कर्नाटक सरकार पर कांग्रेस का हमला

कर्नाटक सरकार पर कांग्रेस का हमला

लखनऊ। राजनीति के दांव पेंच कभी-कभी मनोरंजन भी करते हैं। दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में इसी तरह के खेले हो रहे हैं। ध्यान रहे कि इस राज्य में 2020 में जब विधानसभा के चुनाव हुए थे तब किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। मतगणना के बीच ही कांग्रेस को जब इत्मीनान हो गया कि उसको सरकार बनाने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं मिल पा रहे हैं और सबसे बड़ी पार्टी बनकर भाजपा उभर रही है तो चटपट कांग्रेस के एचडी देवेगौड़ा की जनता दल-सेक्यूलर (जेडीएस) से समझौता कर लिया। उस समय भी जेडीएस के विधायक कांग्रेस से लगभग आधे थे, लेकिन जेडीएस नेता कुमार स्वामी देवेगौड़ा को मुख्यमंत्री बनाया गया।

स्वार्थ के समझौते ज्यादा दिन नहीं चलते, इसीलिए सत्तारूढ़ दल में कलह होने लगी। इसका फायदा भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उठाया। जेडीएस और कांग्रेस से सत्ता छीन ली। येदियुरप्पा के बेटे के हस्तक्षेप के चलते भाजपा में भी असंतोष फैला तो बसवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया। बोम्मई की सरकार को कांग्रेस लगातार परेशान कर रही है। पिछले दिनों कांग्रेस ने एक वेबसाइट लांच की थी, जिसका नाम सरकारा रखा गया। इसी को लेकर कांग्रेस पेसीएम अभियान चलाया। कांग्रेस नेता पोस्टर लेकर निकलते हैं जिस पर एक क्यूआर कोड होता है। इसे स्कैन करने पर बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार के कार्य कलाप सामने आते हैं। यह वेबसाइट बोम्मई के नेतृत्व वाली सरकार पर 40 फीसदी कमीशन लेकर कार्य करने का आरोप लगाती है। इस पोस्टर के चलते पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धा रमैया, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डीके शिवकुमार, प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को हिरासत में भी लिया गया था। अब कांग्रेस ने पेसीएम की जगह से सीएम का पोस्टर अभियान शुरू किया है। कांग्रेस कहती है कि भाजपा ने 2018 में घोषणा पत्र में 600 वादे किये थे, उसमें 90 फीसद पूरे नहीं किये गये। इसी के लिए से सीएम वेबसाइट लांच की गयी है।

कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया और रणदीप सिंह सुरजेवाला को कर्नाटक में सीएम बसवराज बोम्मई के खिलाफ पेसीएम अभियान के चलते हिरासत में लिया गया। कांग्रेस ने सार्वजनिक स्थानों पर 'पे-सीएम' पोस्टर लगा कर बोम्मई को निशाना बनाने का अपना अभियान तेज कर दिया था। हिरासत में लिये जाने के बाद नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस का यह अभियान कर्नाटक की 40 फीसदी करप्शन सरकार के खिलाफ है।कर्नाटक कांग्रेस का पेसीएम अभियान पूरे राज्य में लगातार जारी है। मामले के नोटिस में आते ही प्रशासन की ओर से पोस्टर्स हटवाए गए और कर्नाटक सार्वजनिक स्थल (विरूपण की रोकथाम) ऐक्ट 1981 के तहत केस दर्ज हुआ। बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर सीएच प्रताप रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया और मामले में जांच शुरू की। इन पोस्टरों में पेटीएम की तर्ज पर एक क्यूआर कोड है जिसमें सीएम की तस्वीर के साथ पेसीएम लिखा है। इस पर स्कैन करने पर यह 40 फीसदी सरकारा नाम की वेबसाइट पर पहुंचती है। यह वेबसाइट बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर पब्लिक वर्क के लिए 40 फीसदी कमीशन मांगने का आरोप लगाती है।

पिछले दिनों ही कांग्रेस ने यह वेबसाइट लॉन्च की थी। मुख्यमंत्री ने पलटवार करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के बारे में बोलने के लिए कांग्रेस के पास कोई नैतिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद और पार्टी के अन्य नेताओं ने उस बस पर पोस्टर चिपका दिया, जिसमें सवार कर पुलिसकर्मी कांग्रेस नेताओं को पुलिस थाने ले गए थे। कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख शिवकुमार ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की, जिन्होंने नेताओं के जन्मदिन के और अन्य पोस्टर अवैध रूप से लगाए थे, लेकिन कांग्रेस के सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। शिवकुमार ने कहा, 'यह अभियान राज्य में हर जगह चलाया जाएगा। हम यहां नहीं रूकेंगे।' हिरासत में लिए गए सुरजेवाला ने ट्वीट किया, '40 प्रतिशत कमीशन लेने वाली बोम्मई सरकार इतनी हतोत्साहित है कि उसने कानून व्यवस्था बहाल करने के बजाय कर्नाटक पुलिस को पोस्टर हटाने और विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करने की जिम्मेदारी सौंप दी है।'

कांग्रेस ने बेंगलुरु के बाहरी इलाके में बीजेपी के नेलमंगला कार्यालय की दीवारों पर भी 'पे-सीएम' पोस्टर चिपका दिए। पार्टी के नेताओं ने अपने 'पे-सीएम' अभियान की तस्वीरें मीडिया के साथ साझा कीं। वहीं, मुख्यमंत्री बोम्मई ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी कई घोटालों में संलिप्त थी और उसे भ्रष्टाचार के बारे में बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा, 'बगैर कोई साक्ष्य के बोलने का रवैया लंबा नहीं चलेगा।' सीएम ने कहा कि सरकार ने एक 'ठेकेदार एसोसिएशन' (ठेकेदारों के संघ) की ओर से लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप पर विस्तृत जवाब दे दिया है। गौरतलब है कि ठेकेदारों के संघ ने आरोप लगाया था कि मंत्री निर्माण कार्यों को मंजूरी देने के लिए 40 प्रतिशत 'कमीशन' मांगते हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि यह एसोसिशन कांग्रेस की ओर से प्रायोजित है और इसलिए वह जानते हैं कि उसके आरोपों में कोई दम नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर शिकायत दायर की जाती है तो सरकार जांच कराने को तैयार है।' उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर बहस करने को तैयार हैं।

अपने पेसीएम अभियान की सफलता के बाद, कांग्रेस ने सेसीएम अभियान शुरू किया है। कर्नाटक कांग्रेस ने 2018 में किए गए 600 घोषणापत्र वादों में से 90 प्रतिशत को पूरा करने में विफलता के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए आज सेसीएमएकाम वेबसाइट लॉन्च की है। वेबसाइट में वह सब सवाल हैं, जो कांग्रेस ने बीजेपी से अब तक पूछे हैं। कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी, जिसने अब तक 50 सवालों में से किसी का भी जवाब नहीं दिया है, उसने अपनी चुप्पी के माध्यम से अपराध स्वीकार कर लिया है। कर्नाटक कांग्रेस कम्युनिकेशंस डिवीजन के प्रमुख प्रियांक खड़गे ने सत्तारूढ़ बीजेपी को चेतावनी दी थी कि, यदि केवल पेसीएम ही आपको बोलने के लिए प्रेरित करती है, तो हम आपकी विफलताओं का जवाब देने के लिए सेसीएम लॉन्च करेंगे। वहीं आज कांग्रेस ने क्यूआर कोड लॉन्च किया है, जो च्ंलब्ड के समान दिखता है, लेकिन उपयोगकर्ता को सेसीएमएकाम पर ले जाएगा। दरअसल कर्नाटक कांग्रेस ने पहले पे-सीएम के साथ बीजेपी पर निशाना साधा था। कांग्रेस ने सार्वजनिक स्थानों पर 'पे-सीएम' के पोस्टर लगाए थे। भुगतान ऐप पेटीएम के विज्ञापन की तर्ज पर बनाए गए इस पोस्टर पर मुख्यमंत्री की तस्वीर प्रकाशित की गई थी और उसके बीच में एक क्यूआर कोड दिया गया था, जिसे स्कैन करने पर एक पोर्टल का लिंक खुलता था।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कांग्रेस पार्टी के पे-सीएम अभियान को गंदी राजनीति करार दिया था। (हिफी)

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