राज्यपालों पर संजय राउत का सवाल

राज्यपालों पर संजय राउत का सवाल

मुंबई। शिवसेना के सांसद संजय राउत पार्टी के मुखपत्र सामना के भी सम्पादक हैं। सामना में पार्टी की रणनीति के साथ राष्ट्रीय राजनीति पर भी टिप्पणी की जाती है। अभी हाल ही में सामना में दो राज्यपालों को लेकर सवाल उठाया गया है। सामना के सम्पादक का कहना है कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ जहां बहुत तेजी दिखा रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी बहुत सुस्त चल रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल धनखड़ राज्य सरकार के कामकाज में जरूरत से ज्यादा सक्रियता दिखा रहे हैं जबकि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने समुद्री तूफान ताउते से महाराष्ट्र को हुई क्षति के बारे में एक शब्द तक कहना मुनासिब नहीं समझा। राज्यपाल कोश्यारी को राज्य के लिए केद्र से आर्थिक मदद की अपील करनी चाहिए थी। सामना के सम्पादकीय में यह भी कहा गया है कि केन्द्र सरकार महाराष्ट्र के साथ भेदभाव कर रही है। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर धीमी गति से काम करने का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि विधान परिषद के लिए मनोनीत होने वाले 12 सदस्यों का मामला 6 महीने से राज्यपाल ने लटका कर रखा है।

पिछले हफ्ते चक्रवाती तूफान 'ताउते' से गुजरात और महाराष्ट्र को भारी नुकसान हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चक्रवाती तूफान 'टाउते से प्रभावित गुजरात को तत्काल राहत के लिए 1000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता की घोषणा की। इस बीच महाराष्ट्र की सरकार इस बात से नाराज है कि उनके राज्य के लिए इतनी बड़ी सहायता राषि का ऐलान नहीं किया गया। शिवसेना ने इसको लेकर राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी पर निशाना साधा है। सामना के संपादकीय में राज्यपाल पर भेदभाव का आरोप लगाया गया है।

सामना के संपादकीय में लिखा है, ताउते चक्रवाती तूफान से नुकसान हुआ। प्रधानमंत्री ने गुजरात के तूफान प्रभावितों को हजार करोड़ रुपए दिए। फिर महाराष्ट्र पर अन्याय क्यों करते हो? मेरे राज्य को भी 1500 करोड़ दो, ऐसी मांग करके राज्यपाल को 'महाराष्ट्र' की जनता का मन जीतना चाहिए। ये सब करने की बजाय राज्यपाल 6 महीने से एक फाइल की राजनीति कर रहे हैं। अब तो वह फाइल भी भूतों ने चुरा ली है। राजभवन में हाल के दिनों में किन भूतों का आना-जाना बढ़ा है? एक बार शांति यज्ञ करना होगा।श्शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा है कि क्या महाराष्ट्र का राजभवन गतिशील प्रशासन की व्याख्या में नहीं आता है? ऐसा सवाल खड़ा हो गया है। वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र के राज्यपाल कुछ ज्यादा ही चर्चा में रहते हैं। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीश धनकड़ कुछ ज्यादा ही तेज तो महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी की गति कुछ मामलों में धीमी पड़ गई है। यह आलोचना न होकर वास्तविकता है। सामना ने संपादकीय में विधान परिषद में 12 मनोनित होने वाले सदस्यों का भी मुद्दा उठाया है। लिखा है, भारतीय जनता पार्टी के महामंडलेश्वरों को इस वास्तविकता को समझ लेना चाहिए। महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल ने विधान परिषद में 12 सदस्यों को मनोनीत करने की सिफारिश की। इस सिफारिश को 6 महीने बीत गए। राज्यपाल निर्णय लेने को तैयार नहीं हैं। इस पर मुंबई हाई कोर्ट ने राज्यपाल से सवाल पूछा है।

महाराष्ट्र में चक्रवाती तूफान टाउते से प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्षी पार्टी बीजेपी के उस बयान का भी जवाब दिया, जिसमें उन्हें महज तीन घंटे के लिए प्रभावित इलाकों में जाने को लेकर निशाना बनाया गया था। उद्धव ठाकरे ने कोंकण क्षेत्र के दौरे पर पहुंचकर सीधे-सीधे विपक्ष की आलोचना पर तंज करते हुए कहा- मैं कम से कम जमीनी तौर पर हालात का जायजा तो ले रहा था, न कि किसी हेलिकॉप्टर में बैठकर हवाई सर्वेक्षण कर रहा था।

सीएम उद्धव ठाकरे ने चक्रवाती तूफान टाउते के गुजरने के बाद हालात का जायजा लेने के लिए कोंकण में रत्नागिरि और सिंधुदुर्ग जिले का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को दो दिन के भीतर फसलों को हुए नुकसान का आकलन करने के निर्देश भी दिए। सीएम के चार घंटे के दौरे को लेकर महाराष्ट्र में विपक्षी दल बीजेपी के नेताओं ने ठाकरे के दौरे की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि उन्हें यह जानकार काफी हैरानी हुई कि सीएम ठाकरे कोंकण के महज तीन घंटे के दौरे पर राजनीतिक टिप्पणियां कर रहे थे। वहीं विधान परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर ने भी ये सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री चक्रवात से हुए नुकसान के बारे में महज तीन घंटे में कैसे जान सकते हैं? बीजेपी की ओर से की गई इस टिप्पणी पर सीएम उद्धव ठाकरे से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा- ठीक है कि अगर मेरा दौरा 4 घंटे का ही था। कम से कम मैं जमीन पर जाकर हालात का जायजा ले रहा था न कि फोटो खिंचवाने के लिए किसी हेलीकॉप्टर में था। मैं खुद एक फोटोग्राफर हूं।' माना जा रहा है कि ठाकरे का इशारा पीएम मोदी की ओर था।

उधर, नारदा स्टिंग ऑपरेशन केस को लेकर पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच टकराव की स्थिति बढ़ती जा रही है। इसी बीच टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने गवर्नर को धमकी देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी जगदीप धनखड़ के गवर्नर पद से हटते ही उन्हें जेल भेज देगी। कल्याण बनर्जी ने कहा, हम जानते हैं कि उनके खिलाफ हम आपराधिक केस दर्ज नहीं करा सकते इसलिए हमारी लोगों से अपील है कि वह गवर्नर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराएं। कल्याण बनर्जी ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान और बाद में जहां-जहां पर हिंसा हुई है वहां के लोग गवर्नर के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराएं।

कल्याण बनर्जी ने कहा कि जिस तरह का माहौल देश में बन चुका है उसके बाद साल 2024 के चुनाव में बीजेपी के कई नेता जेल के अंदर होंगे। भारत के लोग अब दूसरी आजादी का इंतजार कर रहे हैं। टीएमसी सांसद की इस टिप्पणी पर गवर्नर जगदीप धनखड़ ने प्रतिक्रिया देते हुए हैरानी जताई है। बता दें कि नारदा स्टिंग केस मामले को गवर्नर ने सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया था, जिसके बाद बंगाल सरकार के दो मंत्रियों सुब्रत बनर्जी, फिरहाद हाकिम समेत 4 नेताओं को अरेस्ट किया गया है और उन्हें जेल भेजा गया था। सीबीआई की ओर से की गई इस कार्रवाई के बाद से टीएमसी के कई नेता गवर्नर जगदीप धनखड़ पर हमलावर हो गए हैं। नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में एक कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए। (हिफी)

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