लो जी अब तिवारी जी भी चले गुलाम नबी की राह- कांग्रेस का किराएदार नहीं

लो जी अब तिवारी जी भी चले गुलाम नबी की राह- कांग्रेस का किराएदार नहीं

नई दिल्ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे से लगे झटके से अभी तक कांग्रेस उबर भी नहीं पाई थी कि अब राज्यसभा सांसद मनीष तिवारी ने अपने बयान के जरिए पार्टी की पेशानी पर बल डाल दिए हैं। सांसद मनीष तिवारी ने पार्टी को नसीहत देते हुए कहा है कि वह पार्टी के किराएदार नहीं हैं बल्कि बाकायदा एक सदस्य हैं।

शनिवार को राज्यसभा सांसद मनीष तिवारी ने कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा है कि जी- 23 के सदस्यों ने जो चिट्ठी कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर पार्टी सुप्रीमो को लिखी थी अगर उसके ऊपर समय रहते ध्यान दे लिया जाता तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती। उन्होंने कहा कि मैं इस पार्टी का किराएदार नहीं हूं बल्कि एक सदस्य हूं।

उन्होंने कहा कि 2 साल पहले 23 नेताओं द्वारा सोनिया गांधी को एक चिट्ठी भेजकर कहा गया था कि पार्टी की स्थिति इस समय अत्यंत चिंताजनक है और इसकी स्थिति को उबारने के लिए गंभीरता से काम किया जाना चाहिए। उस पत्र के बाद कांग्रेस विधानसभा चुनाव हार गई। अगर कांग्रेस और भारत एक जैसे सोचते हैं तो लगता है कि दोनों में से किसी एक ने अलग सोचना शुरू कर दिया है।

सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि इस समय ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 1885 की कांग्रेस और भारत के बीच बने समन्वय में दरार आ गई है। जबकि पार्टी को आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी।

वर्ष 2020 की 20 दिसंबर को सोनिया गांधी के आवास पर हुई मीटिंग में अगर पार्टी के हालातों को सुधारने की बाबत सहमति बन जाती तो यह स्थिति नहीं आती।

उन्होंने कहा है कि मैं इस्तीफा देकर कांग्रेस से गए बाहर गये गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण दोष में जाना नहीं चाहता हूं। वह इसके बारे में समझाने की सबसे बेहतर स्थिति में होंगे।

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