सदन में बोले थे राजपाल सैनी - दिल मे होना चाहिए किसानों का दर्द

सदन में बोले थे राजपाल सैनी - दिल मे होना चाहिए किसानों का दर्द

मुजफ्फरनगर। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग समाज के कद्दावर नेता राजपाल सैनी ने राज्यसभा सांसद के रूप में वर्ष 2015 के मार्च माह में राज्यसभा में किसानों के मुद्दों उठाये थे। उसी दौरान किसानों की नष्ट हुई फसलों को लेकर राजपाल सैनी ने उनके नुकसान की भरपाई को पूरा करने के लिये कृषि मंत्री से कहा। उन्होंने किसानों की गेहूं, आलू, सरसों और गन्ने के मूल्य बढ़ाने एवं किसानों की फसल का भुगतान का मुद्दा राज्यसभा में उठाया। इसी दौरान राजपाल सैनी किसानों के मुद्दों को लेकर मंत्रियों से भिड़ गये थे और कहा कि किसानों के लिये दिल में दर्द होना चाहिए। मैं किसान हूं और किसान का बेटा हूं। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल बेचकर बच्चों को शिक्षा एवं उनकी शादी का बंदोबस्त करता है। अपने परिवार का पालन पोषण भी खेती किसानी के जरिये ही करता है। किसानों के मुद्दों को उठाने में खलल डालने का प्रयास कर रहे मंत्रियों पर राजपाल सैनी गुस्सा भी हो गये थे।

वर्ष 2015 के माह मार्च में राज्यसभा में किसानों के मुद्दे उठाते हुए राजपाल सैनी ने कहा था कि तीन दिन से एनसीआर और उत्तरी पश्चिमी भारत में लगातार बारिश हो रही है। तेज ओलों ने किसानों को बेहाल करके रख दिया है, जिससे वह बर्बादी की कगार पर पहुंच गये हैं। बारिश से पहले किसान की गेहूं की फसल करीब-करीब तैयार होकर पकने की कगार पर थी, जिसको इस आसमानी आफत ने बिलकुल नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि किसानों की तमाम गेहूं की फसल धरती पर बिछ गई है, इससे किसानों को बहुत भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि बारिश से केवल गेहूं को ही नहीं बल्कि उसके साथ-साथ सरसों जो बहुत नाजुक फसल किसानों के यहां समझी जाती है, वह भी भारी तादाद में नुकसान की चपेट में आई है। राजपाल सैनी ने कहा कि मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आता हंू, हमारे यहां आलू भी बहुत तादाद में पैदा होता है। आलू की स्थिति ऐसी है कि उसमें खूब पानी भर गया है, जिससे वह सड़ने की कगार पर है। किसानों को डर सता रहा है कि आलू हरा भी हो सकता है, उसमें अंकुर भी निकलने का खतरा बना हुआ है।

राजपाल सैनी ने कहा कि मेरा जनपद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर है। मेरे ही जनपद से मेरे छोटे भाई सरकार में छोटे मंत्री है और बड़े मंत्री किसान हैं। अच्छी बात है किसानों के दर्द को अच्छी तरह समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान तो पहले से ही बहुत दयनीय स्थिति में जा चुका है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल भी किसान बड़ी तादाद में पैदा करता है। एक तो उसको गन्ना का सही मूल्य इस बार नहीं मिल रहा है, दूसरा उसका उसे पैमेंट भी नहीं मिल रहा है। पिछले वर्ष का ही किसानों के अरबों रूपये मिल मालिकों पर बकाया है। इसको लेकर किसान रोज धरना देते हैं, किसान परेशान है, सड़कों पर है, तबाही की कगार पर है। उन्होंने कहा कि किसान को उम्मीद जगी थी कि गेहूं और आलू, सरसों की फसल से कुछ उसकी भरपाई होगी। लेकिन प्राकृतिक आपदा ने किसानों का यह मंसूबा भी चकनाचूर कर दिया।

राजपाल सैनी ने कहा कि मैंने अखबार में पढ़ा है, इसे पढ़कर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ क्योंकि कृषि मंत्री किसान हैं। अखबार में कृषि मंत्री बयान था कि किसान को 10 से 20 प्रतिशत नुकसान हुआ है और जो किसान का गेहूं धरती पर लेट गया है, वो उठकर खड़ा हो जायेगा। राजपाल सैनी ने कहा कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मैं किसान हूं और किसान का बेटा हूं। बारिश की मार से बेहाल होकर इस प्रकार गिरी फसल खड़ी नहीं हो सकती है। इस पर कृषि मंत्री ने राजपाल सैनी को सफाई दी, लेकिन इस पर राजपाल सैनी ने कहा कि मैं आपको अखबार की कटिंग देता हूं, जिसमें आपका यह बयान है। उन्होंने कहा कि यह किसान के मुंह से अच्छा नहीं लगता कि किसान की फसल गिरकर बाद में उठकर खड़ी हो जायेगी। मंत्री की किसी बात पर उन्होंने कहा कि तुम्हारे कहने से यह किसान नहीं हो जायेंगे और न तुम्हारे सर्टिफिकेट की जरूरत है। गुस्से में आते हुए राजपाल सैनी ने कहा कि बीच में क्यों बोल रहे है बैठकर सुनो ना। अगर किसान हो ना, तो किसान का दर्द तुम्हारे दिल में होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब किसान ने आपके इस बयान को पढ़ा होगा। हमारे कृषि मंत्री का इस तरह का बयान है, इससे किसानों को कितना दुःख हुआ होगा।

राजपाल सैनी ने कहा कि मंत्री जी इस आपदा से जो किसानों के मंसूबे चकनाचूर हुए हैं उसकी भरपाई का पूरा मौका आपके पास है। उन्होंने कहा कि मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि जैसी स्थिति में किसान पहुंच गया है, वो आत्महत्या करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि किसानों ने बताया कि गेहूं की फसल के ऊपर ही उसका सबकुछ निर्भर करता है। वो अपने बेटे और बेटी की शादी गर्मी में करता है। अपने बच्चों का एडमिशन भी गेहूं को बेचकर करता है। लेकिन वो अब सड़क पर है, उसके कोई पुरसाहाल नहीं है। किसानों को केवल गेहूं का ही नुकसान नहीं हुआ, पशुओं के चारे का भी नुकसान हुआ है क्योंकि जो गेहूं धरती पर लेट गया उसका भूसा नहीं बन पायेगा। यह भी किसान के सामने बहुत बड़ी समस्या है। इस दौरान उन्हें सरकार के कई मंत्रियों ने फोर्स किया उनका सम्बोधन वहीं समाप्त किया जाये। लेकिन राजपाल सैनी किसानों के मुद्दों को लेकर अड़े रहे। इसके बाद राजपाल सैनी ने कहा कि आप कृषि मंत्री हैं और किसान भी हैं, किसान का दर्द आप बखूबी समझते हैं। किसान आज किस परिस्थिति में है, उसे आपको बताने की जरूरत नहीं है। इसलिये आपने जो समय दिया है, मेरी मांग है कि आप वो रिपोर्ट मंगा लें।

राजपाल सैनी ने कहा कि जो किसान का नुकसान हुआ है, आप उसका पूरा आकलन करा लें। किसान के पास आज कुछ नहीं है, वो आगे नहीं बढ़ सकता है, वो अपने काम नहीं कर सकता, जितना उसका नुकसान एक्चुअली हुआ है, उतना उसके नुकसान की भरपाई कर दें। यह आपकी किसान के ऊपर बहुत बड़ी मेहरबानी होगी। क्योंकि अभी जो प्रधानमंत्री कह रहे थे कि किसानों के लिये हमारे दिल में बहुत दर्द है। आप उनसे भी बात करना। किसान का जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई के इंतजाम का पूरा काम आपका है। आप किसान के नुकसान का आकलन कराकर प्रदेश सरकार के खाते में न भेजकर सीधा किसानों की खातों में रूपये भेजे, वो ज्यादा बेहतर होगा।

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