मंत्री कपिलदेव ने वैश्य महासम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की वार्ता

मंत्री कपिलदेव ने वैश्य महासम्मेलन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से की वार्ता

मुजफ्फरनगर। व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारियों, सदस्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वार्ता कर, शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के फार्मूले 5+3+3+4 के बारे में चर्चा की।

गौरतलब है कि हर वर्ष 5 सितंबर को बड़े धूम-धाम से मनाते हैं और गुरुओं का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। इसी कडी में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के पदाधिकारियों, सदस्यों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये वार्ता की और कहा कि डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान और बहुत बड़े शिक्षक थे। उन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप व्यतीत किया और अपने दायित्वों को पूरा किया। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके शिक्षा के प्रति लगन और शिक्षकों के प्रति आदर को देखते हुए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि छात्र-छात्राओं पर पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने के लिए वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित किया गया है। उन्होंने बताया कि प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवीं तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12 तक आखिरी हिस्सा होगा।

इसके साथ ही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने बताया कि कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी दी जाएगी जिससे स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के लिए जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा प्राप्त हो जाये। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक रूप से परिवर्तन आयेगा और बदलते वक्त की जरूरतों को पूरा करने, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने, इनोवेशन और रिसर्च को बढ़ावा देने और देश को ज्ञान का सुपर पावर बनाने की दिशा में सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेंगे।

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