पंचायत चुनाव-आरक्षण पर याचिका खारिज-सरकार को राहत

पंचायत चुनाव-आरक्षण पर याचिका खारिज-सरकार को राहत

प्रयागराज। उच्च न्यायालय ने गोरखपुर जनपद में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति ना होने के बावजूद त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान का पद आरक्षित किए जाने के विरोध स्वरूप दाखिल की गई याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है। राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय के सम्मुख आपत्ति की गई कि राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है और संविधान के अनुच्छेद 243 ओ के अनुसार चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो जाने के बाद चुनाव में हस्तक्षेप करने का न्यायालय को अधिकार नहीं है। ऐसी स्थिति में याचिका पोषणीय ना होने के कारण याचिका खारिज कर दी जाए। उच्च न्यायालय ने सरकार के इस तर्क को स्वीकार करते हुए दाखिल की गई याचिका को खारिज कर दिया है।

शुक्रवार को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेर की खंडपीठ ने गोरखपुर जनपद के परमात्मा नायक व दो अन्य की याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्र, केएम मिश्रा और राज्य सरकार की ओर से मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे, अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता संजय कुमार सिंह, स्थाई अधिवक्ता देवेश मित्र की दलील को सुनकर यह आदेश दिया है। मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर शुक्रवार को अवकाश के बावजूद स्पेशल कोर्ट इस मामले की सुनवाई करने के लिए बैठी। याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर जनपद में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति नहीं है। सरकार ने इसके बावजूद 26 मार्च 2021 को जारी की गई आरक्षण सूची में सांवरिया बुजुर्ग, सांवरिया खुर्द और महावर कोल ग्राम सभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया है। जो संविधान के प्रावधानों का खुला उल्लंघन है। याचिका में मांग की गई थी कि इस संबंध में रिकार्ड तलब कर जारी किये गये आरक्षण को रद्द किया जाए और याचियों को चुनाव लड़ने की छूट दी जाए। मुख्य स्थाई अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडे ने याचिका की पोषनीयता पर आपत्ति जताई। जिसे स्वीकार करते हुए उच्च न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।





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