नहीं थम रहा हार से हाहाकार-बढ़ती जा रही रार- रालोद अध्यक्ष का इस्तीफा

नहीं थम रहा हार से हाहाकार-बढ़ती जा रही रार- रालोद अध्यक्ष का इस्तीफा

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 18वीं विधानसभा के गठन के लिए हुए चुनाव में गठबंधन को मिली हार पर मचा हाहाकार कम होने के बजाय लगातार गंभीर रूप अख्तियार कर रहा है। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष ने टिकट बेचने एवं दलित मुस्लिम को साइल्डलाइन करने जैसे गंभीर आरोपों के साथ अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक गठबंधन आंतरिक तानाशाही के चलते ऊंची दुकान फीके पकवान की तरह फ्लॉप शो साबित हुआ है।

शनिवार को राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष डॉक्टर मसूद अहमद में पार्टी नेतृत्व के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह को लिखी चिट्ठी में मसूद अहमद ने कहा है कि मैं वर्ष 2015-16 में चौधरी अजित सिंह के आह्वान पर पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के मूल्यों तथा जाट मुस्लिम एकता एवं किसानों, शोषित, वंचित वर्ग के अधिकार के लिए संघर्ष हेतु रालोद में शामिल हुआ था और तन मन धन से पार्टी के लिए समर्पित होकर काम करता रहा। वर्ष 2016-17 में चौधरी अजित सिंह ने विश्वास व्यक्त करते हुए मुझे प्रदेश अध्यक्ष बनाया। जिसके उपरांत संगठन कार्यों में कड़ी मेहनत करते हुए उसे मजबूत करने के लिए मैंने अथक प्रयास किए।

विधानसभा चुनाव से पहले कई बार चेतावनी देने पर भी गठबंधन की ओर से आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण को अपमानित किया गया, जिससे नाराज होकर दलित वोट गठबंधन से छिटककर बीजेपी में चला गया और गठबंधन को इसका अच्छा खासा नुकसान हुआ। उन्होंने कहा है कि सपा मुखिया अखिलेश ने अपने सुप्रीमों कल्चर को बरकरार रखने के लिये अपने गठबंधन को दरकिनार कर दिया। जिसके चलते रालोद तथा सपा के नेताओं का उपयोग प्रचार में नहीं किया गया। जिसकी वजह से पार्टी के लिये समर्पित रहने वाले पासी एवं वर्मा नेता नेपथ्य में चले गए और इन समाज के वोट गठबंधन से छिटक गए।

जौनपुर सदर जैसी सीटों पर पर्चा भरने के आखिरी दिन तीन तीन बार टिकट बदले गए। जिसका नतीजा यह रहा कि एक-एक सीट पर सपा के तीन तीन उम्मीदवार हो गए, जिसका जनता में गलत संदेश गया। उन्होंने कहा है कि धन संकलन के चक्कर में प्रत्याशियों के नामों का ऐलान समय रहते नहीं हुआ, जिसके चलते उम्मीदवारों को बिना तैयारी के चुनाव लड़ना पड़ा।




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