कांग्रेस का वोटबैंक भेजा BJP को - इस बार हिमंत को असम की कमान

कांग्रेस का वोटबैंक भेजा BJP को - इस बार हिमंत को असम की कमान

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पूर्वोत्तर में मजबूती देने वाले दो नेता थे। पहले सर्वानंद सोनोवाल और दूसरे हिमंत विस्वा शर्मा। इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस के वोटबैंक को भाजपा की तरफ मोड़ दिया था। कांग्रेस की रीति नीति से ये अच्छी तरह वाकिफ थे, इसलिए तरुण गोगोई की सभी चुनावी रणनीतियां असफल हो गयीं। भाजपा ने वहां के स्थानीय राजनीतिक दलों के साथ पहली बार अपनी सरकार बनायी। उस समय सर्वानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री बनाया गया और हिमंत विस्वा सरमा को कई विभागों का दायित्त्व सौंपा गया। सर्वानंद सरकार के कार्यकाल के लगभग अंतिम दिनों में सरकार के एक बड़े घटक ने साथ छोड़ दिया और ऐसा लगने लगा कि भाजपा की सरकार गिर जाएगी, तब हिमंत विस्वा शर्मा ने जोड़ तोड़ करके सरकार बचाई थी। संभवतः यही कारण रहा कि असम में दूसरी बार स्पष्ट बहुमत मिलने पर हिमंत विस्वा शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया है। पिछले कई दिनों से भाजपा में चल रही माथापच्ची के बाद 9 मई को असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर हिमंत बिस्वा शर्मा के नाम का ऐलान कर दिया गया है। असम का पर्यवेक्षक बनाकर भेजे गए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधायक दल की बैठक के बाद यह जानकारी दी कि असम के नए मुख्यमंत्री के तौर पर हेमंत बिस्वा शर्मा 10 मई को सीएम पद की शपथ लेंगे।

याद आता है सन 2020 का जनवरी का महीना जब सीएए का मुद्दा गरमाया हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता तरूण गोगोई ने छह जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर धर्म के आधार पर पाकिस्तान के संस्थापक की तरह 'द्विराष्ट्र के सिद्धांत' का पालन करने का आरोप लगाया था। शर्मा ने असम विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) असम समझौते का उल्लंघन नहीं करता है। असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि अगर राज्य में पांच लाख से अधिक एक भी व्यक्ति को नागरिकता दी जाती है तो वह राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने राज्य विधानसभा में कहा कि हिंदू समुदाय का व्यक्ति 'जिन्ना' नहीं हो सकता क्योंकि वह कभी किसी पर हमला नहीं करता और वह धर्मनिरपेक्ष होता है। सरमा ने हिंदू बंगालियों को नागरिकता देने का भी समर्थन किया था। बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हिंदुओं को नागरिकता देने का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा था एक हिंदू जिन्ना नहीं हो सकता। किसी भी हिंदू राजा ने कोई मस्जिद या मंदिर ध्वस्त नहीं किया है। एक हिंदू हमेशा ही धर्मनिरपेक्ष होता है और किसी पर हमला नहीं करता। हिंदू धर्मनिरपेक्ष हैं। हिमंत को इसी का ईनाम मिला।

बीती 2 मई को जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे घोषित किये जा रहे थे, तभी यह तय हो गया था कि असम में लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार बनाने जा रही है। इसका इशारा एग्जिट पोल से भी मिल गया था और तभी से राज्य के नए मुख्यमंत्री को लेकर बीजेपी में मंथन भी शुरू हो गया था।काफी विचार विमर्श के बाद हिमंत बिस्वा शर्मा और सर्बानंद सोनोवाल दोनों को दिल्ली बुलाया गया और पार्टी के अध्घ्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों ही नेताओं से अलग अलग बात की। दरअसल, असम विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद से ही हिमंत का नाम पहले नंबर पर था। असम में लगातार दूसरी बार बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। पार्टी का मानना है कि चुनाव को लेकर हिमंत बिस्वा शर्मा ने जिस तरह से प्रचार किया, उसका असर मतदाताओं पर पड़ा और बीजेपी को असम में बड़ी जीत हासिल हुई। भाजपा को 75 सीटों पर सफलता मिली है। हिमंत बिस्वा शर्मा असम की जालुकबारी विधानसभा सीट से लगातार पांचवीं बार जीत हासिल करने में कामयाब हुए हैं। हिमंत बिस्वा शर्मा ने विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के रोमेन चंद्र बोरठाकुर को 1,01,911 मतों के अंतर से हराकर जालुकबारी सीट पर कब्जा बरकरार रखा है। हिमंत बिस्वा शर्मा ने साल 2015 में बीजेपी ज्वाइन की थी। साल 2016 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी हिमंत बिस्वा सरमा का अहम रोल रहा था। यहां तक हाल में हुए विधानसभा चुनावों से पहले जब सीएए के विरोध में राज्य में प्रदर्शन हो रहे थे और केंद्र सरकार कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर सवालों में घिरी हुई थी, ऐसे नाजुक वक्त में भी हिमंत ने जोरदार चुनाव प्रचार किया और अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की। सन् 2016 में असम विधानसभा चुनाव जीतने के ठीक बाद हिमंत को बीजेपी ने नॉर्थ-ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (एनईडीए) का अध्यक्ष बनाया था।

हिमंत विस्वा सरमा की लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ती ही चली गयी और विधानसभा चुनाव 2021 में हिमंत बिस्वा शर्मा ने जलुकबारी सीट पर एक बार फिर शानदार जीत हासिल की है। यह लगातार पांचवीं बार है, जब हिमंत बिस्वा सरमा ने जलुकबारी सीट पर अपने प्रतिद्वंद्वी को मात दी है। इस बार उनका मुकाबला कांग्रेस के रोमेन चंद्रा बोरठाकुर से था। इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में शर्मा ने जलुकबारी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार निरेन डेका को 85, 935 वोटों के अंतर से हराया था। हिमंत बिस्वा शर्मा के पिता कैलाश नाथ सरमा एक प्रसिद्ध कवि एवं लेखक थे, जबकि उनकी मां मृणालिनी देवी असम साहित्य से ताल्लुक रखती हैं। असम के जोरहाट में पैदा हुए हिमंत बिस्वा शर्मा ने कांग्रेस से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी और 2001 से लेकर 2015 तक हिमंत बिस्वा सरमा असम के जलुकबारी से कांग्रेस के विधायक रहे, लेकिन इसके बाद उनकी राजनीति में एक अहम मोड़ आया और वे भाजपा में शामिल हो गए। दरअसल 2014 में असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई से राजनीतिक मतभेद के बाद 21 जुलाई 2014 को हिमंत बिस्वा शर्मा ने पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने इसका तुरंत फायदा उठाया। उसे पता था कि 2001 में हिमंत बिस्वा शर्मा कांग्रेस टिकट पर पहली बार असम विधान सभा के लिए चुने गए थे और उन्होंने असम गण परिषद के भृगु कुमार फुकुन को हराया था जो असम में छात्र आंदोलन के तपे तपाए नेता थे। इसलिए हिमंत बिस्वा शर्मा को भाजपा ने लपक लिया था। शानदार सियासत करने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा 2006 में दूसरी बार जलुकबारी सीट से असम विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए और 2011 में लगातार तीसरी बार कांग्रेस नेता हिमंत बिस्वा शर्मा जलुकबारी निर्वाचन क्षेत्र से जीतकर असम विधानसभा पहुंचे थे। उस समय कांग्रेस की कमान तरुण गोगोई संभाल रहे थे। असम के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई से राजनीतिक मतभेद के बाद 21 जुलाई 2014 को हिमंत बिस्वा शर्मा ने पार्टी के सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया।

इस प्रकार 2015 में हिमंत बिस्वा शर्मा के राजनीतिक करियर में अहम बदलाव आया और कांग्रेस पार्टी को छोड़ उन्होंने 23 अगस्त को भारतीय जनता पार्टी का हाथ थामा। कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा और 2016 में हिमंत बिस्वा शर्मा लगातार चौथी बार जलुकबारी निर्वाचन क्षेत्र से विजयी हुए। इस बार सत्ता कांग्रेस के हाथ से फिसल गयी थी और 24 मई 2016 को हिमंत ने सर्वानंद सोनोवाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली और उन्हें वित्त, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, शिक्षा, योजना और विकास, पर्यटन, पेंशन और लोक शिकायत विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।एक सप्ताह पहले ही स्पष्ट बहुमत के साथ राज्य के विधानसभा चुनाव में भाजपा नीत गठबंधन ने जीत हासिल की थी। राज्य की 126 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 75 सीटों पर जीत हासिल की थी।

(हिफी) (अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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