बिहार में सुशासन और सुधाकर

बिहार में सुशासन और सुधाकर

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सुशासन कुमार कहा जाता है। उनकी यह छवि लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद बनी थी। विचित्र संयोग यह है कि आज उन्हीं लालू प्रसाद यादव की पार्टी के साथ नीतीश ने सरकार बनायी है। इसको भी राजनीति की विडम्बना ही कहेंगे कि कल तक भाजपा के नेता भी नीतीश कुमार के सुशासन का बखान करते नहीं थकते थे लेकिन अब नीतीश कुमार भाजपा को ही धोखेबाज पार्टी बता रहे हैं। इसी बीच राजनीतिक मंच पर लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के नेता सुधाकर सिंह का प्रवेश हुआ है। सुधाकर सिंह राजद के कोटे से ही मंत्री बनाये गये थे। उनको कृषि विभाग सौंपा गया था। एक दिन सुधाकर ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सुधाकर सिंह ने खुले मंच से कहा 'कृषि विभाग के अधिकारी चोर हैं और खुद को चोरों का सरदार बताया। इससे पहले नीतीश कुमार की इस नयी सरकार मंे आपराधिक गतिविधियों में संलग्न रहने के आरोपी कार्तिकेय सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था। अब सुधाकर सिंह ने भी मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। बिहार मंे इन दिनों सुशासन और सुधाकर की ही चर्चा है। संयोग है कि राजद कोटे के ये दोनों मंत्री सवर्ण हैं और तेजस्वी यादव ने मंत्रिमंडल में सोशल इंजीनियरिंग बनायी थी, वो फेल हो गयी है। बिहार मंे दो सीटों पर उपचुनाव भी होने हैं।

नीतीश कुमार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के इस्तीफे के बाद यह तो साफ हो गया कि राजद के साथ बनी नीतीश कुमार की सरकार मंे काफी गड़बड़ी है क्योंकि अभी दो महीने ही सरकार चली और दो मंत्रियों के इस्तीफे हो गये। सुधाकर सिंह ने अपना इस्तीफा सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास भेजा। सुधाकर के पिता जगदानंद सिंह भी बड़े नेता रहे हैं। बताते हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुधाकर सिंह से कृषि विभाग के अधिकारियों को चोर और खुद को चोरों का सरदार बताने पर स्पष्टीकरण मांगा था। इस बात पर सुधाकर सिंह से बहस हुई और सुधाकर कैबिनेट की बैठक से चले गये थे। इस मामले को नीतीश ने तेजस्वी के पाले मंे डाल दिया। इस प्रकार बिहार मंे सुशासन पर सवालिया निशान लगा है। इसी बीच बिहार में विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है। बिहार में मोकामा और गोपालगंज सीट पर उपचुनाव होना है। उपचुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक 3 नवंबर को बिहार की इन दो सीटों पर मतदान होगा जबकि 6 नवंबर को मतगणना होगी। बिहार की मोकामा सीट पर राजद जबकि गोपालगंज सीट पर बीजेपी का कब्जा था। बाहुबली अनंत सिंह को सजा मिलने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी तो वहीं गोपालगंज के विधायक सुभाष सिंह के निधन से ये सीट खाली हुई थी। उपचुनाव मंे सुशासन की चर्चा जरूरी होगी।

उपचुनाव के लिए सात अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी जबकि 14 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तारीख रखी गई है। उपचुनाव के लिए नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 17 अक्टूबर तय की गई है। भारत के निर्वाचन आयोग की ओर से छह राज्यों में रिक्त 7 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव करवाने के लिए शेड्यूल जारी कर दिया गया है। ईसीआई के सेक्रेटरी संजीव कुमार प्रसाद की ओर से जारी शेड्यूल के मुताबिक महाराष्ट्र, बिहार, हरियाणा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और ओडिसा राज्यों की 7 सीटों के लिए उप-चुनाव की प्रक्रिया 14 अक्टूबर से शुरू होगी। इन सभी सीटों पर उप-चुनाव 3 नवंबर को होंगे और चुनाव परिणाम 6 नवंबर को आएंगे।

बहरहाल बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपना इस्तीफा डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव को भेजा। सुधाकर सिंह के पिता और आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इसकी पुष्टि की है। महागठबंधन की सरकार में आरजेडी कोटे से मंत्री बने सुधाकर सिंह ने भ्रष्टाचार को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अफसरों पर करप्शन के आरोप लगाए थे। सुधाकर सिंह ने खुले मंच से कैमूर की सभा में अपने विभाग के अधिकारियों को चोर कहा था। खुद को चोरों का सरदार बताया था। कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस बात को लेकर टोकने पर सुधाकर सिंह कैबिनेट की बैठक से उठकर चले गए थे। इसे लेकर नीतीश कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि इस मसले को डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव देखेंगे। सुधाकर सिंह ने खुले मंच से कहा था कि हमारे विभाग का कोई ऐसा अंग नहीं है, जो चोरी नहीं करता है। इस तरह से हम चोरों के सरदार हुए। उन्होंने कहा कि आप पुतला फूंकते रहिए। ऐसा करिएगा तो हमको याद रहेगा कि किसान मुझसे नाराज हैं। अगर आप लोग ऐसा नहीं करेंगे तो लगेगा कि सब ठीक चल रहा है। उन्होंने कहा कि अगर कैबिनेट में मैं अकेला बोलता तो लगता कि इनकी अपनी समस्या है। अगर हर कोई बोलेगा तो हमारे ऊपर जो लोग बैठे हैं, वो भी सुनेंगे। इससे पहले भी सरकार में यहां से मंत्री रह चुके थे, बावजूद उसके यहां के लोगों कि स्थिति नहीं बदली। उन्होंने कहा कि यहां कि स्थिति नहीं बदली तो मुझे मंत्री बनाया गया। अब कैमूर से दो-दो मंत्री हैं, इसके बाद भी स्थिति नहीं बदलती है तो मेरे मंत्री बनने से क्या फायदा? जिले के अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि यहां पर सारे भ्रष्ट अधिकारी भरे पड़े हैं।

आरजेडी नेता सुधाकर सिंह महागठबंधन सरकार के कृषि मंत्री हैं और भभुआ के रामगढ़ विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुधाकर सिंह बिहार की बड़ी राजनीतिक हस्ती के बेटे हैं। उनके पिता जगदानंद सिंह वर्तमान में राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष हैं। पहली बार चुनाव जीत कर आए सुधाकर सिंह मंत्री बन गए हैं। उनकी उम्र 44 साल है और उन्होंने बीए तक पढ़ाई की है। सुधाकर सिंह का पैतृक निवास स्थान कैमूर जिले के रामगढ़ थाना अंतर्गत साहूका गांव में है। वे अपना पेशा खेती बताते हैं।

कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा कि बिहार में एक माह से खाद की आपूर्ति धीमी कर दी गयी है। बिहार में एक माह पूर्व भाजपा के ही कृषि मंत्री थे, जब खाद की कालाबाजारी हो रही थी। इसलिए मैंने कृषि विभाग की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया था। तब उसे मौजूदा सरकार के खिलाफ ही बताया जाने लगा। जबकि यह सच्चाई है कि किसानों को आवश्यकता से कम खाद की आपूर्ति केंद्र द्वारा हुई है। उन्होंने केंद्रीय उर्वरक राज्यमंत्री की बातों को तथ्य से भिन्न बताया। सुधाकर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि खरीफ मौसम अप्रैल से सितम्बर तक माना जाता है। इसलिए अप्रैल से सितम्बर के बीच आपूर्ति किये गये उर्वरकों के आंकड़ों को देखने से स्थिति स्वतः स्पष्ट है कि बिहार को आवश्यकता से कम उर्वरकों की आपूर्ति की गई है।

गौरतलब है कि केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भगवंत खुबा ने तब दावा किया था कि बिहार ही नहीं पूरे देश में उर्वरक की कोई किल्लत नहीं है। खाद की कमी के बिहार सरकार के दावे को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में उर्वरकों की कृत्रिम कमी पैदा की गई। यह भी आरोप लगाया कि बिहार सरकार के बिचौलियों से हाथ मिलाने के कारण यह हाल हुआ। मंत्री ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष ने बिहार में उर्वरकों की कमी व कालाबाजारी की जानकारी दी थी, उसके बाद मैं उर्वरक का हिसाब देने पटना आया हूं। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह द्वारा इस बाबत केन्द्र को पत्र लिखने को लेकर राज्यमंत्री ने कहा कि सुधाकर सिंह कालाबाजारी व किसानों को अधिक पैसे में यूरिया खरीदने से रोकने में विफल रहे। आरोप लगाया कि कमजोर नेतृत्व वाली सरकार होने पर यही हाल होता है। बताते हैं बिहार में जमाखोरी कर यूरिया प्रति बोरी 600 से 700 रुपये में बेची गई, जबकि केंद्र राज्यों को 262 रुपये बोरी में उपलब्ध कराता है। (हिफी)

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