राजकुमार मेव का 'राखी पॉलिटिक्स' के माध्यम से वापसी का प्रयास

राजकुमार मेव का राखी पॉलिटिक्स के माध्यम से वापसी का प्रयास

खरगोन। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के महेश्वर से भारतीय जनता पार्टी द्वारा घोषित किए प्रत्याशी राजकुमार मेव ने क्षेत्र में अपने दो बार हुए विरोध के बाद रक्षाबंधन के नाम पर तीन बड़ी रैलियों के माध्यम से जोरदार भीड़ जुटा कर वापसी का प्रयास किया है।

भाजपा ने 17 अगस्त को अपने 39 उम्मीदवारों की घोषणा कर मेव को चुनावी मैदान में भेज दिया था। भाजपा ये सीट 2018 में हार चुकी थी। इन 39 सीटों में खरगोन जिले की कसरावद (सामान्य) और महेश्वर (अनुसूचित जाति) विधानसभा भी शामिल थी। घोषणा के साथ दोनों स्थान पर विरोध हुआ। कसरावद में यह विरोध जल्दी थमता नजर आया और भाजपा के प्रत्याशी आत्माराम पटेल फिलहाल तनाव रहित स्थिति में आ गए हैं, लेकिन महेश्वर में राजकुमार मेव समझाइश और मान मनौव्वल की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।

मेव का विरोध करने वाले पार्टी नेताओं का कहना था कि उन्होंने 2018 में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और पार्टी को नुकसान पहुंचाया। इसके अलावा यह भी आरोप लगाए गए कि मेव ने जनपद पंचायत व जिला पंचायत चुनाव के अलावा नगर परिषद में भी अपने प्रत्याशी खड़े कर पार्टी विरोधी गतिविधियां संचालित की।

इसी विरोध के बीच मेव रक्षाबंधन के त्यौहार के तारतम्य में 3, 5 और 6 सितंबर को विशाल रैलियां और कार्यक्रम आयोजित करने में सफल हुए हैं। इन कार्यक्रमों में उन्हें हजारों महिलाओं ने राखी बांधी। एक तरह से यह 'राखी पॉलिटिक्स' उनका विरोधियों को पस्त करने वाला शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है। मेव का कहना है कि रक्षाबंधन का कार्यक्रम कोई नया नहीं है। वे प्रतिवर्ष इस तरह का आयोजन करते हैं। वहीं अपने विरोध को लेकर उन्होंने कहा कि परिवार में थोड़ी बहुत अनबन स्वाभाविक होती है। ये उनके परिवार का मामला है और सभी से समन्वय के प्रयास किये जा रहे हैं।

महेश्वर सीट फिलहाल कांग्रेस की डॉ विजयलक्ष्मी साधौ के कब्जे में है। इस सीट पर इस परिवार का दबदबा रहा है। आजादी के बाद सीताराम साधौ और उनकी पुत्री डॉ विजयलक्ष्मी 5-5 बार विधायक चुने गए हैं। राजकुमार मेव यहां से 2013 में चुनाव जीते थे और 2018 में टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए थे और दूसरे स्थान पर आए थे। इस सीट पर अनुसूचित जाति वर्ग का बाहुल्य है लेकिन पाटीदार ब्राह्मण और वैश्य समाज भी बड़ी संख्या में निवासरत हैं।

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