पंजाब-हरियाणा में जारी है राहुल गांधी का कृषि बिल पर विरोध

पंजाब-हरियाणा में जारी है राहुल गांधी का कृषि बिल पर विरोध

नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में पंजाब में किसानों द्वारा छेड़ा गया रेल रोको आंदोलन 6 अक्टूबर को 13वें दिन भी जारी रहा। किसानों के इस आंदोलन के कारण ट्रेनें बंद पड़ी हैं, जिस कारण व्यावसायिक गतिविधियां भी रुक गई हैं। लोगों को भी आने-जाने में काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि किसानों के आंदोलन की आड़ में पार्टियां ओछी सियासत कर रही हैं। पंजाब में राहुल गांधी का दौरा किसानों के लिए नहीं है, बल्कि वह अपनी सियासी रोटियां सेंक रहे हैं। किसान नेताओं को वह अच्छी तरह समझ रहे हैं। किसान नेता ने कहा कि अगर सियासी पार्टियां किसानों के समर्थन में हैं तो वह इस कानून को रद्द करवाने के लिए संसद में विरोध करें। राष्ट्रपति से मिलकर कानून को वापस लेने का दबाव बनाएं। अगर ऐसा नहीं तो सिर्फ कहने मात्र का समर्थन हमें नहीं चाहिए। राज्य में कांग्रेस का प्रभारी बदले जाने के बाद राहुल गांधी का यह पहला हरियाणा दौरा होगा। गुलाम नबी आजाद के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल को हरियाणा कांग्रेस का प्रभार सौंपा गया है। बंसल अभी तक कांग्रेस दिग्गजों की कई बैठकें ले चुके हैं। उनकी कोशिश तमाम दिग्गजों को एक प्लेटफार्म पर लाकर भाजपा के विरुद्ध मजबूती से लड़ाई लड़ने की है।

वहीं, 6 अक्टूबर को राहुल गांधी हरियाणा में रहे। इस दौरान सियासत भी गर्मा रही है। पंजाब में दो दिन ट्रैक्टर घुमाने के बाद राहुल गांधी की किसान एवं खेत बचाओ यात्रा 6 अक्टूबर को हरियाणा में पहुंची। यहां भी राहुल गांधी ने केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश कराए कृषि कानून का जमकर विरोध किया। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून के खिलाफ धरने पर बैठे। किसानों के समर्थन में राहुल गांधी पिछले दो दिन से पंजाब में थे। यहां उन्होंने एक ट्रैक्टर रैली निकालकर विरोध जताया। राहुल गांधी ने पटियाला में पत्रकारों से बात करते हुए कृषि कानून पर अपनी बात रखी।

प्रेस वार्ता में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला भी मौजूद रहे। तो वहीं राहुल गांधी ने कहा कि कृषि कानून खाद्य सुरक्षा के ढांचे को खत्म करने का जरिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी की, जीएसटी की और कोरोना के समय किसानों पर आक्रमण किया है। पंजाब और हरियाणा पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। इसलिए हम किसानों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़े हैं, जब तक कानून रद्द नहीं होता। पार्टी का विरोध जारी रहेगा।

राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी देशवासियों को रोजगार नहीं दे सकते, क्योंकि उन्होंने वह सिस्टम तोड़ दिया है। किला ही टूट गया तो किसान कैसे बचेंगे। मोदी ने नोटबंदी क्यों की और जीएसटी क्यों ले आए, अंबानी और अडानी के कारण। ये तीनों साथ मिलकर चलते हैं और एक दूसरे के फायदे के लिए काम करते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि अगर कृषि कानून किसानों के हक में है तो नरेंद्र मोदी ने संसद में बहस क्यों नहीं कराई। उन्होंने इस पर अपना पक्ष क्यों नहीं रखा। किसानों से इस बारे में बात क्यों नहीं की। उनके मन में उठ रहे सवालों के जवाब क्यों नहीं दिए। बस बिल पास कराया और कानून बना दिया।

दरअसल हरियाणा में किसान आंदोलन की आड़ में सरकारें बनती-बिगड़ती रही हैं। इस गणित पर चलते हुए सियासी दल किसान को परंपरागत मकडजाल से बाहर नहीं निकलने देना चाहते। जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता की दौड़ में अपने आप को पिछड़ा हुआ महसूस करता है तो वह सदा इसी ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करता है। केंद्रीय कृषि कानून पर पक्ष और विपक्ष में राजनीतिक दल अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं, लेकिन फसल काटकर मंडियों में बेचने में मशगूल वास्तविक किसान के पास इतना समय नहीं कि वह राजनीतिक बातों के चक्कर में फंसकर रह जाए।

हाथरस में हुई धक्का मुक्की पर राहुल गांधी ने कहा कि पूरे देश को मारा पीटा जा रहा है। मुझे भी धक्का लग गया तो कोई फर्क नहीं पड़ता। देश की रक्षा करना हमारा काम है। अगर ऐसा करते हुए धक्का लगा तो खा लेंगे। असली धक्का तो उस परिवार को लगा, जिसकी मासूम बेटी के साथ इतनी घटिया हरकत हो गई। उसे एक लावारिस की तरह जला दिया गया। मां-बाप को न चेहरा दिखाया गया और न ही अंतिम संस्कार करने दिया गया। पीड़िता के परिवार पर पूरा यूपी प्रशासन टूट पड़ा, पीएम मोदी एक शब्द नहीं बोलते। एक ट्वीट तक नहीं किया।

राहुल गांधी ने कहा कि मैं और प्रियंका पीड़ित परिवार से मिलने गए तो उनका दर्द हमसे देखा नहीं गया। मैं और प्रियंका उस मां का दर्द बांटकर आए, जिसकी बेटी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया, लेकिन उसके साथ घटिया हरकत करने वालों को कोई सजा नहीं मिली। उल्टा डीएम उन्हें धमकी देते हैं। पुलिस वाले जमा होकर घर में बैठ जाते हैं, न किसी को अंदर जाने देते और न किसी को बाहर आने देते। परिवार को कैदी बनाकर रख दिया। हम मिलने गए, ताकि परिवार को यह महसूस न हो कि वे अकेले हैं। (हिफी)

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