17 बार इलेक्शन - 7 बार जीते मुस्लिम सांसद मगर दूसरी बार नहीं आया नंबर

17 बार इलेक्शन - 7 बार जीते मुस्लिम सांसद मगर दूसरी बार नहीं आया नंबर

मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अब तक 17 बार लोकसभा का चुनाव संपन्न हो चुका है, जिसमें से 7 बार इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार जीते हैं, मगर पहली बार जीतने वाले मुस्लिम सांसद को मुजफ्फरनगर की जनता ने दूसरी बार लोकसभा में जाने का मौका नहीं दिया है। कौन है 7 मुस्लिम सांसद। पढ़िए खोजी न्यूज़ की खबर......

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 1952 में लोकसभा के चुनाव हुए। तब इस सीट पर कांग्रेस के टिकट पर तीन लोकसभा सांसद एक साथ चुने गए थे। आजादी के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव में किसी सीट पर दो तो किसी सीट पर तीन सांसद को चुनाव लड़ने का अधिकार था। तब कांग्रेस के टिकट पर हीरा बल्लभ त्रिपाठी, सुंदरलाल और अजीत प्रसाद जैन चुनाव जीते थे। उसके बाद 16 बार मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर चुनाव संपन्न हुए हैं। जिसमें से 7 बार मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में सांसद लताफ़त अली खान, सईद मुर्तजा, गय्यूर अली खान, मुफ्ती मोहम्मद सईद, सईदुज्जमा, मुनव्वर हसन, कादिर राणा अलग-अलग पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। मगर मुजफ्फरनगर की जनता ने इनको दूसरी बार जीतकर लोकसभा में जाने का मौका नहीं दिया है।

सबसे पहले 1962 में मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर लताफत अली खान ने कांग्रेस के सुमत प्रसाद के सामने चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें दूसरे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर पहली बार 1967 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के टिकट पर लताफत अली खान ने जीत दर्ज की थी ।उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ब्रह्म स्वरूप को हराया था। इसके बाद 1971 में मुस्लिम सांसद नहीं जीता मगर 1977 में भारतीय लोकदल के टिकट पर सईद मुर्तजा ने लगभग 2 लाख 70 हजार वोट पाकर कांग्रेस के चौधरी वरुण सिंह को लगभग 87000 वोटों से हराने का काम किया था। अगली बार सईद मुर्तजा का नंबर तो नहीं आया मगर जनता पार्टी सेकुलर के टिकट पर गय्यूर अली खान ने चुनाव लड़ा। उन्होंने कांग्रेस के प्रत्याशी नजर मोहम्मद एडवोकेट को लगभग 50000 वोटों से हरा दिया था।

1984 में मुजफ्फरनगर लोकसभा की जनता ने मुस्लिम प्रत्याशी को सांसद बनाने से किनारा कर दिया। इसके बाद 1989 में इस सीट पर फिर मुस्लिम सांसद के तौर पर मूल रूप से कश्मीर के रहने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद ने जनता दल के टिकट पर कांग्रेस के प्रत्याशी आनंद प्रकाश त्यागी को भारी मतों से हरा दिया था। 1991 में जनता दल के टिकट पर फिर से मुफ्ती मोहम्मद सईद चुनावी मैदान में थे लेकिन इस बार मुजफ्फरनगर की जनता ने उन्हें नकारते हुए भाजपा के नरेश बालियान के हिस्से में जीत लिख दी थी। मुफ्ती मोहम्मद सईद को लगभग 95000 वोटों से हार मिली थी। 1996 में इस लोकसभा सीट की जनता ने मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के उम्मीदवार सईदुज्जमा को चौथे नंबर पर भेजने का काम किया था। इस लोकसभा सीट के वोटर ने ऐसा ही इस बार किया जब 1998 में मुस्लिम प्रत्याशी के तौर पर वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी ने दिल्ली से आकर कांग्रेस के टिकट पर किस्मत आजमाई लेकिन सईदुज्जमा के पिछली बार की तरह उन्हें भी चौथे नंबर पर ही संतोष करना पड़ा।

इसके बाद मुस्लिम प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के टिकट पर 1999 में सईदुज्जमा ने भाजपा के तत्कालीन सांसद सोहनवीर सिंह को हरा दिया था। 2004 में समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता मुनव्वर हसन ने साइकिल के निशान पर मुज़फ्फरनगर सीट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने तीन लाख से ज्यादा वोट पाकर भाजपा के प्रत्याशी अमरपाल सिंह को 69000 के लगभग वोटों से हरा दिया था। इस चुनाव में जहां मुनव्वर हसन अपनी लोकसभा सीट के कैराना को छोड़कर आए थे तो वही अमरपाल सिंह ने भी मेरठ लोकसभा सीट को छोड़कर मुजफ्फरनगर से चुनाव लड़ा था।

अगले चुनाव में साल 2009 में बसपा के प्रत्याशी के रूप में कादिर राणा ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर ताल ठोकी और उन्होंने जबरदस्त मुकाबले में भाजपा रालोद की संयुक्त प्रत्याशी अनुराधा चौधरी को 20,000 से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। 2014 और 2019 के इलेक्शन में भाजपा के संजीव बालियान ने किसी भी मुस्लिम प्रत्याशी की दाल नहीं गलने दी। 2014 के लोकसभा चुनाव में तो संजीव बालियान ने बसपा प्रत्याशी कादिर राणा को चार लाख से ज्यादा वोटों से हरा दिया था। 2019 में संयुक्त प्रत्याशी के रूप में अजीत सिंह चुनाव लड़ रहे थे तब किसी मुस्लिम उम्मीदवार ने मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर अपना नामांकन नहीं किया था। कुल मिलाकर मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट पर 17 बार लोकसभा के चुनाव हुए जिसमें से 7 बार मुस्लिम प्रत्याशियों ने लोकसभा के सांसद के रूप में काम किया है। मगर मुजफ्फरनगर की जनता ने इन 7 सांसदों को दोबारा से चुनने में परहेज किया।

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