गांव, गरीब और किसान के साथ सरकार के धोखे का बजट-राकेश टिकैत

गांव, गरीब और किसान के साथ सरकार के धोखे का बजट-राकेश टिकैत

मुजफ्फरनगर। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने लोकसभा में पेश किए गए बजट को लेकर कहा है कि इससे गांव, गरीब और किसान का नहीं बल्कि सरकार के कारपोरेट मित्रों को लाभ होगा। सरकार की ओर से लाए गए एसईजेड से खेती योग्य जमीन पर संकट खड़ा हो जाएगा। कृषि और उससे जुड़े हुए क्षेत्रों का कुल बजट पिछले साल के मुकाबले 4.26 फ़ीसदी से घटाकर इस बार 3.84 प्रतिशत कर दिया गया है।

मंगलवार को संसद में पेश किए गए बजट 2022 को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि आज बजट 2022 के वित्त मंत्री के भाषण से स्पष्ट है कि यह बजट खेती के लिए नकारात्मक है। खेती में वित्तीय आबंटन को कम किया गया है। पिछले साल के मुकाबले कुल बजट के कृषि क्षेत्र के आबंटन को भी कम कर दिया गया है। किसानों की आय दोगुनी करने, किसान सम्मान निधि के आबंटन में वृद्धि नही करना, फसल बीमा योजना के लिए आबंटन कम करना, फसलों की खरीद हेतु प्रधानमंत्री आशा स्कीम में आबंटन घटाना, पराली न जलाने हेतु आबंटन को खत्म करना, एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फण्ड को कम करना, खेती में प्रयोग होने वाली वस्तुओं जैसे बीज, कीटनाशक, खरपतवार नाशी, ट्रैकटर सहित कृषि यंत्रों, पशुओं व पोल्ट्री फीड आदि में जीएसटी की दरों में राहत नही देने आदि से स्पष्ट है कि कृषि की बजट में इतनी उपेक्षा आजाद भारत के इतिहास में कभी नही हुई है। किसानों के लिए बजट रूटीन प्रकिया का हिस्सा है। इससे किसानों का कल्याण संभव नही है। इस बजट से यह भी स्पष्ट है कि सरकार किसानों से बदले की भावना से कार्य कर रही है।

भाकियू नेता ने कहा है कि तिलहन के उत्पादन को सरकार इसलिए बढ़ाना चाहती है कि वह ताड की खेती कॉरपोरेट को सौंपना चाहती है। जबकि ताड की खेती भूमिगत जल व पर्यायवर्णीय दृष्टि से उचित नही है। बजट में केवल अमृत महोत्सव, गतिशक्ति, ई विधा जैसे शव्दों का मायाजाल है। कृषि में पूंजी निवेश के माहौल के लिए कोई योजना नही है।

किसान सरकार की किसान विरोधी सोच का विरोध करते हुए देश की वित्त मंत्री महोदया को बजट के लिए 000 नंबर देता है। जो भी कृषि का आवंटन है उसका बड़ा हिस्सा तनख्वाह, किसान सम्मान निधि व ब्याज की सब्सिडी पर खर्च होगा। इसमे नया कुछ भी नही है बल्कि जो मिल रहा था उसे भी कम कर दिया गया है।

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