सियासत गर्म- अमित शाह ने संभाली कमान- सामने आई खास वजह

सियासत गर्म- अमित शाह ने संभाली कमान- सामने आई खास वजह

नई दिल्ली उत्तर प्रदेश में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष की महत्वपूर्ण बैठक के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की दिलचस्पी से सियासत गर्मा गयी है। बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी को लेकर पूरी तरह एक्टिव है। यूपी में मंथन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने खुद मोर्चा संभाल लिया है।

वे लोकसभा की हारी सीटों पर खुद तैयारियों की समीक्षा करेंगे। इसके लिए पूर्वांचल से लेकर पश्चिमी यूपी तक लिस्ट तैयार हो चुकी है। यूपी के मामले में सीधे गृह मंत्री अमित शाह के आगे आने की खास वजह भी है। केंद्र की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर ही जाता है। बीते दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में पार्टी ने इस राज्य में शानदार प्रदर्शन किया है। तब 2014 में बीजेपी गठबंधन ने राज्य में 73 और 2019 में 64 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन जब यूपी में विधानसभा चुनाव हुए तो कुछ लोकसभा की जीतों हुई सीटों पर भी बीजेपी की बुरी हार हुई। इसके अलावा भी बीजेपी ने राज्य में 12 सीटों की एक लिस्ट तैयार की है जिसे पार्टी के आलाकमान को भेजा गया है। इस लिस्ट में बीजेपी ने उन सीटों को प्राथमिकता के तौर पर रखा जहां ये सीटें विपक्षी दलों के कब्जे में है।

गृह मंत्री अमित शाह यूपी में कई जगहों पर जाकर खुद चुनाव की तैयारियों की समीक्षा करेंगे। पता चला है कि 16 जनवरी को अमित शाह अंबेडकरनगर और बलरामपुर में रहेंगे। इन दोनों ही सीटों पर वे तैयारियों की समीक्षा करेंगे। वहीं पूर्वांचल के बाद गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम में भी मंथन करेंगे।सूत्रों के अनुसार 17 जनवरी को अमित शाह सहारनपुर और बिजनौर का दौरा करेंगे। ध्यान देने वाली बात ये है कि चारों ही सीट बीएसपी के कब्जे में हैं । अमित शाह की बैठकों के साथ ही इन सीटों पर कुछ जनसभाओं की भी तैयारी हो रही है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में सपा और बसपा के साथ सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर सुर्खियों में रहते हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और विधायक शिवपाल सिंह यादव का नाम लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। पूर्व में एक वक्त शिवपाल सिंह यादव और एआईएमआईएम के साथ ओपी राजभर तीसरा मोर्चा बनाने की बात कर रहे थे। ओम प्रकाश राजभर ये बयान देते समय यूपी विधानसभा चुनाव से पहले की बात कर रहे थे तब सपा से अलग बीजेपी के खिलाफ सुभासपा, एआईएमआईएम और प्रसपा के गठबंधन की बात चल रही थी। अब शिवपाल यादव की प्रसपा का सपा में विलय हो चुका है। राजनीति के नये समीकरण बन रहे हैं। कांग्रेस और बसपा की भूमिका अभी तय नहीं है। इसलिए भाजपा संभावित तीसरे मोर्चे से भी निपटने की पुख्ता तैयारी कर लेना चाहती है। अमित शाह ने विपक्षी दलों के कब्जे वाली लोकसभा सीटें जीतने की रणनीति इसीलिए बनायी है।

भाजपा की अपनी लोकसभा सीटें योगी आदित्यनाथ संभाल ही लेंगे। भाजपा संगठन के साथ ही सरकार ने भी मिशन 2024 के लिए माइक्रो प्लान पर काम शुरू कर दिया है। सुशासन के उद्देश्य से शानदार प्रयोग करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के 75 जिलों को तीन हिस्सों में बांट दिया है। इनमें 25 जिलों की निगरानी वह खुद करेंगे, जबकि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक के पास भी 25-25 जिलों की जिम्मेदारी होगी। योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारते हुए व्यवस्थाओं की पैनी निगरानी की जा सके, इसलिए यह तीनों भी सभी जिलों का दौरा करेंगे। इसके साथ ही तीसरी बार कैबिनेट मंत्रियों के मंडलों के प्रभार भी बदल दिए गए हैं।योगी सरकार 2.0 के गठन के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव 2022 के लोक कल्याण संकल्प पत्र के संकल्पों को पांच वर्ष की बजाए दो वर्ष यानी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने का लक्ष्य तय किया। सभी विभागों से 100 दिन, छह माह, एक वर्ष, दो वर्ष और पांच वर्ष की कार्ययोजना तैयार कराई। यह कार्ययोजना तय समय के साथ साकार होती चले, इसके लिए पहले-पहल मई में दोनों उपमुख्यमंत्रियों सहित सभी 16 कैबिनेट मंत्रियों को 18 मंडलों का प्रभारी बनाया गया। उनके साथ राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री लगाए गए। अब तक दो-दो मंडलों का दौरा मंत्री कर चुके हैं। बीते दिनों योगी ने तीसरी बार मंत्रियों के मंडल प्रभार में परिवर्तन करते हुए एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया। मंत्री तो मंडलों और जिलों में दौरे करेंगे ही, अब मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्री भी लगातार निरीक्षण करेंगे। इसके लिए समान रूप से योगी ने 25 जिले अपने पास रखे हैं और 25-25 जिले केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक को दिए हैं। इसके पीछे मुख्यमंत्री की मंशा यही है कि अलग-अलग जिलों में चल रहे विकास कार्यों की निगरानी बारीकी से की जा सके। व्यवस्थाओं की समुचित समीक्षा की जा सके। खुद जमीनी फीडबैक प्राप्त कर सकेंगे। सूत्रों के अनुसार, इन तीनों के बीच भी जिलों के प्रभार का बदलाव रोटेशन के साथ होगा। वहीं, मई से अब तक 16 कैबिनेट मंत्रियों की तरह दोनों डिप्टी सीएम भी दो-दो मंडलों का दौरा कर चुके हैं। प्रयास है कि लोकसभा चुनाव से पहले नवंबर, 2023 तक कैबिनेट मंत्री प्रत्येक मंडल के प्रभारी का दायित्व निभा लें।

उल्लेखनीय है कि इस बार उपमुख्यमंत्रियों को मंडल नहीं दिए हैं, इसलिए दो मंडल खाली रह गए। ऐसे में पहली बार स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री रवींद्र जायसवाल को बस्ती का प्रभार जबकि देवीपाटन का दायित्व राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिनेश प्रताप सिंह को सौंपा गया है। इनके साथ राज्यमंत्री भी लगाए गए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को आवंटित मंडल और जिले हैं सहारनपुर - सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, शामली । मेरठ- मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, हापुड़, बागपत। मुरादाबाद - मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा, बिजनौर, संभल अलीगढ़- अलीगढ़, एटा, कासगंज, हाथरस। वाराणसी- वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली आजमगढ़- आजमगढ़, बलिया और मऊ।

इसी तरह उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के पास मंडल- जिले है। कानपुर- कानपुर नगर, कानपुर देहात, कन्नौज, औरैया, इटावा, फर्रुखाबाद। झांसी- झांसी, ललितपुर, जालौन चित्रकूट- बांदा, चित्रकूट, महोबा, हमीरपुर। प्रयागराज- प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, प्रतापगढ़ मीरजापुर- मीरजापुर, भदोही, सोनभद्र अयोध्या- अयोध्या, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, सुल्तानपुर औरअमेठी। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास मंडल- जिले है गोरखपुर- गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया। बस्ती- बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर देवीपाटन- गोंडा, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती। आगरा- आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी। बरेली- बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत। लखनऊ- लखनऊ, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, सीतापुर, खीरी।

इसी क्रम में मंत्रियों को नए मंडल दिये गये हैं । सुरेश कुमार खन्ना- गोरखपुर। राज्यमंत्री- दानिश आजाद अंसारी, दिनेश खटीक सूर्यप्रताप शाही- अलीगढ़। राज्यमंत्री- अजीत सिंह पाल, जसवंत सैनी व बेबीरानी मौर्य- सहारनपुर। राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार- नितिन अग्रवाल राज्यमंत्री- विजय लक्ष्मी स्वतंत्रदेव सिंह- वाराणसी। राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार- संदीप सिंह राज्यमंत्री- संजीव गोंड लक्ष्मीनारायण चौधरी- अयोध्या। इस प्रकार योगी ने भी पुख्ता किलेबंदी कर रखी है। (हिफी)फी)

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