से रख रहा है। सुबोध त्यागी का दूसरा कमजोर पक्ष यह भी है कि जब वह साल 2006 में समाजवादी पार्टी के समर्थन से बुढ़ाना नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़े थे तब उन्हें मात्र 1800 के लगभग वोट मिली थी। इसके साथ ही कस्बे में त्यागी समाज की मात्र 700 वोट तथा भाजपा के जितेंद्र त्यागी के भी सजातीय होने के कारण भी उनकी दावेदारी को कमजोर पड़ रही है। इसके अलावा भी बुढ़ाना रालोद का गढ़ माना जाता है। ऐसे में इस सीट पर रालोद की दावेदारी मजबूत है।

रालोद से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पार्टी भी चाहती है कि बुढ़ाना में किसी मुस्लिम को प्रत्याशी बनाया जाए क्योंकि बुढ़ाना विधानसभा सीट पर जहां राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर राजपाल बालियान 2022 में चुनाव जीते थे तो वही ब्लॉक प्रमुख पर भी राष्ट्रीय लोकदल का ही कब्जा है। ऐसे में जाट मुस्लिम गठजोड़ को कायम रखने के लिए नगर पंचायत के चुनाव में रालोद मुस्लिम प्रत्याशियों पर ही दांव लगाने के बारे में विचार कर रहा है।

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