मनीष ने भी अपनाया डबल इंजन फार्मूला

मनीष ने भी अपनाया डबल इंजन फार्मूला

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को लगता है कि भाजपा के कुछ फार्मूले चुनाव जिताने में मदद करते हैं। इसीलिए दिल्ली में नगर निकाय चुनाव में मनीष सिसोदिया ने भाजपा के डबल इंजन सरकार के फार्मूले को अपनाया है। मनीष कहते हैं कि राज्य में जब केजरीवाल की सरकार है तो केजरीवाल का पार्षद भी होना चाहिए। भाजपा के डबल इंजन सरकार का मकसद भी लगभग यही है क्योंकि केन्द्र और राज्य की सरकारें एक ही पार्टी की होने से विकास कार्यों में कोई बाधा नहीं आती। हालांकि जनता अब डबल इंजन सरकार पर सवाल भी उठाने लगी है। सवाल यह है कि केन्द्र सरकार को जब सभी राज्यों के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से करना पड़ता है तब डबल इंजन सरकार का झांसा क्यों दिया जाता है? आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने इस सवाल से बचने का रास्ता भी निकाला है। वह कहते हैं कि अगर भाजपा का पार्षद किसी सीट के लिए चुना जाता है तो वह केवल केजरीवाल को गाली देगा और क्षेत्र में विकास के कार्य यह कहकर नहीं कराएगा कि दिल्ली की सरकार मदद ही नहीं कर रही है। ध्यान रहे कि अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली नगर निकाय चुनाव की जिम्मेदारी मनीष सिसोदिया को सौंप रखी है, जबकि वे स्वयं गुजरात विधानसभा चुनाव मंे पूरा दमखम लगाए हैं। दिल्ली नगर निगम के चुनाव 4 दिसम्बर को होंगे और नतीजे 7 दिसम्बर को घोषित किये जाएंगे।

दिल्ली में करीब दो हफ्ते बाद नगर निकाय चुनाव है। ऐसे में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया ने केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद अभियान शुरू किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि केवल आप के नेतृत्व वाली नगर निकाय ही राजधानी में विकास करेगी। केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी दिल्ली नगर निगम का चुनाव जीतने के लिए तैयार है। सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, अगर कोई बीजेपी पार्षद किसी सीट के लिए चुना जाता है, तो वह केवल केजरीवाल को गाली देगा और क्षेत्र में काम बंद कर देगा। इसलिए, पूरी दिल्ली को केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद की जरूरत है। सिसोदिया ने कहा यह अभियान स्पष्ट रूप से भाजपा के डबल-इंजन सरकार के चुनावी नारे का जवाब है, जिसके माध्यम से पार्टी का दावा है कि केंद्र और राज्य में एक ही सरकार विकास को गति देगी। आप के नागरिक चुनाव अभियान की अगुवाई कर रहे हैं, क्योंकि केजरीवाल गुजरात में पार्टी के चुनाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। सिसोदिया ने कहा, दिल्ली में दिल्ली सरकार की जो जिम्मेदारी थी, स्कूल, सड़क, अस्पताल वे केजरीवाल जी ने बहुत दिए, लेकिन बीजेपी को जब नगर निगम चलाने का मौका दिया तो उसकी मूल जिम्मेदारी पर बीजेपी ने कुछ नहीं किया। 15 साल में जनता बीजेपी का एक काम नहीं गिनवा पा रही, यही नहीं बीजेपी भी नहीं गिनवा पा रही।

सिसोदिया कहते हैं बीजेपी मुश्किल से 20 सीट जीतेगी, तो ऐसे में कहीं ऐसा न हो जाए कि सरकार आम आदमी पार्टी की बने और अगर कहीं बीजेपी का पार्षद जीत जाए तो वह काम करवाने के बजाए लड़ता रह जाए इसलिए सुनिश्चित किया जाए कि हर वार्ड में केजरीवाल की सरकार और केजरीवाल का पार्षद। नगर निगम चुनावों को लेकर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी अपने चुनाव प्रचार अभियान को अगले चरण में लेकर जा रही है। आज से हम लोग एक नया कैंपेन पूरी दिल्ली में लॉन्च कर रहे हैं। केजरीवाल की सरकार, केजरीवाल का पार्षद। चुनाव के बाद बीजेपी के पार्षदों का एक ही काम होगा केजरीवाल जी से लड़ना। केजरीवाल जी काम करवाएंगे और इनके पार्षद काम रोकेंगे। केजरीवाल जी के सरकार एमसीडी में भी बन रही है इसलिए लोग सुनिश्चित करें कि उनके वार्ड में पार्षद भी केजरीवाल जी का ही हो।

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आगामी चुनावों का मुख्य आकर्षण महिला उम्मीदवारों की संख्या है। ऐसा इसलिए क्योंकि महिला उम्मीदवारों की कुल संख्या पुरुषों से अधिक है। दिल्ली राज्य चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार कुल 1,349 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें 382 निर्दलीय हैं। इनमें 250 वार्डों में 709 महिला उम्मीदवार और 640 पुरुष उम्मीदवार पार्षद पद के लिए मैदान में हैं। मैदान में सभी तीन प्रमुख दलों- बीजेपी, आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस- ने 250 वार्ड एमसीडी के लिए बड़ी संख्या में महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जहां 50 प्रतिशत या 125 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं।

आप और बीजेपी ने जहां सभी 250 वार्डों में अपने उम्मीदवार उतारे हैं, वहीं कांग्रेस के तीन उम्मीदवारों के नामांकन तकनीकी कारणों से रद्द कर दिए गए। नतीजतन अब पार्टी 250 की जगह 247 वार्डों में चुनाव लड़ेगी। चुनाव आयोग ने कहा कि नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के सामान्य आधार अधूरे नामांकन फॉर्म, प्रस्तावकों के अधूरे खंड, गायब हलफनामे, कई नामांकन, उम्मीदवारों को शामिल करने, वैध जाति प्रमाण पत्र जमा न करने, अधूरे या अमान्य फॉर्म और कोई सुरक्षा राशि नहीं जमा करनी थी। दिल्ली नगर निगम के चुनाव में इस बार तीनों प्रमुख पार्टियों में 50 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर महिला उम्मीदवार हैं। नियम के मुताबिक कुल 250 वार्ड में से 50 फीसदी यानी 125 वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। सबसे ज्यादा महिला उम्मीदवार आम आदमी पार्टी ने खड़ी की हैं, 250 में से 140 वार्ड में महिला उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी ने 250 वार्डों में से 137 में महिला उम्मीदवार खड़ी की हैं। कांग्रेस ने भी 247 वार्ड में से 134 पर महिला उम्मीदवार उतारी हैं ( कांग्रेस के 3 उम्मीदवारों के नामांकन रद्द हुए हैं इसलिए 250 की जगह 247 में ही कांग्रेस चुनाव मैदान में हैं)। दिल्ली नगर निगम में इस बार कुल 1349 उम्मीदवार मैदान में हैं जिनमें 709 महिलाएं और 640 पुरुष हैं।

दिल्ली में चार दिसंबर को होने वाले नगर निगम चुनाव के लिए कुल 67 उम्मीदवारों ने अपना नामांकन वापस ले लिया, जिसके चलते अब कुल 1,349 उम्मीदवार मैदान में हैं। नामांकन वापसी की अंतिम तिथि पर उक्त नामांकन वापस लिये गए। राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, 55 निर्दलीय उम्मीदवारों ने नामांकन वापस ले लिया। बहुजन समाज पार्टी के छह उम्मीदवारों ने भी अपना नामांकन वापस ले लिया। आंकड़ों के मुताबिक नाम वापस लेने वालों में कुल 67 में से 34 पुरुष उम्मीदवार थे। दिल्ली नगर निगम के 250 वार्डों के लिए चार दिसंबर को मतदान होना है, जबकि इसके परिणाम सात दिसंबर को घोषित किए जाएंगे। (हिफी)

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