कद्दावर नेता जगदीश राणा की कोरोना से हुई मौत

सहारनपुर। जनपद के सीनियर नेताओं में शुमार जगदीश राणा किसी पहचान के मोहताज नहीं थे। उन्होंने अपने सियासी जीवन में कई पार्टियों का दामन थामा तो कई पार्टियों को अलविदा कहा। जेपी आंदोलन में हिस्सा लेते हुए उन्होंने राजनीतिक पारी का आगाज किया था और 1988 को ब्लॉक प्रमुख मुजफ्फराबाद का चुनाव लड़ा व मई 1991 में मुजफ्फराबाद विधानसभा क्षेत्र से जनता दल प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचने में जगदीश राणा सफल रहे थे ।
पूर्व सांसद जगदीश राणा कद्दावर नेता रशीद मसूद के शिष्यों में शुमार रहे और कहा जाता है कि राजनीति के गुर उन्होंने काजी रशीद मसूद से ही सीखे थे। 2007 में जगदीश राणा ने विधानसभा चुनाव लड़ा और उस वक्त समाजवादी पार्टी के बागी उम्मीदवार और काजी रशीद मसूद के भतीजे इमरान मसूद से वह चुनाव में हारे थे। उसके बाद जगदीश राणा ने 2008 में बसपा का दामन थाम लिया था और फिर वह 2009 में सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र से बसपा के टिकट पर अपने राजनीतिक गुरु काजी रशीद मसूद के मुकाबिल चुनावी मैदान में उतरे और उन्होंने काजी रशीद मसूद को चुनावी मैदान में शिकस्त दी थी । 2009 में बसपा के टिकट पर जगदीश राणा को 354807 और काजी रशीद मसूद को 269934 वोट मिले थे । 2014 में जगदीश राणा एक बार फिर से बसपा से चुनावी मैदान में उतरे लेकिन इस बार भाजपा के राघव लखन पाल शर्मा से वह चुनावी मैदान में हार गए। फिलहाल जगदीश राणा भाजपा में थे। उनके निधन से हर तरफ ग़म का माहौल है।