बोले टिकैत - BJP नेताओं को शादी या तेहरवीं में बुलाया तो मिलेगा सामाजिक दंड

बोले टिकैत - BJP नेताओं को शादी या तेहरवीं में बुलाया तो मिलेगा सामाजिक दंड

मुजफ्फरनगर। भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि कोई भी किसान भाई गांवों में भाजपा नेताओं को शादी, विवाह, तेरहवीं आदि का निमत्रंण नहीं देगा। यदि कोई भाजपा नेताओं को चिट्ठी देने का दोषी पाया जाता है, तो उसे दंड भुगतना होगा। दंड स्वरूप उसे अगले ही दिन अपने घर पर 100 आदमियों को भोजन कराना होगा।

भाकियू की राजधानी सिसौली में आज ऐतिहासिक मासिक पंचायत का आयोजन किया गया। पंचायत में चौधरी नरेश टिकैत ने कहा की किसान का जो आंदोलन चल रहा है, वह अब मान-सम्मान की लड़ाई में तब्दील हो गया है। यह किसान समाज की पगड़ी की लड़ाई है। हमें अपनी जमीन बचानी है, अपनी इज्जत बचानी है, इसलिए इस आंदोलन को अब और अधिक मजबूती के साथ लड़ा जायेगा। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी वाले बहुत जोर -जोर से जय श्रीराम के नारे लगाते हैं, जबकि श्रीराम के वंशज रघुवंशी गोत्र के किसानों को दिल्ली गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे हुए लगभग तीन माह होने वाले हैं, मगर उनसे मिलने का सरकार के पास समय ही नहीं है। चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि 200 से ज्यादा किसान दिल्ली बॉर्डर पर अलग-अलग स्थानों पर शहीर हो चुके हैं, लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भी शहीदों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त नहीं की है। जब तक मांगे पूरी नहीं होंगी, किसान दिल्ली बॉर्डर पर डटा रहेगा। चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश में बिजली के दाम पड़ौसी राज्यों से ज्यादा है। डीजल के दाम भी आसमान छू रहे हैं। ऐसे में किसान बर्बाद नहीं होगा तो और क्या होगा। बैंक के कर्ज के नीचे किसान दबा हुआ है। पिछले चार सालों से यूपी में गन्ने के रेट में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है, किस प्रकार किसान अपना बैंक का कर्ज उतारेगा और कैसे अपना गुजारा करेगा। उन्होंने कहा कि हम तो अपने खाते से जो सरकार ने 10 बढ़ाए थे, उन 10 रुपये का जितना हिसाब बनता है, वह हम राजकीय कोष में जमा करवा देंगे और अन्य किसानों से भी अनुरोध करके पैसा राजकीय कोष में जमा करवा देंगे। अगर इस प्रकार से भी सरकार का घाटा पूरा होता है, तो हम पैसा वापसी करने के लिए भी तैयार है।

पंचायत को सम्बोधित करते हुए चौधरी बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा की 26 जनवरी की घटना के बाद किसानों का मनोबल कुछ हद तक कम हो गया था। 27 जनवरी को किसान चिंता में था, उसके उपरांत 28 जनवरी में सिसौली की धरती से जो आंदोलन की चिंगारी उठी, उसने इस किसान आंदोलन को भी बचा लिया और सिखों की पगड़ी को भी बचा लिया। इसका हम एहसान ताउम्र मानते रहेंगे। इस आंदोलन को हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सभी के साथ मिलकर मजबूती के साथ लड़ा जायेगा।

भारतीय किसान यूनियन के युवा प्रभारी चौधरी दिगंबर सिंह ने कहा कि जब तक सरकार मांगें नहीं मानेगी, तब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा और न ही किसान गाजीपुर बॉर्डर से वापस जायेंगे। वरिष्ठ भाकियू नेता राजू अहलावत ने कहा की सभी कार्यकर्ता अपना एक-एक ट्रैक्टर लेकर गाजीपुर बॉर्डर पर डटे रहें, जब तक कि आंदोलन खत्म नहीं हो जाता। अगर वे ऐसा नहीं कर सकते तो सम्मान पूर्वक अपने पद का त्याग करें। किसी दूसरे व्यक्ति को उक्त पद दिया जायेगा, जो कि आंदोलन में अपनी भागीदारी निभा सकेगा।

पंचायत में हजारों की संख्या में आसपास व दूरदराज क्षेत्रों से आये किसानों ने प्रतिभाग किया। किसान भवन पर किसानों ने भाजपा के नेताओं पर अपनी भड़ास निकाली। मासिक पंचायत में यह निर्णय लिया गया कि प्रत्येक गांव से एक ट्राली ओर 15 किसान 10 दिन के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर जाएंगे। जब 10 दिन बाद पहली ट्राली वापस आएगी, तो अगली ट्राली प्रत्येक गांव से जाने के लिए तैयार रहे। पंचायत की अध्यक्षता चरण सिंह व संचालन नीटू दुल्हेरा ने किया। पंचायत में प्रदेशाध्यक्ष राजवीर सिंह जादौन, धीरज लाटियान, चौधरी विरेन्द्र लाटियान, बलबीर सिंह राजेवाल, हरसौली थांबेदार सौदान सिंह, दिगम्बर सिंह, राजू अहलावत, अजय सिसौली, चौधरी मुकुल बालियान, विनय कुमार, उपेंद्र बालियान आदि शामिल रहे।

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