राजनीति में मर्यादित आचरण करना सीखना चाहिए : अखिलेश यादव

राजनीति में मर्यादित आचरण करना सीखना चाहिए : अखिलेश यादव

लखनऊ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार नागरिकों के संविधान से प्राप्त अधिकारों पर कुठाराघात करने पर तुल गई है। किसी भी लोकतांत्रिक सरकार का यह काम नहीं हो सकता है कि वह अपने नागरिकों को संविधान प्रदत्त अधिकारों से वंचित करे और सार्वजनिक रूप से उनको बिना अदालती निर्णय के अपराधी घोषित कर दें। इन दिनों 'भाजपा सरकार' राजधानी लखनऊ में एक पक्षीय विरोध को कुचलने का काम कर रही है।

भाजपा राज में पुलिस ने लखनऊ में होर्डिंग, पोस्टरों के जरिए सार्वजनिक तौर पर चार दर्जन से ज्यादा नागरिकों के फोटो लगाकर उनकी पहचान कराने को कहा है। चौराहों पर इस तरह का प्रदर्शन किसी भी तरह नैतिक नहीं ठहराया जा सकता है। किसी को 'संदिग्ध' मानकर उसको बिना दलील, बिना वकील के ही सीधे-सीधे अपराधी की तरह प्रचारित कर देना कौन सी लोकतांत्रिक व्यवस्था है? इस तरह की छूट से तो भाजपा सरकार कभी भी कहीं भी किसी को भी उत्पीड़न कर सकती है। इससे आक्रोशित जनता अगर भाजपा नेताओं के असली चेहरे की फोटो वाली होर्डिंग लगा देगी तो भाजपा क्या करेगी? वह सच्चाई को कैसे छुपाएगी? भाजपा को राजनीति में मर्यादित आचरण करना सीखना चाहिए।

भाजपा भारतीय राजनीति का ऐसा चेहरा है जो लोकतंत्र को डराना अपना धर्म मानती है। भारत में संविधान से ही लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है। भाजपा का लोकतंत्र में भी विश्वास नहीं है। असहमति का अधिकार भारतीय संविधान से प्राप्त है। पर भाजपा तो लोकतंत्र की आवाज को ही बंद करना चाहती है। दो दर्जन की हत्या के बाद यह टिप्पणी कि जो भी सड़क पर आएगा उसको तो मरना ही है भाजपा नेतृत्व की संवेदनहीनता का परिचय देती है।

भाजपा सरकार संवाद के बजाय तानाशाही रवैया अपनाने का काम कर रही है। लोकतंत्र लोकलाज से चलता है लेकिन भाजपा को इसकी कतई फिक्र नहीं। सभी कायदे कानूनों को ताक पर रखकर मनमाने तरीके से जनसामान्य से पेश आना उनकी आदत हो गई है। नागरिक अधिकारों को कुचलने के लिए भाजपा सत्ता का दुरूपयोग करने में कोई संकोच नहीं करती है। भाजपा के कारनामों को जनता कभी बर्दाश्त नहीं कर सकती।


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