इलेक्शन - दूसरे चरण में बड़े मंत्री और दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

इलेक्शन - दूसरे चरण में बड़े मंत्री और दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

लखनऊ। दूसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरोहा, सहारनपुर और बिजनौर जिले और रूहेलखंड के रामपुर, संभल, मुरादाबाद, बरेली, बदायूं और शाहजहांपुर जिलों की 55 सीटों पर 12,544 मतदान केन्द्रों के 23,404 मतदेय स्थलों पर समय से मतदान शुरु होने की जानकारी दी है। इस चरण में शाम छह बजे तक होने वाले मतदान में नौ जिलों के 2.02 करोड़ मतदाता 69 महिला उम्मीदवारों समेत कुल 586 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद कर देंगे।


पिछले विधानसभा चुनाव में मोदी लहर ने इस इलाके में दलित मुस्लिम समीकरणों के कारण अतीत में भाजपा के कमजोर होने के तिलिस्म को तोड़ते हुये 55 में से 38 सीटें जीती थीं। जबकि सपा को 15 और उसके सहयोगी दल कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं। तब सपा के 15 में से 10 और कांग्रेस के दो में से एक मुस्लिम विधायक जीते थे। जानकारों की राय में दलित वोटों में विभाजन का सीधा असर यह हुआ कि पिछले चुनाव में इस इलाके से बसपा का खाता भी नहीं खुल सका।

दूसरे चरण के चुनाव मैदान में योगी सरकार के तीन मंत्री और सपा के कद्दावर नेता आजम खान सहित अन्य वरिष्ठ नेता किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें मंत्री सुरेश खन्ना शाहजहांपुर सीट पर, गुलाबो देवी संभल जिले की चंदौसी सीट पर और बलदेव सिंह औलख रामपुर जिले बिलासपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। जबकि पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह आंवला सीट पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। इनके अलावा विरोधी खेमे में आजम खान रामपुर सदर सीट पर, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान स्वार सीट पर, पूर्व मंत्री धर्मपाल सिंह सैनी सहारनपुर की नकुड़ सीट से और महबूब अली अमरोहा सीट पर मैदान में डटे हैं।


गौरतलब है कि पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 11 जिलों की 58 विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी को शांतिपूर्ण तरीके से मतदान संपन्न हो चुका है। इस चरण के मतदान में पिछले चुनाव की तुलना में तीन प्रतिशत कम यानि 60.17 प्रतिशत मतदान हुआ था। अब सभी की निगाहें दूसरे चरण के मतदान पर टिकी हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की मजबूत किलेबंदी को तोड़ने के लिये इस बार सपा और रालोद ने चुनावी गठबंधन किया है। इस गठबंधन की सफलता को भी पहले चरण के चुनाव में ही परखा जायेगा। वहीं भाजपा के लिये भी इस चुनाव में अपना पिछला प्रदर्शन दोहराने की चुनौती का समाना करना पड़ रहा है।

जातीय समीकरणों को संतुष्ट करते हुये सभी दलों ने हर सीट पर फूंक फूंक कर कदम रखते हुए अपने उम्मीदवार तय किये हैं। जमीनी हकीकत को भांप कर ही विभिन्न दलों ने दूसरे चरण के चुनाव में 77 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें बसपा के सबसे ज्यादा 25, सपा रालोद गठबंधन के 18 और कांग्रेस के 23 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। वहीं एआईएमआईएम के 15 मुस्लिम उम्मीदवार भी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं।

लगभग एक महीने तक चले धुआंधार चुनाव प्रचार में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा विपक्षी दल सपा, रालोद, बसपा और कांग्रेस सहित अन्य दलों ने पूरी ताकत झोंक दी।

इस चुनाव में किसानों की नाराजगी भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकती है। वहीं, विरोधी खेमे में सपा इस इलाके में अपने प्रदर्शन को श्रेष्ठता के शिखर पर ले जाने के लिये प्रयासरत है। इससे पहले 2012 में जब सपा ने सरकार बनायी थी, उस समय भी सपा को इस इलाके की इन 55 सीटों में से 27 सीटें मिली थीं, जबकि भाजपा मात्र आठ सीटें ही जीत सकी थी।

वार्ता

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